Jharkhand: घूसखोर दारोगा का पति भागलपुर का ‘सब्जी वाला’? दुकान किराये की रसीद तक नहीं दिखा सका!
झारखंड की घूसखोर दारोगा मीरा सिंह के पति प्रीतम कुमार ने खुद को सब्जी व्यापारी बताया, लेकिन ईडी जांच में न दुकान की रसीद, न किसानों के नाम बता सका। बैंक खातों में लाखों की नकद जमा, साली से 34 लाख का कर्ज लेने का दावा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

- ED की जांच में बड़ा खुलासा
रांची। झारखंड में घूसखोरी के आरोप में फंसी पुलिस सब इंस्पेक्टर ( दारोगा) मीरा सिंह और उनके पति प्रीतम कुमार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ईडी ने पाया कि दारोगा का पति रांची में रहता है, लेकिन दावा करता है कि वह भागलपुर में सब्जी बेचता है। हालांकि, जांच में न तो वह दुकान के मालिक का नाम बता सका, न ही किसी किसान का, जिससे वह सब्जी खरीदता है।
यह भी पढ़ें: रेलवे ने बढ़ाया TA-DA: 12 साल बाद रेलवे सलाहकार समितियों के सदस्यों को मिलेगा बढ़ा भत्ता
पति की "सब्जी दुकान" की कहानी में छेद
ईडी के समक्ष पूछताछ में प्रीतम कुमार ने बताया कि वह भागलपुर जिले के सुल्तानपुर सब्जी मंडी में सब्जी की थोक दुकान चलाता है। दुकान किराये पर ली गई है, जिसका किराया ₹5000 प्रति माह नकद में दिया जाता है। लेकिन जब ईडी ने किराये की रसीद, एग्रीमेंट पेपर या रजिस्ट्रेशन डॉक्युमेंट मांगे, तो वह कोई सबूत पेश नहीं कर सका। यहां तक कि वह यह भी नहीं बता सका कि दुकान किसके नाम से किराये पर ली गयी है।
किसानों के नाम तक नहीं बता सका
ईडी ने यह जानने की कोशिश की कि प्रीतम किस किसान से सब्जी खरीदता है। लेकिन वह एक भी किसान का नाम नहीं बता सका। जब बिक्री से जुड़ी हिसाब-किताब या खाता-बही (Account Book) की बात हुई, तो उसने कहा कि वह “रफ शीट्स” पर लिखता है — जो उसके पास नहीं हैं।
भारी नकद जमा और ‘बिना ब्याज’ का कर्ज
ईडी जांच में प्रीतम के बैंक खातों में भारी नकद जमा पायी गयी। पूछताछ में उसने बताया कि उसने अपनी साली मृदुला वर्मा से ₹34 लाख रुपये कर्ज लिए हैं — वो भी बिना ब्याज (Interest Free Loan) के। उसका कहना था कि यह रकम उसने भागलपुर में बिल्डिंग बनाने में खर्च की। लेकिन जांच में यह बात भी संदेहास्पद पाई गई, क्योंकि नकद जमा की रकम और खर्च का कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
पति के बैंक खातों का ब्योरा
बैंक खाता संख्या (आंशिक) जमा राशि अवधि
HDFC 501****835 ₹1.35 लाख 13 दिन में
HDFC 502***633 ₹22.09 लाख 15 महीने में
HDFC 501****947 ₹68,000 3 महीने में
PNB 060*****265 ₹6.75 लाख 5 साल 9 महीने में
ED की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
ईडी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि मीरा सिंह के पति ने “सब्जी बेचने” की कहानी पत्नी की काली कमाई (Black Money) को छिपाने के लिए गढ़ी है।
उसके पास न कोई व्यवसायिक दस्तावेज, न कर रसीद, न खरीदी-बिक्री के सबूत हैं। जांचकर्ताओं के अनुसार, यह पूरी व्यवस्था मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के तहत धन को वैध दिखाने की कोशिश है।
घर का खर्च कौन उठाता है?
