बंगाल–झारखंड में कोल सिंडिकेट के 44 ठिकानों पर ईडी रेड, 14 करोड़ की ज्वेलरी-कैश व 150 गिफ्ट डीड जब्त
झारखंड–पश्चिम बंगाल में ईडी की बड़ी कार्रवाई। 44 ठिकानों पर छापेमारी में 2.20 करोड़ नकद समेत 14 करोड़ की ज्वेलरी,150 गिफ्ट डीड, सोना–जेवर, कोल सिंडिकेट एग्रीमेंट और डिजिटल साक्ष्य बरामद। कोयला तस्करी सिंडिकेट पर बड़ा प्रहार।
- अवैध खनन और तस्करी के खिलाफ एक्शन
- कई कारोबारी रडार पर
- जमीन के संदिग्ध हस्तांतरण की भी जांच शुरू
रांची/कोलकाता। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अवैध कोयला खनन और तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए झारखंड और पश्चिम बंगाल में कुल 44 ठिकानों पर एक साथ चल रही रेड शनिवार को पूरी हो गयी। दो दिनों तक चली इस कार्रवाई में एजेंसी को 2.20 करोड़ रुपये कैश, लगभग 12 करोड़ की ज्वलरी,150 गिफ्ट डीड, भारी मात्रा में सोना-जेवर, जमीन-बिक्री समझौते, कोल सिंडिकेट एग्रीमेंट और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं।
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झारखंड में 20 व पश्चिम बंगाल में 24 ठिकानों पर रेड की गयी है। ईडी ने बताया कि यह छापेमारी झारखंड–बंगाल बॉर्डर पर सक्रिय कोयला तस्करी सिंडिकेट से जुड़े मनी लांड्रिंग केस पर आधारित है। FIR में अवैध कोयले की बड़े पैमाने पर तस्करी और स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत का जिक्र था। ईडी ने इस मामले में दोनों राज्यों में 44 परिसरों पर सघन छापेमारी कर 14 करोड़ से अधिक की नकदी, आभूषण, और सोना बरामद किया. इसके साथ ही, कोयला सिंडिकेट से जुड़ी संपत्ति के दस्तावेज, भूमि की खरीद-बिक्री के पेपर और कई डिजिटल उपकरण सहित पर्याप्त मात्रा में आपत्तिजनक साक्ष्य जब्त किए गए.
Directorate of Enforcement, has conducted coordinated extensive search action on 44 premises in West Bengal and Jharkhand under Section 17 of Prevention of Money Laundering Act, 2002 on 21.11.2025 in connection with large scale illegal mining, theft, transportation, storage and… pic.twitter.com/szfIPRfhux
— ED (@dir_ed) November 22, 2025
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ईडी के आधिकारिक बयान में क्या कहा गया?
ईडी ने बड़े पैमाने पर अवैध कोयला खनन, चोरी, परिवहन, स्टॉक और बिक्री से जुड़े एक विशाल सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। यह सिंडिकेट मुख्य रूप से झारखंड और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय था। ईडी ने 22 नवंबर की शाम को ऑफिसियल बयान जारी करबताया कि उनकी जांच झारखंड और पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा दर्ज कई एफआईआर पर आधारित है। इन एफआईआर से संकेत मिला था कि पश्चिम बंगाल-झारखंड सीमा पर एक विशाल और संगठित नेटवर्क काम कर रहा है। जांच में यह अहम जानकारी सामने आई है कि यह रैकेट बिना किसी वैध कागजात के झारखंड राज्य से भारी मात्रा में कोयले की अवैध आपूर्ति पश्चिम बंगाल में कर रहा था।
ईडी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि तलाशी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों ने एफआईआर में लगाये गये आरोपों की पुष्टि की है। ईडी ने यह भी पुष्टि की है कि यह रैकेट स्थानीय अधिकारियों की कथित मदद से संचालित हो रहा था। यह सिंडिकेट सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहद सक्रिय है। अपराध से बड़ी आय अर्जित कर रहा था। अवैध नकदी संग्रह और उनके लाभार्थियों का विवरण रखने वाली विभिन्न डायरियां और रजिस्टर भी बरामद किये गये हैं। रेड में मिले दस्तावेज FIR के आरोपों की पुष्टि करते हैं।” “कई स्थानीय अधिकारियों और कारोबारियों से मिलकर बना संगठित गिरोह भारी कमाई कर रहा था।” ईडी की इस संयुक्त कार्रवाई में 100 से अधिक अधिकारी और CRPF जवान शामिल थे।
कहां–कहां हुई छापेमारी?
