बिहार: लालू प्रसाद के साले व एक्स एमपी साधु यादव को तीन साल की सजा, MPMLA कोर्ट का फैसला

एमपीएमएलए कोर्ट ने सोमवार को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साले व एक्स एमपी साधु यादव को तीन वर्ष की कैद की सजा सुनायी है। 16 हजार रुपये जुर्माना की सजा मिली है।

बिहार: लालू प्रसाद के साले व एक्स एमपी साधु यादव को तीन साल की सजा, MPMLA कोर्ट का फैसला

पटना। एमपीएमएलए कोर्ट ने सोमवार को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साले व एक्स एमपी साधु यादव को तीन वर्ष की कैद की सजा सुनायी है। 16 हजार रुपये जुर्माना की सजा मिली है।

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मामला सरकारी ऑफिस में घुसकर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अफसरों से बदसलूकी करने से जुड़ा है। एमपीएमएलए कोर्ट ने आईपीसी की धारा 353 में दो साल की कैद व 5 हजार रुपये जुर्माना, धारा 448 में एक साल की सजा व एक हजार रुपये जुर्माना, धारा 506 में दो साल कैद व पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया है। 347 में तीन वर्ष कैद व पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया है। जुर्माना नहीं देने पर एक माह की अतिरिक्त सजा होगी। उन्हें कोर्ट ने प्रोविजिनल बेल भी दे दी है।

लालू -राबड़ी राज में बड़ी धाक हुआ करती थी साधु की
लालू यादव के हाथ से बिहार की सत्ता जाने के बाद साधु के साथ बहन व जीजा के साथ रिश्ते की डोर कमजोर हो गई। वे राजनीति में अर्श से फर्श पर आ गये। बिहार में लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी की सरकार के दौर में लालू के दोनों साले अनिरुद्ध यादव उर्फ साधु यादव एवं सुभाष यादव की बड़ी हैसियत हुआ करती थी।लालू राज के समय शासन-प्रशासन में उन्हें लालू व राबड़ी का दायां हाथ माना जाता था। लालू ने साधु को विधान परिषद सदस्य व विधायक भी बनाया। 2004 के लोकसभा चुनाव में राजद की टिकट से साधु यादव गोपालगंज सीट से एमपी भी बने। लालू ने अपने दूसरे साले सुभाष यादव को भी राजनीति में आगे बढ़ाया। वे राज्यसभा एमपी थे। 

तेजस्वी का शादी के बाद बगावत पर उतर गये थे साधु यादव खुलकर 
लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव की शादी के बाद उनके मामा साधु यादव खुलकर बगावत पर उतर गये थे। उन्होंने तो तेजस्वी के पटना आने पर जूतों की माला से स्वागत करने की बात तक कह दी थी। लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने मामा साधु यादव को अपनी हद में रहने, नहीं तो गर्दा छुड़ा देने की धमकी भी दे डाली थी। साधु यादव का लालू परिवार से रिश्ता इतना कमजोर हो गया की उन्होंने अपनी भांजियों, बहन राबड़ी देवी व जीजा लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मोर्चा तक खोल दिया था।

वर्ष 2001 जनवरी महीने में साधु यादव पर संयुक्त परिवहन कार्यालय में अधिकरियों के साथ गोली चलाकर दहशत फैलाने, रंगदारी न देने पर मारपीट करने, सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कराया गया था। इस मामले की सुनवाई पटना के एमपीएमएलए कोर्ट में चल रही थी। उक्त मामले में एमपीएमएलए कोर्ट ने साधु यादव को दोषी पाते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई है। कानून के अनुसार यह नियम है कि तीन साल या इससे कम की सजा मिलने पर साथ में ही प्रोविजिनल बेल दे दी जाती है। बेल को कंफर्म करने के लिए साधु यादव को एक महीने के अंदर डिस्ट्रिक जज के पास अपील याचिका दायर करनी होगी। वहां से आदेश मिलने के बाद ही इनकी बेल कंफर्म होगी। साधु के लिए राहत की बात यह है कि इस बीच उनकी गिरफ्तारी नहीं की जायेगी। साधु पर आरोप था कि वह 18 जनवरी की शाम संयुक्त परिवहन कार्यालय में चल रही बैठक के दौरान पहुंच गये थे। उनके साथ 10 से 15 आदमी और दो ब्लैक कमांडो मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने वहां बैठे परिवहन आयुक्त, अवर सचिव, शाखा पदाधिकारियों को कार्यालय से बाहर जाने का आदेश दिया था। आरोप है कि इस दौरान कर्मचारियों के साथ बल का प्रयोग भी किया गया।