बिहार: शेखपुरा में हसबैंड से नोकझोक के बाद डॉ. बरखा सोलंकी ने कर लिया सुसाइड

शेखपुरा की फेमस ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. बरखा सोलंकी (32) ने डॉक्टर हसबैंड से विवाद के बाद फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। डॉ. सोलंकी अपनी छोटी बेटी को पास में ही रहने वाले अपने पिता की गोद में देकर आई थीं। अगले दिन बेटी को लाने की बात कही। घर लौटकर आईं और बाथरूम में फंदा लगाकर झूल गईं।

बिहार: शेखपुरा में हसबैंड से नोकझोक के बाद डॉ. बरखा सोलंकी ने कर लिया सुसाइड
  • बेटी को नाना के यहां छोड़ा, फिर घर आकर फंदे से झूल गईं

बिहार। शेखपुरा की फेमस ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. बरखा सोलंकी (32) ने डॉक्टर हसबैंड से विवाद के बाद फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। डॉ. सोलंकी अपनी छोटी बेटी को पास में ही रहने वाले अपने पिता की गोद में देकर आई थीं। अगले दिन बेटी को लाने की बात कही। घर लौटकर आईं और बाथरूम में फंदा लगाकर झूल गईं।

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हसबैंड से विवाद हुआ था, पिता ने समझाकर भेजा था घर

शेखपुरा टाउन के जखराज स्थान गिरिहिंडा की डॉ बरखा सोलंकी प्रसिद्ध डॉक्टर थीं। उनके सुसाइड की सूचना मिलते ही काफी संख्या में लोग पहुंच गये। लोकल लोगों के अनुसार उनका डॉक्टर पति से लंबे समय से विवाद था। लेकिन विवाद की वजह सामने नहीं आई है।
डॉ. बरखा सोलंकी पिता डॉ. एमपी सिंह ने बताया कि रात नौ बजे वाइफ-हसबैंड के बीच नोकझोंक हुई थी। मैंने बेटी को बुलाकर समझाया था। बेटी से कहा था कि दांपत्य जीवन में ऐसा होता है। किसी बात को ईगो नहीं बनाना चाहिए। मैंने अपनी वाइफ और बरखा के साथ डिनर किया। उस दौरान मुझे लगा कि बरखा अब सामान्य हो गई है।

डॉ. एमपी सिंह ने कहा कि  रात के 11 बजे बरखा ने अपनी छोटी बेटी को सुलाने के लिए मेरी गोद में देकर खुद सोने चली गई। अक्सर छोटी नतिनी मेरे पास ही रात में सोती है। रात के 12 बजे अचानक उनका दामाद का फोन आया कि बरखा बाथरूम से आधे घंटे से नहीं निकली है। अंदर से दरवाजा बंद है। यह बात सुनकर मुझे अनहोनी की चिंता सताने लगी। तब कमरे से बाथरूम का चाभी लेकर दरवाजा खोला।

डॉ. बरखा सोलंकी को है दो बेटियां 

डॉ. बरखा सोलंकी शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक, समाजसेवी एवं रिटायर सिविल सर्जन डॉ. एमपी सिंह की बेटी थीं। डॉ. सोलंकी की दो बेटियां एक छह साल और दूसरी की दो साल है। वह शहर के जखराज स्थान के पास ही निभा नर्सिंग होम के बगल में अपना क्लीनिक नीता आंख हॉस्पिटल चलाती थीं। वह सदर अस्पताल शेखपुरा में भी चिकित्सक के पद पर तैनात थीं। वे बड़े पैमाने पर मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर में सैकड़ों मरीजों का मुफ्त ऑपरेशन और इलाज कर चुकी थीं। उनके हसबैंड भी फेमस हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ प्रशांत कुमार हैं।