चांद पर भले ना उतर सका हो Chandrayaan 2, लेकिन लोगों के दिलों में जरूर उतर गया…

नई दिल्ली: 6 सितंबर की रात भारत के लिए ऐतिहासिक रही. हालांकि यह कामयाबी और बड़ी होती अगर चन्द्रयान 2 की सॉफ़्ट लैंडिंग चांद पर हो पाती, लेकिन इसके बावजूद भारत का यह मिशन और ISRO दुनिया भर के लोगों के दिलों में ज़रूर उतर गये. रात 1 बजकर 55 मिनट पर चन्द्रयान 2 चांद पर लैंड करने वाला था, लेकिन इस दौरान लैंडर विक्रम से उसका संपर्क टूट गया. लेकिन सवा अरब भारतीयों की उम्मीदें नहीं टूटी हैं. मून मिशन (Moon Mission) भले पूरा नहीं हुआ, लेकिन इस अभियान के जरिये इसरो ने जो उपलब्धि हासिल की है, वह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है. चंद्रयान-2 में इसरो अपने मिशन से महज दो कदम दूर रह गया.
रात में ISRO मुख्यालय पहुंचे पीएम
इसरो ने कई प्रयास के बाद रात करीब सवा दो बजे बताया कि लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया है. यह एक झटका जरूर था, लेकिन इसरो में मौजूद पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों का भरोसा बढ़ाया और उनके प्रयासों की सराहना करते हुए हौसलाफजाई की. पीएम ने कहा कि देश को अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है. वे देश की सेवा कर रहे हैं. आगे भी हमारी यात्रा जारी रहेगी. मैं पूरी तरह वैज्ञानिकों के साथ हूं. हिम्मत बनाए रखें, जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं.
2.1 किमी पर टूटा संपर्क
चांद से 2.1 किलोमीटर की दूरी तक लैंडर से संपर्क बना रहा था. इसके बाद वैज्ञानिक लैंडर से दोबारा संपर्क नहीं साध पाए. इसरो का कहना है कि लैंडिंग के अंतिम क्षणों में जो डाटा मिला है, उसके अध्ययन के बाद ही संपर्क टूटने का कारण पता चल सकेगा. इस मौके पर इसरो के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय में मौजूद रहे प्रधानमंत्री मोदी ने वैज्ञानिकों से अपडेट लिया. इसरो प्रमुख सिवन जब पीएम को अपडेट दे रहे थे, तभी साथी वैज्ञानिकों ने सांत्वना में उनकी पीठ थपथपाई.
उम्मीदें अब भी कायम
लैंडर-रोवर से संपर्क भले ही टूट गया है, लेकिन ऑर्बिटर से उम्मीदें अभी भी कायम हैं. लैंडर-रोवर को दो सितंबर को ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग किया गया था. ऑर्बिटर अब भी चांद से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर कक्षा में सफलतापूर्वक चक्कर लगा रहा है. इसरो को उससे संकेत और जरूरी डाटा प्राप्त हो रहे हैं.
आधी रात में ISRO की ओर टिकी थीं निगाहें
1:38 बजे रफ ब्रेकिंग की प्रक्रिया शुरू हुई. इसकी प्रोग्रामिंग पहले से चंद्रयान में की गई थी.
1:40 बजे चांद की सतह से 30 किमी दूर मौजूद विक्रम लैंडर ने नियंत्रित रूप से उतरना शुरू किया.
1:40 बजे जब चंद्रयान ने चांद की सतह पर उतरने की शुरूआत की, उसकी रफ्तार 6 किमी प्रति सेकेंड मतलब 21600 किमी प्रति घंटे थी.
1:48 बजे रफ्तार धीमी करने को फाइन ब्रेक्रिंग शुरू. इसकी भी प्रक्रिया पहले से चंद्रयान में प्रोग्राम की गई थी.
1:48 बजे जब फाइन ब्रेक्रिंग प्रक्रिया शुरू हुई, चंद्रमा से लैंडर की दूरी मात्र 7.4 किमी थी.
1:51 बजे लैंडर से आंकड़े मिलने बंद हो गए.
चंद्रयान-2 का पूरा सफर
22 जुलाई 2019 को इसरो के रॉकेट बाहुबली (जीएसली-मार्क 3) से हुई थी चंद्रयान-2 की लांचिंग.
23 दिन तक पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में परिक्रमा लगाता रहा चंद्रयान-2.
14 अगस्त 2019 को लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी पर भेजा गया चंद्रयान-2.
20 अगस्त 2019 को चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक किया प्रवेश.
01 सितंबर 2019 को चांद की निकटतम कक्षा में पहुंचाया गया चंद्रयान-2.
02 सितंबर 2019 को लैंडर-रोवर को ऑर्बिटर से अलग किया गया.
04 सितंबर 2019 तक दो बार कक्षा में बदलाव करते हुए लैंडर-रोवर को चांद की नजदीकी कक्षा में लाया गया.
अब 'ऑर्बिटर' के कंधे पर जिम्मेदारी
बता दें कि चंद्रयान-2 के तीन हिस्से थे - ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान. फिलहाल लैंडर-रोवर से संपर्क भले ही टूट गया है, लेकिन ऑर्बिटर की उम्मीदें अभी कायम हैं. लैंडर-रोवर को दो सितंबर को ऑर्बिटर से अलग किया गया था. ऑर्बिटर इस समय चांद से करीब 100 किलोमीटर ऊंची कक्षा में चक्कर लगा रहा है.
2379 किलोग्राम वजन वाला ऑर्बिटर यहां कई अहम जिम्मेदारियों को अंजाम देगा. ऑर्बिटर बेंगलुरु में स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आइएसडीएन) से संपर्क में रहेगा. इस पर लगे हुए पेलोड भी कई काम करेंगे.
चांद का एक्सरेचंद्रयान-2 पर लगा लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर यहां सतह पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश के आधार पर यहां मौजूद मैग्नीशियम, एल्यूमिनियम, सिलिकॉन आदि का पता लगाएगा.
3डी मैप बनेगा
यान पर लगा लगा पेलोड टेरेन मैपिंग कैमरा हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरों की मदद से चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा. इससे चांद के अस्तित्व में आने से लेकर इसके विकासक्रम को समझने में मदद मिलेगी.
पानी व अन्य खनिजों के जुटाएगा प्रमाण
इमेजिंग आइआरएस स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से यहां की सतह पर पानी और अन्य खनिजों की उपस्थिति के आंकड़े जुटाने में मदद मिलेगी.