झारखंड: बीजेपी के कांके के MLA समरी लाल की छीन सकती है विधायकी, कास्ट सर्टिफिकेट की जांच शुरु

रांची जिले के कांके विधानसभा के  MLA समरी लाल(K की विधायकी छीन सकती है। समरी लाल अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व कांके विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है। समरी जिस वाल्मीकि/भंगी जाति से आते हैं, वह झारखंड की अनुसूचित जातियों की सूची में दर्ज नहीं है।

झारखंड: बीजेपी के कांके के MLA समरी लाल की छीन सकती है विधायकी, कास्ट सर्टिफिकेट की जांच शुरु
  • समरी लाल  जिस वाल्मीकि/भंगी जाति से आते हैं वह झारखंड की अनुसूचित जातियों की सूची में नहीं है दर्ज 

रांची। रांची जिले के कांके विधानसभा के  MLA समरी लाल(K की विधायकी छीन सकती है। समरी लाल अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व कांके विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है। समरी जिस वाल्मीकि/भंगी जाति से आते हैं, वह झारखंड की अनुसूचित जातियों की सूची में दर्ज नहीं है।

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राज्य सरकार के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की जातीय छानबीन समिति में समरी लाल के  कास्ट सर्टिफिकेट पर विचार-विमर्श चल रहा है। इस बाबत विभाग ने रांची डीसी से रिपोर्ट मांगी थी। डीसी ने रिपोर्ट भेज दी है। समरी लाल से भी इसपर जवाब मांगा गया है।अगर एमएलए  का जाति प्रमाण पत्र अगर गलत पाया गया तो उनकी विधायकी खतरे में पड़ सकती है।

रांची टाउन और बड़गाई सीओ की रिपोर्ट और जाति छानबीन समिति की अनुसार समरी लाल राजस्थान से आकर यहां बसने वाले अनुसूचित जाति से है। इसको को लेकर संशय बना हुआ है। इनका जाति प्रमाणपत्र 2009 में जारी किया गया था।बताया जाता है कि एमएलए से  जाति प्रमाण पत्र से जुड़े कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। उनका पक्ष मिलने के बाद अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी।

कोर्ट में की गयी थी याचिका दाखिल
 समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र को लेकर हाईकोर्ट में पूर्व में दो याचिकाएं भी दाखिल की गयी थीं। कांके के एक मतदाता ने याचिका में उनके जाति प्रमाण पत्र को गलत बताते हुए चुनाव में नामांकन रदद् करने की मांग की गयी थी।दूसरी याचिका विगत चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश बैठा की तरफ से दाखिल की गयी थी। दोनों ही याचिकाओं में कहा गया था कि उन्होंने गलत तरीके से जाति प्रमाण पत्र हासिल कर  रिजर्व सीट से चुनाव लड़ा है। समरीलाल मूलत: राजस्थान के रहने वाले हैं. ऐसे में वह झारखंड में एससी-एसटी का आरक्षण नहीं ले सकते हैं। हालांकि कोर्ट ने पहली याचिका को सुनवाई के लायक न होने की बात कहते हुए खारिज कर दिया था।