जांच में सामने आया कि मीरा सिंह के घर का मासिक खर्च लगभग ₹25,000 से ₹30,000 है। यह पूरा खर्च मीरा सिंह के बजाय उनका पति प्रीतम कुमार उठाता है। जबकि उसकी आमदनी के स्रोत पर कोई प्रमाण नहीं मिला है।
निष्कर्ष
ईडी की जांच के बाद यह साफ हो गया है कि झारखंड की यह घूसखोर दारोगा और उसका परिवार फर्जी कारोबार के जरिए काली कमाई को सफेद दिखाने का प्रयास कर रहे थे। आने वाले दिनों में मीरा सिंह और उनके पति पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
Ranchi: झारखंड में घूसखोरी के आरोप में फंसी दारोगा मीरा सिंह और उनके पति प्रीतम कुमार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ईडी ने पाया कि दारोगा का पति रांची में रहता है, लेकिन दावा करता है कि वह भागलपुर में सब्जी बेचता है। हालांकि, जांच में न तो वह दुकान के मालिक का नाम बता सका, न ही किसी किसान का, जिससे वह सब्जी खरीदता है।
???? पति की "सब्जी दुकान" की कहानी में छेद
ईडी के समक्ष पूछताछ में प्रीतम कुमार ने बताया कि वह भागलपुर जिले के सुल्तानपुर सब्जी मंडी में सब्जी की थोक दुकान चलाता है। दुकान किराये पर ली गई है, जिसका किराया ₹5000 प्रति माह नकद में दिया जाता है।
लेकिन जब ईडी ने किराये की रसीद, एग्रीमेंट पेपर या रजिस्ट्रेशन डॉक्युमेंट मांगे, तो वह कोई सबूत पेश नहीं कर सका। यहां तक कि वह यह भी नहीं बता सका कि दुकान किसके नाम से किराये पर ली गई है।
???????? किसानों के नाम तक नहीं बता सका
ईडी ने यह जानने की कोशिश की कि प्रीतम किस किसान से सब्जी खरीदता है। लेकिन वह एक भी किसान का नाम नहीं बता सका। जब बिक्री से जुड़ी हिसाब-किताब या खाता-बही (Account Book) की बात हुई, तो उसने कहा कि वह “रफ शीट्स” पर लिखता है — जो उसके पास नहीं हैं।
???? भारी नकद जमा और ‘बिना ब्याज’ का कर्ज
ईडी जांच में प्रीतम के बैंक खातों में भारी नकद जमा पाई गई। पूछताछ में उसने बताया कि उसने अपनी साली मृदुला वर्मा से ₹34 लाख रुपये कर्ज लिए हैं — वो भी बिना ब्याज (Interest Free Loan) के।
उसका कहना था कि यह रकम उसने भागलपुर में बिल्डिंग बनाने में खर्च की। लेकिन जांच में यह बात भी संदेहास्पद पाई गई, क्योंकि नकद जमा की रकम और खर्च का कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
???? पति के बैंक खातों का ब्योरा
बैंक खाता संख्या (आंशिक) जमा राशि अवधि
HDFC 501****835 ₹1.35 लाख 13 दिन में
HDFC 502***633 ₹22.09 लाख 15 महीने में
HDFC 501****947 ₹68,000 3 महीने में
PNB 060*****265 ₹6.75 लाख 5 साल 9 महीने में
????️♀️ ED की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
ईडी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि मीरा सिंह के पति ने “सब्जी बेचने” की कहानी पत्नी की काली कमाई (Black Money) को छिपाने के लिए गढ़ी है।
उसके पास न कोई व्यवसायिक दस्तावेज, न कर रसीद, न खरीदी-बिक्री के सबूत हैं। जांचकर्ताओं के अनुसार, यह पूरी व्यवस्था मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के तहत धन को वैध दिखाने की कोशिश है।
???? घर का खर्च कौन उठाता है?
जांच में सामने आया कि मीरा सिंह के घर का मासिक खर्च लगभग ₹25,000 से ₹30,000 है।
यह पूरा खर्च मीरा सिंह के बजाय उनका पति प्रीतम कुमार उठाता है। जबकि उसकी आमदनी के स्रोत पर कोई प्रमाण नहीं मिला है।
निष्कर्ष:
ईडी की जांच के बाद यह साफ हो गया है कि झारखंड की यह घूसखोर दारोगा और उसका परिवार फर्जी कारोबार के जरिए काली कमाई को सफेद दिखाने का प्रयास कर रहे थे। आने वाले दिनों में मीरा सिंह और उनके पति पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत बड़ी कार्रवाई हो सकती है।