पटना।बिहार के राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज है। सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वीज यादव दो दिनों में दो बार मिले हैं। दोनों की मुलाकात को लेकर राजनीतिक हलचल है। तेजस्वीं की पहल पर मंगलवार को दोनों में मुलाकात हुई थी। बुधवार को नीतीश ने इसकी पहल की। बुधवार को दोनों नेताओं ने संग-संग चाय की चुस्की भी ली।
बिहार में महागठबंधन की दोस्ती टूटने के बाद सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच दो दिनों में दूसरी मुलाकात के कई निहितार्थ ढूंढे जा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मंगलवार को सीएम नीतीश कुमार को संदेश भेजकर विधानसभा स्थित उनके कक्ष में मुलाकात की थी। बताया गया कि एनआरसी (NRC) और एनपीआर (NPR) पर विधानसभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव को लेकर दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात हुई। बुधवार को मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष की विधानसभाध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के कक्ष में दोबारा मुलाकात हुई। इस बार पहल दूसरी ओर से था। विधानसभा में गवर्नर के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सरकार की ओर से जवाब देने के बाद सदन की कार्यवाही जैसे ही स्थगित हुई, नीतीश कुमार विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में पहुंचे। वहां आरजेडी के सीनीयर लीडर अब्दुल बारी सिद्दीकी भी मौजूद थे।इसी बीच राजद के ललित यादव भी वहां पहुंच गये। यादव जैसे ही वहां पहुंचे सिद्दीकी ने उन्हें इशारा किया कि सीएम तेजस्वी के साथ चाय पीना चाहते हैं। ललित यादव यह संवाद लेकर नेता प्रतिपक्ष के यहां पहुंचे। कुछ ही क्षणों में तेजस्वी स्पीकर के कक्ष में पहुंच गये। 15-20 मिनट तक दोनों ने एक साथ चाय पी और बात की। इसके बाद तेजस्वी वहां से निकल गये।
महागठबंधन से अलग होने के बाद सीएम और नेता प्रतिपक्ष के संबंध में करवाहट आ गयी थी। तेजस्वी लगातार सीएम के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे।लेकिन दो तीन-महीने से इसमें नरमी के संकेत मिलने लगे हैं। दिसंबर में विधानसभा के पिछले सत्र में तेजस्वी विधानसभा में उपाध्यक्ष पद को लेकर मिले थे।
NRC-NPR को ले JDU-RJD के बीच बनी सहमति से हैरत में सियासी गलियारा
एनपीआर के प्रस्तावित प्रारूप और एनआरसी को बिहार में लागू न करने के प्रस्ताव पर जेडीयू व आरजेडी के बीच बनी सहमति ने सभी राजनीतिक पार्टियों को हैरत में डाल दिया है। विधानसभा में जिस सिलसिलेवार ढंग से यह प्रस्ताव पारित हुआ, यही लगा कि भूमिका पहले की लिखी हुई थी। विपक्ष का कार्य स्थगन प्रस्ताव तुरंत स्वीकार हो जाए। सरकार दस्तावेज के साथ जवाब देने के लिए तैयार रहे। ऐसा अपवाद में ही होता है।विधानसभा में यही मंगलवार को हुआ।
राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ताओं को बुधवार को यही संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रस्ताव प्रकरण को अधिक गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। प्रस्ताव में वही बातें हैं, जो नीतीश कुमार पहले भी कहते रहे हैं- बिहार में एनआरसी की कोई जरूरत नहीं है। नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के प्रारूप के नए प्रावधान स्वीकार्य नहीं है। सिर्फ यह नया हुआ कि इसे विधानसभा में विपक्ष ने रखा। सेंट्रल मिनिस्टर रामविलास पासवान ने इस प्रस्ताव का स्वा गत किया है।