धनबाद: सेल चासनाला कोलियरी डिवीजन में 20 साल से पोस्टेड पिस्टल वाले दबंग अफसर की जोरदार चर्चा

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धनबाद: सेल चासनाला कोलियरी डिवीजन में 20 साल से  पोस्टेड पिस्टल वाले दबंग अफसर की जोरदार चर्चा
  • आइएएस,आइपीएस व एडमिस्ट्रेटिव अफसर को करीबी बताते हैं करीबी
  • विवाद कराने व सलटाने के तरीके भी हैं मालूम
  • जीएम व ईडी कोई आये कंपलेन के बावजूद यह जिम्मे हैं महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट

धनबाद। सेल की चासनाला कोलियरी डिवीजवन के पिस्टल वाले दबंग साहब आजकल चर्चा में हैं। इनकी पावर व पहुंच का कोलियरी के अफसर ही नहीं यूनियन लीडर भी लोहा मनाते हैं। जब जहां जरुरत पड़ी यह विवाद करा देते हैं। अपनी पॉलिटिक्स से विवाद सलटा अफसरों की नजर में करीबी बन जाते हैं। 
20 साल से जमें हैं चासनाला में, कंपलेन के बाद भी कार्रवाई नहीं
दबंग साहब पहले ही कंट्रेक्टर के अंदर में मुंशी थे। वर्ष 2000 में इस्को चासनाला में ओवरमैन में बहाल हुए।बहाली के बाद बीबीए आदि डिग्री हासिल कर लिये। अब एजीएम बन गये हैं। कितने ईडी व जीएम बदले लेकिन दबंग साहब अंगद की पांव की तरह चासनाला में जमे रहे। आठ-आठ बार प्रमोशन लिये लेकिन ट्रांसफर नहीं हुआ। इनके खिलाफ सीबीआइ व विजिलेंस में भी कंपलेन हुआ लेकिन इनका कुछ नहीं हुआ। इनके बदले इनके जूनियर व कलिग फंस जाते हैं। 
लाइजनिंग व सर्विस देने में हैं माहिर
जुगाड़ परफार्मेंस बल पर दबंग साहब एजीम होकर कोलियरी के महत्वपूर्ण चार्ज में रखे हैं। अप्रत्यक्ष रुप से कोलियरी में इलिगल वर्क में इनकी संलिप्ता रहती है। विरोध करने वालों को पुलिस में केस कर फंसाने की धमकी दी जाती है। साहब लाइजनिंग व सर्विस देने में हैं माहिर हैं। आइएएस,आइपीएस व एडमिस्ट्रेटिव अफसर को करीबी बताकर यूनियन अफसर व नेताओं को भयक्रांत करते हैं। कहते हैं फलां अफसर को कंपनी ओर से गाड़ी दी है, तेल देते हैं। जब जिले चाहेंगे जेल भिजवा देंगे। साहब आर्म्स का लाइसेंस ले रखे हैं। ऑफिस में आर्म्स लेकर भी पहुंच जाते हैं। 

पर्सनल विवाद को कंपनी व अफसर के सहारे लड़ते हैं
कोलियरी में किसी घटना को लेकर कोई विवाद हो दबंग साहब का उसमें अप्रत्यक्ष रुप से शामिल रहते हैं। सीनीयर अफसर परेशान होते हैं तो जुगड़ा तकनीक बताकर सलटाने के काम करते हैं। सीनीयर अफसर के सामने नेताओं व जन प्रतिनिधियों को फोन लगाकर अपनी संबंध दर्शाते हैं। साहब से सक्षम कई कोलियरी में ऑफिसर हैं बावजूद वह कंपनी का वह डिपार्टमेंट अपने जिम्मे में ले रखा है। अपनी निजी लड़ाई को कंपनी के माथे मढ़कर लड़ते हैं। इसमें कंपनी को आर्थिक क्षति उठाना पड़ता है।

सीबीआइ व विभाग में हुई है कंपलेन

साहब के खिलाफ कंपलेन करने वालों को परेशान किया जाता है। कंट्रेक्टर हो या कांटा, सिक्युरिटी हो या अन्य कोई डिपार्टमेंट साहब की चलती रही है। साहब कहते हैं कि सीबीआइ कुछ नहीं बिगाड़ सका तो पुलिस प्रशासन क्या करेगी। जो उनकी नहीं सुनेगा वह अफसर व नेता कनूनी लफड़े में फंसेगा।