धनबाद:नहाय-खाय के साथ 31 अक्टूबर गुरुवार से चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत हो जायेगी. छठ व्रतियों ने अभी से पूजा की तैयारी शुरू कर दी है.बाजार में भी सूप-डाला और नारियल की दुकानें सज गयी हैं.मंडी में पूजा के सामानों के लिए अभी से बुकिंग शुरू हो गयी है. पूजा को लेकर सूप-डाला की दुकानें सज गयी है.नारियल व्यवसायी भी नारियल का स्टॉक मंगवा लिया है. केरल व कोलकाता से नारियल मांगया जाता है. छठ पूजा के दौरान नारियल की काफी मांग रहती है, केला, सेब, अनार आदि फलों का दुकान में स्टॉक कर लिया गया है.
31 अक्टूबर : नहाय खायएक नवम्बर: खरनादो नवम्बर: शाम का अर्घ्यतीन नवम्बर: सुबह का अर्घ्यसूर्य की उपासना का महापर्व छठ के हैं चार अहम पड़ाव
सूर्य की उपासना का महापर्व छठ 31 अक्टूबर दिन गुरुवार से आरंभ होकर दो नवंबर दिन शनिवार तक चलेगा। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि के सूर्योदय तक छठ पूजा का पर्व चलता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ मैया की पूजा होती है. छठ पर्व दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है. छठ पूजा में विशेष तौर पर सूर्य और छठ मैया की पूजा की जाती है. उनकी पूजा से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है. छठ मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है.
छठ महापर्व मुख्यत: तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है.देश के अन्य हिस्सों में रहने के कारण दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े महानगरों में भी छठ पूजा की धूम देखने को मिलती है.
पहला दिन: नहाय खायदूसरा दिन: खरना और लोहंडातीसरा दिन: संध्या अर्घ्यचौथा दिन: ऊषा अर्घ्य, पारण का दिननहाय खाय- पंचांग के अनुसार, इस वर्ष नहाय खाय 31 अक्टूबर दिन गुरुवार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी.खरना और लोहंडा- इस वर्ष खरना और लोहंडा एक नवंबर दिन शुक्रवार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी.संध्या अर्घ्य डूबते सूर्य को दिया जाने वाला संध्या अर्घ्य दो नवंबर दिन शनिवार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि.ऊषा अर्घ्य और पारण- ऊषा अर्घ्य और पारण तीन नवंबर दिन रविवार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि.
छठ पूजा के चारों दिनों व्रती के घर में भजन और लोकगीत गाये जाते हैंकठिन नियम और सयंम से व्रत पूर्ण करने पर संतान प्राप्ति और संतान की कुशलता का वरदान प्राप्त होता है. मनोवांछित कार्यों की सफलता के लिए पुरुष भी छठ मैया का व्रत रखते हैं.
छठ पूजा में इन नियमों का करें पालन
छठ व्रत में करीब 36 घंटों तक व्रत रखने वाले को निर्जला रहना होता है. यह व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन माना जाता है. इस व्रत के नियम अन्य व्रतों से भिन्न और कठिन होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक माना गया है. इन नियमों का पालन न करने से व्रत निष्फल माना जाता है. सूर्य देव और छठी मैया का अशीर्वाद व्रत रखने वाले व्यक्ति और उसके परिवार को नहीं मिलता है.छठी मैया और सूर्य देव की आराधना को समर्पित छठ पूजा में नियमों का पालन करते हैं, तो व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. नियम तोड़ने पर व्रत निष्फल हो जाता है.पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा सगर ने सूर्य षष्ठी व्रत नियमपूर्वक नहीं किया था, जिसके कारण उनके 60 हजार पुत्र मार दिये गये थे.
छठ पूजा के नियम
व्रत रखने वाले व्यक्ति को जमीन पर चटाई बिछाकर सोना चाहिए. पलंग या तखत का प्रयोग वर्जित है.
चार दिन चलने वाले इस व्रत में प्रत्येक दिन स्वच्छ वस्त्र पहनने का विधान है, लेकिन शर्त ये है कि वे वस्त्र सिले हुए न हों. ऐसी स्थिति में व्रत रहने वाली महिला को साड़ी और पुरुष को धोती पहनना चाहिए.
यदि आपके परिवार में किसी ने छठ पूजा का व्रत रखा है तो परिवार के सदस्यों को तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए. व्रत से चार दिन तक शुद्ध शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करना चाहिए.
व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे चार दिनों तक मांस, मदिरा, धूम्रपान, झूठे वचन, काम, क्रोध आदि से दूर रहना चाहिए.