- 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का टारगेट
- राज्यों की एकजुटता से मिली सफलता
रांची। सेंट्रल होम एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने एलान किया है कि वे 31 मार्च 2026 तक पूरे देश को नक्सलियों से मुक्त करा देंगे। नक्सलवाद के विरुद्ध सभी राज्यों की एकजुटता व सुरक्षा बलों की बहादुरी से अभूतपूर्व सफलता मिली है। बिहार, झारखंड व ओडिशा काफी हद तक नक्सल मुक्त हो गये हैं। वे गुरुवार को होटल रैडिशन ब्लू में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे।
सेंट्रल होम मिनिस्टर ने कहा कि देश में लागू तीन नयेआपराधिक कानूनों को पूरी तरह पूर्वी राज्यों में शीघ्र लागू करने के प्रयास पर जोर देने को कहा। इन राज्यों में नारकोटिक्स पर नकेल कसने की दिशा में भी अधिक कार्य करने की जरूरत है, जिसके लिए जिला स्तरीय एनकोर्ड की बैठकें नियमित होनी चाहिए। इन पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के चारों राज्यों को कौशल प्रशिक्षण के क्षेत्र में परंपरागत व स्ट्रक्चरल ढांचे से बाहर निकलकर आवश्यकता के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए।
अमित शाह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से हमारी सेनाओं ने अपनी वीरता, सटीकता व जांबाजी का अनुभव पूरे देश को कराया है। इस साहस व पराक्रम के लिए पूर्वी क्षेत्रीय परिषद सेनाओं को धन्यवाद देती है। पीएम नरेन्द्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति ने भारत के आतंकवाद के अंत का मजबूत इरादा पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। उन्होंने टीम भारत की कल्पना देश के सामने रखी है। इसके तहत राज्यों के विकास के माध्यम से भारत का विकास और 2047 तक भारत को एक पूर्व विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी मिलकर आगे बढ़ते रहें।
उन्होंने पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक पर कहा कि वर्ष 2014 से 2025 के दौरान इन बैठकों के आयोजन में दोगुनी व परिणामदायी गति आयी है। क्षेत्रीय परिषदें अब फोरम आफ डिस्कसन की जगह इंजन ऑफ को-ऑपरेशन बन गयी हैं। वर्ष 2004 से 2014 के बीच क्षेत्रीय परिषदों की कुल 25 बैठकें हुईं, लेकिन 2014 से 2015 के बीच यह दोगुने से अधिक बढ़कर 63 हो चुकी है। इन बैठकों में कुल 1580 मुद्दों पर चर्चा की गईं, जिनमें से 1287 यानी 83 प्रतिशत मुद्दे हल कर लिए गए हैं। यह इन बैठकों की सार्थकता को दर्शाता है।
बैठक में जिन मुद्दों पर उठाए गए निर्णायक कदम
सेंट्रल होम मिनिस्टर अमित शाह ने कहा कि गुरुवार की बैठक में मसानजोर बांध, तैयबपुर बराज और इंद्रपुरी जलाशय से संबंधित काफी समय से लंबित जटिल मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई है। बिहार के विभाजन के समय से ही लंबित अनेक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संपत्तियों और देनदारियों के बिहार व झारखंड राज्य के बीच विभाजन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा हुई है। इसके समाधान की दिशा में आपसी सहमति से निर्णायक कदम उठाये गये हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं व बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच व इनके शीघ्र निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों का क्रियान्वयन, प्रत्येक गांव के नियत दायरे में ब्रिक एंड मोर्टार बैंकिंग सुविधा, आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली 112 का क्रियान्वयन तथा पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, शहरी प्लानिंग व सहकारिता व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण सहित क्षेत्रीय स्तर के सामान्य हित के विभिन्न मुद्दे भी इस बैठक में शामिल किए गए, समस्याओं के निदान पर चर्चा हुई।
