झारखंड: मुखिया से लेकर जिला परिषद अध्यक्ष को मिला पावर, पंचायत चुनाव होने तक काम करेंगी कार्यकारी समितियां

झारखंड में पंचायतत चुनाव होने तक जिला परिषद से लेकर मुखिया तक का अधिकार कार्यकारी समितियों के जिम्मे रहेगा। इन समितियों में कार्यकारी प्रधान अलग-अलग स्तरों के लिए मुखिया से लेकर जिला परिषद अध्यक्ष तक होंगे। उपाध्यक्ष और सदस्यों के रूप में सरकारी अफसरों को भी नामित कर दिया गया है।

झारखंड: मुखिया से लेकर जिला परिषद अध्यक्ष को मिला पावर, पंचायत चुनाव होने तक काम करेंगी कार्यकारी समितियां
  • पंचायती राज विभाग ने जारी की नोटिफिकेशन

रांची। झारखंड में पंचायतत चुनाव होने तक जिला परिषद से लेकर मुखिया तक का अधिकार कार्यकारी समितियों के जिम्मे रहेगा। इन समितियों में कार्यकारी प्रधान अलग-अलग स्तरों के लिए मुखिया से लेकर जिला परिषद अध्यक्ष तक होंगे।

उपाध्यक्ष और सदस्यों के रूप में सरकारी अफसरों को भी नामित कर दिया गया है। अब उप मुखिया, उप प्रमुख व उपाध्यक्ष भी पावर में आ गये हैं।  ऐसे में अब पंचायती राज अधिनियम के तहत कोई काम नहीं रुकेगा। राज्य सरकार को केंद्र से मदद मिलती भी रहेगी। पंचायती राज विभाग ने इसकी नोटिफिकेशन जारी कर दी है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना  महामारी के कारण पंचायतों का चुनाव समय पर नहीं हो सका है। फिलहाल चुनाव होने की संभावना भी नहीं दिख रही है। जनवरी माह में पंचायत चुनाव करा लिया जाना था, जिसे छह महीने के लिए बढ़ाकर जुलाई तक का कार्यकाल दिया गया था। अब नई नोटिफिकेशन में चुनाव होने तक की तिथि के लिए कार्यकारी समितियों को शक्तियां दी गई हैं।

ग्राम पंचायत कार्यकारी समिति

अध्यक्ष सह कार्यकारी प्रधान - मुखिया, उपाध्यक्ष अभी तक कार्यरत उपमुखिया, सदस्य -विघटित पंचायत के सभी निर्वाचित वार्ड सदस्य, प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, प्रखंड समन्वयक और अंचल निरीक्षक के अलावा बीडीओ के स्तर से एक नामित सदस्य भी कार्यकारी समिति में सदस्य के तौर पर कार्यरत होंगे।अनुसूचित क्षेत्र के लिए भी यही फार्मूला प्रभावी होगा।

पंचायत समिति कार्यकारी समिति

पंचायत समिति के विघटन तक कार्यरत प्रमुख को इस समिति का कार्यकारी प्रधान मनोनीत किया गया है। उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों का मनोनयन पूर्व की भांति होगा। जिला परिषद कार्यकारी समिति में हाल तक कार्यरत अध्यक्ष को कार्यकारी प्रधान का जिम्मा मिला है। उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों के अलावा जिला परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को सदस्य के तौर पर रखा गया है।
कोरोना महामारी का हवाला देते हुए झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 से संबंधित संशोधन अध्यादेश जारी कर दिया है। पंचायती राज अधिनियम की धारा 24 की उप धारा 4 के बाद नई उप धारा 5 को जोड़ा गया है। इसके तहत  पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल अगले चुनाव होने तक बढ़ गया है।