नई दिल्ली: पीएम मोदी के खिलाफ तेज बहादुर की याचिका सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज, BSF के डिसमिस जवान ने पीएम के वाराणसी निर्वाचन को दी थी चुनौती

पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी से लोकसभा निर्वाचन पर तेज बहादुर यादव की याचिका मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया।

नई दिल्ली: पीएम मोदी के खिलाफ तेज बहादुर की याचिका सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज, BSF के डिसमिस जवान ने पीएम के वाराणसी निर्वाचन को दी थी चुनौती

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी से लोकसभा निर्वाचन पर तेज बहादुर यादव की याचिका मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया। बीएसएफ के डिसमिस जवान तेजबहादुर यादव ने वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में  इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले पर मुहर लगते हुए तेजबहादुर की याचिका को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि तेजबहादुर की पीएम नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को कैंसिल करने मांग की याचिका को पहले ही खारिज किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 नवंबर को इस मामले की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वाराणसी से चुनाव लड़ने में असफल रहे बीएसएफ के डिसमिस  जवान तेजबहादुर ने दोबारा चुनाव कराने की मांग याचिका में की थी जिस पर मंगलवार को फैसला सुनाया गया।वाराणसी लोकसभा सीट से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने में असफल रहे तेजबहादुर ने दोबारा चुनाव की मांग की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट तेजबहादुर की पीएम मोदी के निर्वाचन को रद्द करने मांग की याचिका खारिज कर चुका था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

उल्लेखनीय है तेजबहादुर का नामांकन पत्र निर्वाचन अधिकारी ने पिछले साल एक मई को अस्वीकार कर दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस निर्णय के खिलाफ तेज बहादुर की याचिका खारिज कर दी थी। तेज बहादुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने तेज बहादुर का नामांकन उचित तरीके से खारिज किया था या अनुचित तरीके से, यह उनकी पात्रता पर निर्भर करता है। पिछली सुनवाई में प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने तेजबहादुर की ओर से पेश अधिवक्ता से सवाल किया था, हमें आपको स्थगन की छूट क्यों देनी चाहिए। आप न्याय की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं। आप बहस कीजिए।

बहादुर के एडवोकेट प्रदीप कुमार यादव द्वारा सुनवाई स्थगित करने या इसे बाद में लेने का अनुरोध करने पर बेंच ने कहा, 'हम ऐसा नहीं कर सकते। यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है। प्रतिवादी पीएम हैं। हमने इस मामले को पढ़ा है। आप अपने मामले में बहस कीजिए।बेंच ने कहा कि इस मामले की सुनवाई कई महीने स्थगित की जा चुकी है ओर कोर्ट इसे अब और स्थगित नहीं करेगा। बहादुर के एडवोकेट ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने पहले वाराणसी संसदीय सीट के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था लेकिन बाद में उसने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया। बहादुर के एडवोकेट ने कहा कि 30 अप्रैल को एक नोटिस जारी किया गया और दो मई को उसका नामांकन रद्द कर दिया गया।

उललेखनीय है कि तेज बहादुर को वर्ष 2017 में बीएसएफ से डिसमिस किया गया था। क्योंकि उसने एक वीडियो में आरोप लगाया था कि सशस्त्र बल के जवानों को घटिया किस्म का भोजन दिया जाता है।तेज बहादुर द्वारा इंटरनेट मीडिया पर सेना में खराब भोजन की पोस्ट वायरल की थी। इसके बाद तेज बहादुर को बीएसएफ से डिसमिस कर दिया गया था। पीएम के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए वह वाराणसी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर शामिल हुए थे हालांकि सपा की ओर से उनको मैदान में बाद में उतारा गया लेकिन दस्तावेज समय से जमा न करने की वजह से उनका नामांकन खारिज हो गया था