राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद की विदाई पर भावुक हुए पीएम मोदी, कहा कि वे उन्हें निवृत्त नहीं होने देंगे, सियासी अटकलें तेज

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस के सीनीयर लीडर गुलाम नबी आजाद को विदाई देते हुए मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी काफी भावुक हो गये। सदन में पीएम बार-बार खुद को संभालते दिखे। जवाब में आजाद की नम आंखों में मोदी के लिए सम्मान दिखा

  • पीएम ने गुलाम नबी को बताया अपना खास मित्र
  • राज्यसभा के चार सांसदों की विदाई पर पीएम मोदी ने गुलाम नबी आजाद की खूब तारीफ की

नई दिल्ली। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस के सीनीयर लीडर गुलाम नबी आजाद को विदाई देते हुए मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी काफी भावुक हो गये। सदन में पीएम बार-बार खुद को संभालते दिखे। जवाब में आजाद की नम आंखों में मोदी के लिए सम्मान दिखा। 

देश में  पिछले छह सात वर्षो में जिस तरह की तीखी राजनीति हो रही है उसमें इस क्षण को भी केवल भावुकता के बजाय राजनीति के चश्मे से देखा जाने लगा है। इसे इस बात से और बल मिला जब खुद पीएम ने आजाद के अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि वे उन्हें निवृत्त नहीं होने देंगे। मोदी ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते हुए कहा कि मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी जी के बाद इस पद को जो संभालेंगे उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्कत पड़ेगी।

बतौर सीएम कई अवसरों पर दोनों नेताओं के बीच हुई खास चर्चा

पीएम मोदी और आजाद के भाषणों के छोटे छोटे पल बहुत कुछ कहते दिखे। जम्मू-कश्मीर गए गुजरात के पर्यटकों की आतंकियों द्वारा हत्या और तत्कालीन सीएम आजाद की ओर से प्रतिक्रिया का जिक्र करते हुए पीएम ने आजाद को मित्र करार दिया।उन्होंने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री कई अवसरों पर दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। खुद मोदी ने बताया कि आजाद से उनका परिचय सीएम बनने के पहले से रहा है। हालांकि बतौर मुख्यमंत्री आजाद का कार्यकाल महज ढाई तीन साल का था लेकिन इस काल में दोनों के बीच मित्रता बहुत गहरी हुई। उसका एक कारण संभवत: आतंकवाद भी हो सकता है क्योंकि जम्मू कश्मीर इससे लगातार जूझ रहा था और गुजरात में अक्षरधाम पर आतंकी हमले के बाद मोदी बहुत आहत थे।

राज्यसभा में मंगलवार की घटना ने दोस्ती पर जमी धूल की चादर को साफ कर दिया। मोदी ने साफ कर दिया कि कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य के रूप में वह रिटायर हो रहे हैं लेकिन मोदी के लिए उनकी अहमियत बरकरार है। वे उन्हें निवृत्त नहीं होने देंगे। पीएम के  दिलो दिमाग में क्या है इसका पता तो बाद में चलेगा लेकिन यह अटकल तेज हो गई कि आजाद प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कश्मीर के हालात सुधारने में सरकार की मदद कर सकते हैं। आजाद के विदाई भाषण में इसका थोड़ा पुट भी दिखा जब उन्होंने कांग्रेस में आने के लिए इंदिरा गांधी के साथ साथ संजय गांधी का भी नाम लिया जो पार्टी में लगभग बैन हैं।

फिलहाल बहुत कुछ भविष्य में छिपा है।आजाद के प्रति मोदी का व्यक्तिगत अनुराग एक कैटेलिस्ट का काम कर सकता है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान कांग्रेस के संभवत: सबसे पुराने व शीर्ष नेताओं में शामिल आजाद समेत दो दर्जन सीनीयर लीडर पिछले कुछ वर्षो को न सिर्फ हाशिए पर खड़ा किया गया है। बल्कि कुछ अवसरों पर तिरस्कार का भी सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के अंदर पुराने और युवा नेताओं की तकरार तेज है। इस कारण अधिकतर सीनीयर लीडर आहत हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में मंगलवार को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, शमशेर सिंह, मीर मोहम्मद फैयाज, नादिर अहमद को विदाई दी गयी। पीएम मोदी ने चारों सदस्यों को विदाई देते हुए कहा कि आप चारों महानुभावों को इस सदन की शोभा बढ़ाने, आपके अनुभव, आपके ज्ञान का सदन को और देश को लाभ देने के लिए और आपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान के लिए आपके योगदान का धन्यवाद करता हूं।