बिहार: CM नीतीश व अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए थाने में घंटों डटे रहे आईएएस सुधीर कुमार

सीनीयर आईएएस अफसर व बिहार कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन सुधीर कुमार सीएम नीतीश कुमार व अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर कराने के लिए घंटों गर्दनीबाग एससी/एसटी पुलिस स्टेशन में बैठे रहे। लेकिन पुलिस ने एफआइआर दर्ज नहीं की। 

बिहार: CM नीतीश  व अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए थाने में घंटों डटे रहे आईएएस सुधीर कुमार

पटना। सीनीयर आईएएस अफसर व बिहार कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन सुधीर कुमार सीएम नीतीश कुमार व अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर कराने के लिए घंटों गर्दनीबाग एससी/एसटी पुलिस स्टेशन में बैठे रहे। लेकिन पुलिस ने एफआइआर दर्ज नहीं की। 
मीडिया से बातचीत में सुधीर कुमार ने कहा कि मामला फर्जीवाड़े से जुड़ा हुआ है। कंपलेन में जिन लोगों के नाम हैं, उनमें शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक के लोग शामिल हैं। मैं किसी का नाम नहीं लूंगा। बहरहाल, जब उनसे बार-बार पूछा गया कि क्या आवेदन में सीएम का नाम है तो उन्होंने कहा- हां। उन्होंने कहा कि कंपलेन में पटना के पूर्व एसएसपी मनु महाराज का नाम भी है। आइपीएस अफसर मनु महाराज अभी सारण के डीआईजी हैं।
उन्होंने अपनी शिकायत का ब्यौरा देने से इनकार कर दिया और कहा कि यह दस्तावेजों के फर्जीवाड़े से जुड़ा हुआ है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बिहार में सुशासन देखिए कि एक आईएएस अधिकारी को चार घंटे तक इंतजार कराया गया। एफआइआर दर्ज नहीं की गई। मुझे महज मेरे शिकायत की पावती दी गई। मार्च में जब मैं शास्त्री पुलिस स्टेशन में इन्हीं दस्तावेजों के साथ गया था तो यही बात हुई थी। उन्होंने कहा कि पुरानी शिकायत की प्रगति के बारे में सूचना जुटाने का प्रयास भी विफल हुआ, जिसमें आरटीआई भी शामिल है।
गर्दनीबाग पुलिस स्टेशन के ओसी अरूण कुमार ने कहा कि शिकायत मिली है और सर (आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार) को पावती दी गई है। सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जायेगा। 
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि आज एक आईएएस अफसर पांच घंटे से अधिक समय तक थाने में बैठा रहा, लेकिन पुलिस ने उसकी प्राथमिकी दर्ज नहीं की। उन्होंने कहा कि बिहार के सीएम को आगे आकर सफाई देनी चाहिए। सीएम के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं हो सकती? सीएम नीतीश कुमार अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।
बिहार सरकार पर लालू ने निशाना साधा
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने शनिवार को ट्वीट कर आईएएस अधिकारी को एफआईआर करने में हुई परेशानी का हवाला देते हुए कहा है कि सरकार ने बिहार को सर्कस बना दिया है। खबर पढ़कर माथा पकड़िए। सरकार द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के एक अपर मुख्य सचिव के साथ ऐसा सलूक किया जा रहा है। उसका यह आचरण भ्रष्ट अफसरों को बचाने के चाल, चरित्र और चेहरे को उजागर करता है।

सीनीयर आइएस को अफसरशाही का करना पड़ा सामना

BSSC के एक्स चेयरमैन  व सीनियर IAS अफसर सुधीर कुमार दोपहर 12 बजे से लेकर चार बजे तक पुलिस स्टेशन में बैठे रहे। उन्होंने कहा कि थानेदार ने केस दर्ज करने से इनकार कर दिया है। बताया गया कि अंग्रेजी में आवेदन लिखा गया है। हालांकि, एससी-एसटी SHO ने कहा कि उनका आवेदन ले लिया गया है और रिसीविंग भी दिया गया है। अब पुलिस उनका आवेदन पढ़ रही है।
2017 में हुई थी अरेस्टिंग के बाद गये थे जेल

बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार के कार्यकाल में  2014 में इंटर स्तरीय संयुक्त परीक्षा का पेपर लीक हुआ था, जिसमें उन्हें दोषी बताया गया था। इसी मामले में 2017 में इनको निलंबित करते हुए गिरफ्तार किया गया था।अब चार साल बाद उनके अचानक SC/ST थाने पहुंचने के बाद एक बार फिर से वह चर्चा में हैं। 
पेपर लीक कांड

वर्ष 2017 की आठ फरवरी को बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा थी। प्रश्नपत्र लीक हुई और व्हाट्सएप पर वायरल हो गया। इसके बाद प्रदेशभर में जगह-जगह अभ्यर्थियों ने हंगामा किया। इस पर सरकार ने परीक्षा रद्द कर पटना एसएसपी मनु महाराज के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर दिया। एसआईटी ने इसके एक-एक लिंक की तलाश की। जांच के दौरान कड़ी दर कड़ी जुड़ती गई। इसमें पता चला कि BSSC के अध्यक्ष IAS सुधीर कुमार की पत्नी मंजू सिंह और भांजे आशीष सहित पांच रिश्तेदार परीक्षा दे रहे थे। शक है कि उऩ्हें मदद पहुंचाने के लिए प्रश्नपत्र को लीक किया गया था। सारी कड़ियां जब आपस में जुड़ गई तो आईएस सुधीर कुमार और उनके रिश्तेदारों को गिरफ्तार कर लिया गया। भांजे आशीष कुमार के मुताबिक, प्रश्नपत्र उसे अपने नाना यानि सुधीर कुमार के पिता ने दिये थे। अहमदाबाद के जिस प्रिंटिंग प्रेस में प्रश्न पत्र छपा था उसके मालिक को भी अरेस्ट किया गया था।
सुधीर कुमार 1988 बैच के IAS अफसर हैं। वह BSSC चेयरमैन के अलावा वह गृह विभाग के सचिव की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वर्तमान में वह सामान्य प्रशासन विभाग में मुख्य जांच आयुक्त के पद पर नियुक्त हैं। वह 31 मार्च 2022 को रिटायर होंगे।नौकरी भर्ती घोटाला में नाम आने के बाद उन्हें तीन वर्ष जेल में रहना पड़ा था। पिछले वर्ष अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी।