बिजनसमैन अमित अग्रवाल व विष्णु अग्रवाल के झारखंड व पश्चिम बंगाल ठिकानों पर ईडी का रेड

झारखंड की राजधानी रांची के बरियातू स्थित आर्मी के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री मामले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने बिजनसमैन अमित अग्रवाल व बिष्णु अग्रवाल के ठिकानों पर रेड कर रही है। 

बिजनसमैन अमित अग्रवाल व विष्णु अग्रवाल के झारखंड व पश्चिम बंगाल ठिकानों पर ईडी का रेड

रांची। झारखंड की राजधानी रांची के बरियातू स्थित आर्मी के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री मामले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने बिजनसमैन अमित अग्रवाल व बिष्णु अग्रवाल के ठिकानों पर रेड कर रही है। 

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ईडी की टीम शुक्रवार की सुबह से ही कोलकाता के बिजनसमैन अमित अग्रवाल के साथ-साथ विष्णु अग्रवाल के ठिकानों पर रेड की है। व्यवसाई अमित अग्रवाल फिलहाल ज्यूडिशियल कस्टडी में है। उन्हें ईडी ने एडवोकेट राजीव कुमार को 50 लाख रुपये देकर फंसाने के मामले में जांच के बाद अरेस्ट किया था। 
राजनेताओं व ब्यूरोक्रैट्स का ब्लैक मनी को व्हाइट बनाने पर शक
अमित अग्रवाल पर ईडी को शक है कि उसने बड़े राजनेताओं- ब्यूरोक्रैट्स के ब्लैक मनी को व्हाइट बनाने बनाने के लिए जमीन की खरीद-बिक्री में भी इन्वेस्ट किया है। यही वजह है कि ईडी ने अब रांची के कई अन्य बड़े जमीन की खरीद-बिक्री मामले को मनी लांड्रिंग के तहत इन्वीस्टीगेशन के अधीन रखा है। आर्मी के कब्जे वाली जमीन का मामला भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है।
बरियातू जमीन घोटाले से जुड़ा है मामला
ईडी ने बरियातू में जमीन की रजिस्ट्री करने वाले दो सब रजिस्ट्रार के यहां भी रेड मारा है। बरियातू में आर्मी की 50 एकड़ जमीन को फर्जी दस्तावेजों के सहारे हड़पने का प्रयास किया गया। ईडी ने आर्मी जमीन को कब्जा करने संबंधी इस मामले में झारखंड के आठ और पश्चिम बंगाल के चार ठिकानों पर रेड शुरू की है। 

एक आईएएस अफसर ने आर्मी की जमीन रजिस्ट्री के लिए बनाया था दबाव

ईडी ने रांची में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आर्मी के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री  मामले की जांच में रांची जिला प्रशासन के एक सीनीयर अफसर की संलिप्तता का खुलासा किया है। सोर्सेज के अनुसार एक राजस्व अधिकारी ने ईडी के समक्ष स्वीकार किया है कि रांची जिला प्रशासन के एक आईएएस अफसर ने अपने अधीनस्थों पर उक्त भूमि के हस्तांतरण के लिए दबाव डाला था।इसके बाद भूमि के स्वामित्व को बदलने के लिए दस्तावेजों को जाली बनाया गया था.

रजिस्ट्री से संबंधित कुछ दस्तावेजों को जब्त किया है

ईडी ने रेडके दौरान रांची स्थित भूमि की रजिस्ट्री से संबंधित कुछ दस्तावेजों को जब्त कर लिया है। ईडी को संदेह है कि इन मामलों में भी जाली दस्तावेजों के साथ बिक्री और खरीद की गयी होगी।

रांची जमीन की खरीद-बिक्री में अमित अग्रवाल की भूमिका की तलाश 
रांची में भारी पैमाने पर जमीन की खरीद-बिक्री के मामले में भी अमित अग्रवाल की भूमिका को ईडी तलाश रही है। अमित अग्रवाल फिलहाल एडवोकेट राजीव कुमार को 50 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार करवाने के मामले में दर्ज मनी लांड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में है। ईडी को शक है कि संताल के क्षेत्र में एक हजार करोड़ के इलिगल माइनिंग में मिले ब्लैक मनी को अमित अग्रवाल ने जमीन की खरीद-बिक्री में खपाया है। इस मामले में भी ईडी की जांच तेज है।

कमिश्नर की जांच में फर्जी दस्तावेज पर खरीद-बिक्री का हुआ था खुलासा
आर्मी के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री में फर्जीवाड़ा का खुलासा आयुक्त की जांच रिपोर्ट में पहले ही हो चुका है। उक्त रिपोर्ट में यह बात सामने आ चुकी है कि प्रदीप बागची नामक व्यक्ति ने फर्जी रैयत बनकर जगत बंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक दिलीप कुमार घोष को उक्त जमीन बेच डाली थी। जमीन की खरीद-बिक्री के लिए रजिस्ट्री में प्रदीप बागची ने जिन होल्डिंग नंबर से संबंधित दो अलग-अलग कागजातों को लगाया था, वह जांच में फर्जी मिले थे। इसके बाद रांची नगर निगम की ओर से भी बरियातू पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज कराई गई थी।

