झारखंड: डा. अजय कुमार की कांग्रेस में वापसी, अब प्रदीप-सुखदेव को भी ज्वाइन कराने की मांग

एक्स आइपीएस अफसर डा अजय कुमार की कांग्रेस में वापसी हो गयी है। झारखंड की पॉलिटिक्स छोड़कर एक्स कांग्रेस प्रसिडेंट डा अजय कुमार ने एक वर्ष पूर्व आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली थी। वह अब कांग्रेस में लौट आये हैं।

झारखंड: डा. अजय कुमार की कांग्रेस में वापसी, अब प्रदीप-सुखदेव को भी ज्वाइन कराने की मांग

रांची। एक्स आइपीएस अफसर डा अजय कुमार की कांग्रेस में वापसी हो गयी है। झारखंड की पॉलिटिक्स छोड़कर एक्स कांग्रेस प्रसिडेंट डा अजय कुमार ने एक वर्ष पूर्व आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली थी। वह अब कांग्रेस में लौट आये हैं। कांग्रेस अलाकमान ने कांग्रेस में उनकी फिर से वापसी की मंजूरी दे दी है। 
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस छोड़ते समय डा अजय ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर झारखंड के कुछ नेताओं के रवैये को निशाने पर लिया था। बतौर झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उन्होंने संगठन को सक्रिय बनाने की पूरी कोशिश की थी। नये सिरे से वापसी के बाद कयास लगाया जा रहा है कि उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी।

डा अजय ने कांग्रेस में फिर से शामिल होने के बाद लिखा है कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना मेरी अंतरात्मा की पुकार है। राहुल गांधी और सोनिया गांधी की प्रेरणा से उन्होंने फिर से कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय किया है। उन्होंने महात्मा गांधी की पंक्तियों का भी जिक्र किया - पूर्ण सत्य और उसी के अनुरूप आचरण आवश्यक है। जब आवाज उठाने की आवश्यकता है तो ऐसी परिस्थिति में चुप रहना कायरता बन जाता है।

डा. अजय कुमार की वापसी के साथ ही कांग्रेस के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों प्रदीप कुमार बलमुचू और सुखदेव भगत की वापसी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व सुखदेव भगत ने बीजेपी व प्रदीप कुमार बलमुचू ने आजसू का दामन थाम लिया था।  विधानसभा चुनाव में दोनों को पराजय का सामना करना पड़ा। अब दोनों वापस कांग्रेस में आना चाहते हैं। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डा. इरफान अंसारी ने रविवार को कहा कि दोनों को फिर से कांग्रेस पार्टी में वापस लाया जाए। उन्होंने डा. अजय की वापसी का भी स्वागत किया। कहा कि आज फिर से लोगों का रुझान कांग्रेस की तरफ है। सभी नेताओं को सम्मान के साथ दल में वापस लाना चाहिए। इनके आने से कांग्रेस को मजबूती मिलेगी। कांग्रेस सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि एक परिवार है। हर परिवार में मतभेद होता है। इसका मतलब यह नहीं होता कि परिवार के सदस्य घर छोड़कर चले जाएं। भरोसे के साथ संगठन में ईमानदारी से काम होना चाहिए। राजनीति में धैर्य और अनुशासन आवश्यक है।