केरल: plane crash में मृत एक पेसैंजर कोरोना पॉजिटिव, घायलों से मिल भी नहीं सकेंगे कोई, मृतकों को 10-10 लाख मुआवजा

केरल: plane crash में मृत एक पेसैंजर कोरोना पॉजिटिव, घायलों से मिल भी नहीं सकेंगे कोई, मृतकों को 10-10 लाख मुआवजा
  • कोझिकोड में हुए प्लेन क्रैश में दो पायल समेत 18 पैसेंजर्स की हुई मौत
  • रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हर शख्स की होगी जांच, सभी को सेल्फ क्वारंटीन में भेजा गया
  • घायलों को भी किया गया आइसोलेट, फैमिली को भी नहीं मिलने दिया जायेगा

नई दिल्ली। केरल में शुक्रवार को हुए प्लेन क्रैश ने में दो पायलट समेत 18 लोगों की मौत हुई है। हादसे में में 127 लोग घायल हैं। घायल सभी पेसेंजर्स हॉस्पीटल में एडमिट हैं। एक मृत पैसेंजर्स कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद हॉस्पीटल में एडमिट घायलों को घरवाले से नहीं मिलने दिया जायेगा। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने दावा किया है एयर इंडिया एक्सप्रेस का प्लेन कोझीकोड हवाई अड्डे पर रनवे से लगभग 1,000 मीटर पहले ही टैक्सी-वे के पास टकरा गया था।

केरल गवर्नमेंट प्लेन हादसे में मारे गये लोगों के परिजनों को देगी 10-10 का मुआवजा
केरल सीएमओ की ओर से कहा गया कि सीएम पिनाराई विजयन ने विमान हादसे में मारे गए प्रत्येक पैसेंजर्स के परिजनों को 10-10 लाख रूपये का मुआवजा देगी।जानकारी के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने विमान से डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर बरामद किए। इन्हें आगे की जांच के लिए दिल्ली लाया जायेगा। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कोझिकोड एयरपोर्ट का दौरा किया। उन्होंने विमान हादसे में मुआवजे का भी ऐलान किया है। उन्होंने पीड़ितों को अंतरिम राहत के रूप में मृतकों के परिजन को 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को दो लाख रुपये और मामूली चोटों का सामना करने वालों को 50 हजार रुपये की सहयोग राशि देने का ऐलान किया है। उन्होंने दुर्घटना के बाद राहत और बचाव कार्यों का जायजा लिया। इसके बाद वह सीनियर एविएशन अफसर और प्रफेशनल्स के साथ चर्चा किये।

केरल के CMO ने बताया कि दुर्घटना में मारे गये लोगों एवं घायलों का कोरोना टेस्ट किया गया है। अब तक केवल एक का ही कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। एएआई के चेयरमैन अरविंद सिंह ने कहा है कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को वर्ष 2015 में रनवे के साथ कुछ दिक्कत थी, लेकिन उसे सुलझा लिया गया था। बाद में वर्ष 2019 में इसे मंजूरी भी दे दी गई थी। एयर इंडिया के जंबो जेट्स को भी वहां उतरेा गया है। विमान उस रनवे पर किसी कारण से नहीं उतर पाया था, जहां उसे उतरना था। इसके बाद वह दूसरे रनवे पर उतरा, जहां हादसा हो गया। उन्होंने कहा कि वे स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और कोशिश है कि हवाई अड्डे को जल्द से जल्द फिर से चालू किया जा सके।
कोझीकोड प्लेन क्रैश में जान गंवाने वाले सह-पायलट अखिलेश कुमार के चचेरे भाई बासुदेव ने बताया कि वह बहुत विनम्र और अच्छे व्यवहार वाले व्यक्ति थे। उनकी पत्नी अगले 15-17 दिनों में अपने बच्चे को जन्म देने वाली हैं। वह 2017 में एयर इंडिया में शामिल हुए थे और लॉकडाउन से पहले घर आये थे।केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान और सीएम पिनराई विजयन ने कोझिकोड मेडिकल कॉलेज का दौरा किया। यहां कोझिकोड विमान हादसे में घायल पैसेंजर्स एडमिट हैं।