बैठक में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, ओडिशा के सीएम मोहन चरण मांझी, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय चौधरी व पश्चिम बंगाल की वित्त राज्यमंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य सहित सदस्य राज्यों के मुख्य सचिव व अन्य सीनयर अफसर तथा केंद्र सरकार के सीनीयर अफसर शामिल हुए।
हेमंत सोरेन ने 1.36 लाख करोड़ के बकाया और सरना धर्म कोड समेत 31 मुद्दे उठाये
27वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष 37 मुद्दे उठाये। इसमें केंद्र सरकार पर 1.36 लाख करोड़ रुपये के बकाया राशि और सरना धर्म कोड की मांग शामिल है। हेमंत सोरेन ने ‘एमएसएमई’ के माध्यम से बेहतर बुनियादी ढांचे और रोजगार सृजन का आह्वान किया। झारखंड ने आदिवासियों के लिए अलग सरना धर्म कोड का मुद्दा भी उठाया। हेमंत सोरेन ने ‘एमएसएमई’ के माध्यम से बेहतर बुनियादी ढांचे और रोजगार सृजन का आह्वान किया। झारखंड ने आदिवासियों के लिए अलग सरना धर्म कोड का मुद्दा भी उठाया।
सीएम हेमंत सोरेन ने ‘एक्स’ पर किया यह पोस्ट
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया, जिसमें कहा कि उनकी मांगों में सार्वजनिक उपक्रमों में स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता, खदानों को सुरक्षित तरीके से बंद करना और पर्यटन को बढ़ावा देना तथा आदिवासी विरासत की रक्षा के लिए केंद्र का समर्थन शामिल हैं। राज्य में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें महत्वपूर्ण रेलवे और राजमार्ग योजनाओं के अलावा एक मेट्रो परियोजना का प्रस्ताव शामिल है।
कोयला क्षेत्र अधिनियम में संशोधन की मांग
झारखंड ने कोयला क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) अधिनियम में संशोधन की मांग की, ताकि खनन कंपनियां खनन पूरा होने के बाद राज्य सरकार को जमीन वापस कर दें। मई में नीति आयोग के साथ बैठक के दौरान, झारखंड के सीएम ने मांग की थी कि खनन कंपनियों को राज्य के भीतर उपयोग किये जाने वाले कुल उत्पादन की 30 प्रतिशत क्षमता वाले ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करने का अधिकार दिया जाये।
झारखंड की ओर से बैठक में हेमंत सोरेन के अलावा झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, मंत्री दीपक बिरुवा, मुख्य सचिव अलका तिवारी, प्रमुख सचिव (गृह) वंदना दादेल और डीजीपी अनुराग गुप्ता शामिल हुए।
हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर किया यह पोस्ट
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया, जिसमें कहा कि उनकी मांगों में सार्वजनिक उपक्रमों में स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता, खदानों को सुरक्षित तरीके से बंद करना और पर्यटन को बढ़ावा देना तथा आदिवासी विरासत की रक्षा के लिए केंद्र का समर्थन शामिल हैं. राज्य में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें महत्वपूर्ण रेलवे और राजमार्ग योजनाओं के अलावा एक मेट्रो परियोजना का प्रस्ताव शामिल है।
कोयला क्षेत्र अधिनियम में संशोधन की मांग
झारखंड ने कोयला क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) अधिनियम में संशोधन की मांग की, ताकि खनन कंपनियां खनन पूरा होने के बाद राज्य सरकार को जमीन वापस कर दें. मई में नीति आयोग के साथ बैठक के दौरान, झारखंड के सीएम ने मांग की थी कि खनन कंपनियों को राज्य के भीतर उपयोग किये जाने वाले कुल उत्पादन की 30 प्रतिशत क्षमता वाले ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करने का अधिकार दिया जाये.
झारखंड की अेोर से बैठक में हेमंत सोरेन के अलावा झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, मंत्री दीपक बिरुवा, मुख्य सचिव अलका तिवारी, प्रमुख सचिव (गृह) वंदना दादेल और डीजीपी अनुराग गुप्ता शामिल हुए।