झारखंड (20 ठिकाने):
धनबाद और दुमका में यह कार्रवाई हुई। मुख्य रूप से जिन कारोबारियों से जुड़े ठिकानों पर रेड हुई:
लाल बहादुर सिंह(एलबी सिंह)
अनिल गोयल
संजय खेमका
अमर मंडल
इनकी कंपनियों से जुड़े सहयोगी
पश्चिम बंगाल (24 ठिकाने):
दुर्गापुर, पुरुलिया, हावड़ा और कोलकाता में रेड हुई। जिनसे जुड़े ठिकानों पर छापे पड़े —
नरेंद्र खरका
कृष्ण मुरारी कयाल
युधिष्ठिर घोष
राजकिशोर यादव
लोकेश सिंह
चिन्मय मंडल
नीरद बरन मंडल
अवैध टोल कलेक्शन बूथ, ऑफिस और प्लांट
छापेमारी में क्या मिला?
कुल जब्त राशि:
₹2.20 करोड़ नकद समेत 14 करोड़ की ज्वेलरी
किसके यहां से मिली कितनी नकदी?
गणेश अग्रवाल (अनिल गोयल के सहयोगी) — ₹94 लाख
हेमंत गुप्ता — ₹20 लाख
अमर मंडल (दुमका) — ₹80 लाख
अंकित खेमका — लगभग ₹26 लाख
सभी से नकद का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर ईडी ने राशि जब्त कर ली।
150 गिफ्ट डीड: सबसे बड़ा खुलासा
अमर मंडल के घर से मिले 150 गिफ्ट डीड एजेंसी की नजर में सबसे बड़ा सुराग है। ईडी का मानना है कि — इन डीड से बड़े पैमाने पर जमीन का संदिग्ध हस्तांतरण हुआ है। गिफ्ट डीड के इस्तेमाल से काली कमाई को जमीन में बदला गया हो सकता है। ईडी अब इन जमीनों की वास्तविक कीमत, खरीदार–बेचने वाले की भूमिका और लिंक खंगाल रही है।
लाल बाबू सिंह ने खोला कुत्ता, ईडी को दो घंटे रोके रखा
धनबाद में छापेमारी के दौरान एक अनोखी घटना सामने आई— कोयला कारोबारी लाल बाबू सिंह ने अपना कुत्ता खोल दिया और ईडी टीम को दो घंटे तक घर में घुसने नहीं दिया। इसी दौरान उसने अपने मोबाइल–लैपटॉप के डिजिटल सबूत मिटा दिए। ईडी इसे गंभीर अपराध मानकर संभावित कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
ईडी की नजर में क्या है पूरा सिंडिकेट?
जांच में यह साफ हुआ है कि— झारखंड से बंगाल तक अवैध कोयला गिरोह चल रहा था। बॉर्डर के कई टोल बूथ, गोदाम और ट्रांसपोर्टर शामिल थे। सिंडिकेट बिना वैध दस्तावेज के कोयला सप्लाई करता था। कैश कलेक्शन और वितरण से जुड़ी डायरियां, रजिस्टर और रसीदें भी मिली हैं। ईडी को शक है कि यह नेटवर्क सालाना करोड़ों रुपए की कमाई करता था।
आगे क्या?
ईडी अब— जब्त दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच, डिजिटल डाटा रिकवरी, संपत्ति की वास्तविक मालिकाना जांच, संबंधित कारोबारियों की पूछताछ जैसे कदम उठाएगी। यह केस आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे कर सकता है।
फ्लैश बैक
ईडी की रांची स्थित जोनल कार्यालय ने धनबाद के कोयला कारोबारियों के विरुद्ध दर्ज मामलों में इंफोर्समेंट केस इंफार्मेशन रिपोर्ट (ईसीआइआर) दर्ज कर जांच कर रही है। ये मामले अवैध कोयला खनन, कोयले का अवैध परिवहन व कोयले का अवैध तरीके से भंडारण से संबंधित है।इससे सरकार को करीब 1000 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व का नुकसान पहुंचा है। कोयला मंत्रालय व केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के संज्ञान में मामला आने के बाद पूर्व में आयकर विभाग की भी छापेमारी हो चुकी है।विगत लगभग चार वर्षों के भीतर भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) हुए टेंडर आदि में गड़बड़ी की आशंका मामले की भी जांच चल रही है। इसमें कोयला कारोबारियों से बीसीसीएल के अधिकारियों की मिलीभगत का भी शक है। हालांकि, रेडमें बरामद दस्तावेजों आदि की छानबीन के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।