विमान से डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर बरामद

विमान से डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) बरामद कर लिया गया है। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) को बरामद करने के लिए फ्लोरबोर्ड को काटा जा रहा है।DGCA ने पहले ही जांच के आदेश दे दिए हैं।

वंदे भारत अभियान पर था विमान

बोइंग 737 विमान वंदे भारत अभियान के तहत खाड़ी देशों में फंसे भारतीयों को वापस ला रहा था। कोझिकोड के कारीपुर एयरपोर्ट के टेबलटॉप रनवे संख्या 10 पर शुक्रवार की शाम सात बजकर 41 मिनट पर उतरते हुए हादसे का शिकार हो गया।र उसके दो टुकड़े हो गये। पहले हिस्से को ज्यादा नुकसान पहुंचा। गनीमत रही कि विमान में आग नहीं लगी और बड़ी संख्या में लोगों की जान बच गई। बारिश के चलते कम रोशनी भी हादसे की एक वजह बनी।

एएआइबी करेगा हादसे की जांच

नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हादसे पर गहरा दुख जताया। उन्होंने ने ट्वीट किया, 'कोझिकोड में हुई हवाई दुर्घटना से दुखी और व्यथित हूं। यात्रियों की मदद के लिए हर कोशिश की जा रही है। एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इंवेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआइबी) इस हादसे की जांच करेगा। 
विमान ने दो बार की थी उतरने की कोशिश

ग्लोबल फ्लाइट ट्रैकर वेबसाइट 'फ्लाइटरडार24' के मुताबिक केरल में एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान ने कोझिकोड एयरपोर्ट पर दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले कई बार ऊपर चक्कर लगाये थे।  दो बार और भी उतरने की कोशिश की थी, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई थी। विमान के एक पैसेंजर्स रियास ने भी इस बात की पुष्टि की कि विमान ने पहले भी दो बार उतरने की कोशिश की थी। एक अन्य यात्री फातिमा ने बताया कि विमान बहुत तेजी से नीचे उतरा था और आगे तक चला गया था।

रनवे से 1,000 मीटर पहले ही टैक्सीवे के पास टकरा गया था प्लेन
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की मानें तो एयर इंडिया एक्सप्रेस का प्लेन कोझीकोड हवाई अड्डे पर रनवे से लगभग 1,000 मीटर पहले ही टैक्सी-वे के पास टकरा गया था। भारी बारिश के कारण पायलट लैंडिंग के प्रयास में रनवे को नहीं देख सके। प्लेन की लैंडिंग 28 नंबर रनवे पर होनी थी, लेकिन पायलट को साफ नहीं दिख रहा था> इसलिए उन्होंने 10वें रनवे पर प्लेन लैंड करने का अनुरोध किया था। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर की ओर से बताया गया कि एयरक्राफ्ट टैक्सी-वे सी पर ही टच हो गया था जो रनवे से लगभग 1000 मीटर पहले है।
एक वर्ष पहले कोझिकोड एयरपोर्ट पर DGCA को मिली थी बडी खामियां, भेजा था कारण बताओ नोटिस
एविएशन रेगुलेटर डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने 11 जुलाई 2019 को एयरपोर्ट में कई सुरक्षा खामियां मिलने के बाद यहां के डायरेक्टर के श्रीनिवास को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। डीजीसीए ने इस कारण बताओ नोटिस में एयरपोर्ट के रनवे में क्रेक्स, यहां पर जलभराव और जरूरत से ज्या दा रबड़ की मौजूदगी भी पर डायरेक्टर के श्रीनिवास से जवाब मांगा था।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 की दो जुलाई को यहां पर सऊदी अरब के शहर दम्मारन से आए एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान का पिछले हिस्साद रनवे से टच हो गया था। इस घटना के बाद डीजीसीए ने चार-पांच जुलाई को यहां का दौरा किया था। इस दौरान डीजीसीए को यहां पर कई खामियां मिली थीं। इसके बाद ये कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। हालांकि इन खामियों को लेकर एयरपोर्ट के डायरेक्टर के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया या नहीं इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। इस घटना के एक वर्ष पूरा होने के बाद शुक्रवार को यहां पर एयर इंडिया इंडिया एक्सलप्रेस का विमान रनवे से फिसल कर करीब 30 फीट नीचे खाई में गिरकर दो हिस्सों में बंट गया था। इस विमान में 190 यात्री सवाल थे। इस घटना में 18 लोगों की मौत हो गई है। ये विमान एयरपोर्ट के रनवे संख्यान 10 पर उतरा था। जिस वक्त ये विमान रनवे पर उतरा उस वक्त यहां पर तेज बारिश हो रही थी। यहां पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ विमान बोइंग कंपनी का 737-800 का था।