प्रदीप बागची पर जालसाजी करने के मामले में दर्ज है FIR
रांची नगर निगम के कर संग्रहकर्ता दिलीप शर्मा ने नगर आयुक्त के आदेश पर प्रदीप बागची के विरुद्ध जालसाजी के मामले में FIR दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रदीप बागची ने फर्जी आधार कार्ड, फर्जी बिजली बिल, फर्जी पोजेशन लेटर दिखाकर दो-दो होल्डिंग ले लिया था। आयुक्त की जांच में आर्मी के कब्जे वाले जमीन का असली रैयत जयंत करनाड मिला था।

कोर्ट ने दिया था FIR दर्ज करने का आदेश
रांची के सिविल कोर्ट ने बरियातू पुलिस स्टेशन को रांची के दो रजिस्ट्रार घासी राम पिगुआ व वैभव मनी त्रिपाठी, नगर आयुक्त मुकेश कुमार, बड़गाईं के सीओ मनोज कुमार, फर्जी रैयत प्रदीप बागची, खरीदार जगतबंधु टी-इस्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष, जयप्रकाश नारायण सिन्हा, मेसर्स गोयल बिल्डर्स अपर बाजार के निदेशक, मोहम्मद जैकुल्लाह और मानवेंद्र प्रसाद पर FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। आरोपितों पर जान बूझकर फर्जीवाड़ा कर दूसरे की जमीन की खरीद-बिक्री का आरोप है। दिलीप कुमार घोष ने सात करोड़ रुपये में प्रदीप बागची नामक कथित रैयत से सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन खरीदी थी।
जून में रांची नगर निगम ने भी दर्ज कराई थी FIR
दो माह पूर्व जून महीने में रांची नगर निगम के कर संग्रहकर्ता दिलीप शर्मा ने नगर आयुक्त के आदेश पर प्रदीप बागची के खिलाफ जालसाजी की धाराओं में FIR दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि प्रदीप बागची ने फर्जी आधार कार्ड, फर्जी बिजली बिल, फर्जी पोजेशन लेटर दिखाकर नगर निगम से दो-दो होल्डिंग ले लिया था और सेना की कब्जे वाली जमीन को उक्त कागजात के आधार पर बेच डाला था। 

कमिश्नर की रिपोर्ट में जमीन का असली मालिक जयंत करनाड
सेना के कब्जे वाली जमीन पर विवाद होने के बाद पूरे मामले की जांच दक्षिणी छोटानागपुर के प्रमंडलीय आयुक्त उप निदेशक कल्याण से कराई थी। उन्होंने गत वर्ष 20 दिसंबर 2021 को जांच रिपोर्ट आयुक्त को सौंपी थी। जांच रिपोर्ट के अनुसार उक्त जमीन से संबंधित खतियान प्रमोद नाथ दास गुप्ता वल्द बाबु प्रताप नाथ दास गुप्ता के नाम पर है। वर्तमान में उक्त भूमि पर सेना का दखल-कब्जा है। खतियानी रैयद प्रमोद नाथ दास गुप्ता की एकमात्र पुत्री सरस्वती दास गुप्ता थी, जिनके पति मुंजेश्वर लक्ष्मण राव थे। उनके एक पुत्र बी. मुंजेश्वर मुकुंद राव व पुत्री मालती करनाड हुईं। पुत्र बी. मुंजेश्वर मुकुंद राव को कोई संतान नहीं था। जबकि, मालती करनाड को एक बेटा जयंत करनाड हुए। मालती करनाड की मृत्यु के बाद वही उस भुखंड 4.55 एकड़ के एक मात्र उत्तराधिकारी हुए। अदालत में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि सेना के कब्जे वाली जमीन के असली मालिक जयंत करनाड हैं। आयुक्त की रिपोर्ट में इसका जिक्र है कि वर्ष 1967 से 2017 तक विभिन्न न्यायालयों ने खतियानी रैयत के वंशजों को उक्त भूमि का मालिक स्वीकार किया है।
आयुक्त ने प्रदीप बागची के दावे को ठहराया गलत
आयुक्त की रिपोर्ट के अनुसार सेना के कब्जे वाली जयंत करनाड की जमीन पर प्रदीप बागची नामक व्यक्ति ने दावा ठोका और गलत तरीके से दिलीप कुमार घोष को गलत दस्तावेज पर रजिस्ट्री कर दी। इस फर्जीवाड़े में सरकारी अधिकारियो की भी मिलीभगत है। आयुक्त कार्यालय की रिपोर्ट में पंजी-टू के रैयत जयंत करनाड ने वर्ष 2019 में 13 रैयतों को निबंधित दस्तावेज से बिक्री की थी, जिनके दाखिल खारिज को बड़गाइ अंचल ने यह कहते हुए अस्वीकृत किया कि उक्त जमीन पर उनका कब्जा नहीं, सेना का कब्जा है। दूसरे कथित रैयत प्रदीप बागची ने वर्ष 2021 में आनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से पोजेशन सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, बिजली बिल देकर रांची नगर निगम से होल्डिंग करवा लिया गया। नगर निगम ने भी बिना भौतिक सत्यापन के होल्डिंग कायम किया। आयुक्त कार्यालय ने अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाया था और अपने निष्कर्ष में प्रदीप बागची के निबंधित दस्तावेज पर सवाल उठाते हुए कपटपूर्ण निबंधित कराने के आरोपों को सही पाया था।