धनबाद: IIT ISM अब माइनिंग में साइबर सिस्टम का यूज बतायेगा, माइंस की रिसर्च व प्रोड्क्शन कैपिसिटी बढ़ेगी

आइआइटी आइएसएम को माइनिंग 4.0 के लिए देशभर का नोडल सेंटर बनाया गया है। इसके लिए पूरे देश के 17 आइआइटी ने आवेदन किया। आइएसएम को इसके लिए चुना गया।

  • आइआइटी आइएसएम को माइनिंग 4.0 के लिए देशभर का नोडल सेंटर बनाया गया

धनबाद। आइआइटी आइएसएम को माइनिंग 4.0 के लिए देशभर का नोडल सेंटर बनाया गया है। इसके लिए पूरे देश के 17 आइआइटी ने आवेदन किया। आइएसएम को इसके लिए चुना गया। आइआइटी आइएसएम अब माइनिंग के एरिया में साइबर फिजिकल सिस्टम के उपयोग का तरीका बतायेगा। इससे खनन क्षेत्र और समृद्ध होगा।

नोडल सेंटर के सलेक्शन के लिए दिए आवेदन में सभी आइआइटी ने मिनिस्टरी में प्रजेंटेशन दिया था। इस दौरान 50 सवाल भी पूछे गये। सभी को डीपीआर बनाकर मिनिस्टरी में देने को कहा गया। आइआइटी आइएसएम को सलेक्ट किया गया। इसके लिए लगभग 145 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये। माइनिंग वर्टिकल, सेंसर टेक्नो व शोध रिसर्च को इस सिस्टम के तहत बढ़ावा मिलेगा। टेक्नलॉजी का कैसे और विकास हो इस पर काम होगा। आइएसएम प्रोफेसर धीरज कुमार ने बताया कि साइबर फिजिकल सिस्टम विकसित होने से मिनरल एक्सप्लोरेशन और माइंस की रिसर्च व प्रोडक्शन कैपिसिटी बढ़ेगी। फस्ट फेज में तीन वर्ष की अवधि की पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप होगी। इसमें सलेक्ट होने वाले स्टूडेंट को पहले वर्ष 60 हजार प्रतिमाह फेलोशिप मिलेगी।

जिन बिंदुओं पर होगा काम
एआइ और एमएल - खनिज संसाधनों में एआइ और एमएल का यूज।  
उन्नत वास्तविकता - डिजिटल सिस्टम से भौतिक कार्यस्थल तक की जानकारी को एकीकृत करना।
वास्तविक वास्तविकता - हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर आधारित सिमुलेशन और वास्तविक जीवन की माइनिंग स्थितियों पर ट्रेनिंग जैसे माइंस की आग, छत की विफलता, डंपिंग ढलान।
स्मार्ट सेंसर और माइनर ट्रैकिंग सिस्टम - पहनने योग्य सेंसर और भूमिगत पोजीशनिंग सिस्टम का डेवलप।
स्मार्ट और इंटेलिजेंट सेंसिंग सिस्टम - हैवी अर्थ मूविंग मशीन, कंप्यूटर, पीडीए और अन्य सूचना प्रणाली के साथ इंटरफेस के लिए माइनरों के लिए बुद्धिमान व्यक्तिगत सहायता प्रणाली। रोबोटिक माइनर्स सिस्टम - ड्रिलिंग रोबोट, बचाव रोबोट सिस्टम को डेवपल करना।