पीटीआई को मिले कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि रनवे 28 पर टच डाउन की जगह पर क्रेक्स थे। टच डाउन जोन में इस तरह की खामियां कई जगहों पर दिखाई दी थीं। ये वो जगह होती है जहां पर विमान के पहिए पहली बार लैंडिंग के बाद रनवे को छूते हैं। टचडाउन जोन रनवे की दहलीज क्षेत्र से आगे का होता है। डीजीसीए ने रनवे पर सेंटर और लेफ्ट में अत्य धिक रबड़ के जमावड़े पर भी जवाब मांगा था। ये रबड़ टच डाउन जोन से सेंटर/लेफ्ट मार्किंग के दोनों तरफ दो मीटर तक पाई गई थी। नोटिस के मुताबिक इसी तरह से रनवे 10 पर भी डीजीसीए अधिकारियों को रबड़ मिली थी। जिस जगह विमान खड़े होते हैं वहां के स्टैंड नंबर 5 पर भी डीजीसीए को क्रेक्स मिले थे। यहां पर एप्रेन सर्फेस की जगह पर भी डेमेज मिला था। एप्रेन वो जगह होती है जहां पर विमान पार्क होते हैं और तेल लेते हैं। यहां से ही विमान में यात्री भी बैठते हैं।

नोटिस में कहा गया था कि एयरक्राफ्ट नंबर वन के पीछे एप्रेन का भी यही हाल था। इसको तुरंत मरम्मत की जरूरत पर जो दिया गया था। डीजीसीए को यहां पर एक्वुीएस फिल्म फोर्मिंग फोम कंसंट्रेट (Aqueous Film Forming Foam concentrate) के रिजर्व स्टॉक को भी कम पाया गया था। इसके अलावा डीसीपी कॉम्लेखा  मेंटी एजेंट भी कम पाया गया था। इनका इस्तेरमाल आग बुझाने के दौरान किया जाता है। ये सभी एयरक्राफ्ट रेस्यू्त   एंड फायर फाइटिंग (ARFF) के तहत आते हैं।

टेबलटॉप एयरपोर्ट पर क्यों मुश्किल होती विमानों की लैंडिंग
कोझिकोड एयरपोर्ट पर हुए विमान हादसे ने एक बार फिर से देश के टेबलटॉप एयरपोर्ट के खतरे की तरफ ध्या न खींचाहै। वर्ल्ड इस तरह के गिने-चुने ही एयरपोर्ट हैं।कोझिकोड एयरपोर्ट को वर्ष 1988 की 13 अप्रैल को खोला गया था। इसके 18 वर्ष बाद 2006 में इस एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट में बदल दिया गया। ये एयरपोर्ट केरल का तीसरा और इंडिया का 11वां सबसे व्यास्त एयरपोर्ट है। कोझिकोड एयरपोर्ट एक टेबलटॉप एयरपोर्ट है। टेबलटॉप एयरपोर्ट विमान को उतारने के लिए काफी खतरनाक माने जाते हैं। यहां पर बड़े विमानों का परिचालन बैन होता है। यहां पर विमानों की सफल लैंडिंग अधिकतर पायलट के अनुभव और उसकी सूझबूझ पर ही टिकी होती है। इसलिए यहां पर लैंडिंग के दौरान किसी भी तरह की गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती है। 

क्या होते हैं टेबलटॉप एयरपोर्ट 

टेबलटॉप एयरपोर्ट एक पहाड़ी पर बने होते हैं। इन एयरपोर्ट के चारों तरफ या रनवे के दोनों ही तरफ खाई होती हैं। पहाड़ी पर बने होने की वजह से ही इनका रनवे दूसरे एयरपोर्ट की तुलना में काफी छोटा भी होता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंीकि पहाडि़यां सीमित दायरे में होती हैं। इन्हेंल समतल कर इस पर रनवे बनाया जा सकता है। ऐसे पहाड़ी पर होने की ही वजह से इन एयरपोर्ट्स पर रनवे एंड सेफ्टी एरिया भी कम ही होता है। ये एरिया बताता है कि रनवे के बाद विमान को सही सलामत रखने के लिए कितनी दूरी है। ऐसे एयरपोर्ट्स पर रनवे की लंबाई के अलावा उनकी चौड़ाई भी कम ही हुआ करती हैं।

टेबलटॉप एयरपोर्ट कहां-कहां है

वर्ल्ड के चार देश में ही टेबलटॉप एयरपोर्ट हैं। इनमें इंडिया में केरल का कालीकट इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मंगलोर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मिजोरम का लेंगपुई एयरपोर्ट और सिक्किम का पाकयोंग एयरपोर्ट शामिल है। इसके अलावा गोवा, पोर्ट ब्लेसयर, लेह के एयरपोर्ट को भी लैंडिंग के लिहाज से डैंजर माना जाता है। नेपाल का ताल्चार एयरपोर्ट, तेंजिंग एयरपोर्ट, त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, तुमलिंग्ताहन एयरपोर्ट भी टेबलटॉप एयरपोर्ट हैं। नीदरलैड में कैरेबियना द्वीप पर बना जुआनचो एयरपोर्ट भी एक टेबलटॉप एयरपोर्ट है। इसके अलावा अमेरिका में केलीफॉर्निया का केटलीना एयरपोर्ट, एरिजोना का सेडोना एयरपोट, पश्चिमी वर्जीनिया का यीगर एयरपोर्ट भी इसी तरह के टेबलटॉप एयरपोर्ट हैं।

लैंडिंग में क्याक होती है परेशानी

टेबलटॉप एयरपोर्ट पर विमानों को उतारने के लिए ज्या दा मुश्किलें होती हैं। यहां का रनवे छोटा होना ही एक बड़ी समस्याय नहीं होती है। बल्कि इस तरह के एयरपोर्ट पर अक्सर मौसम में होने वाला बदलाव कई बार परेशानी का सबब बनता है। इसके अलावा तेज हवा भी पायलट के लिए बड़ी चुनौती बनती है। इतना ही नहीं मानसून के मौसम में तो ये एयरपोर्ट जानलेवा अधिक हो जाते हैं। रनवे गीला होने की वजह से यहां पर विमान के फिसलने का डर ज्यारदा होता है। यहां पर पायलटों को साफतौर पर निर्देश दिए जाते हैं कि यदि वे तय दूरी में टच डाउन करने में नाकामयाब होते हैं तो विमान को दोबारा हवा में ले जाएं और फिर कोशिश करें। ऐसा न करने पर विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के आसार बढ़ जाते हैं। साउथ इंडिया में इस तरह के एयरपोर्ट हर वर्ष जून से सितंबर तक काफी खतरनाक हो जाते हैं।

अपग्रेड किये गये एयरपोर्ट

ऐसा इसलिए क्योंरकि उस समय दक्षिण पश्चिम मानसून सक्रिय हो जाता है। उसकी वजह से इन इलाकों में काफी तेज बारिश होती है। इसके अलावा मई में यहां पर मौसम साफ होने की वजह से विमानों को उतारने में कोई परेशानी नहीं होती है। लेकिन मानसून में हालात भयंकर हो जाते हैं। मानसून के दौरान बादल अक्सर रनवे के काफी करीब होते हैं जिसकी वजह से पायलट को देखने में काफी दिक्कत होती है। मंगलोर समेत जयपुर और पोर्ट ब्ले यर के एयरपोर्ट पर बोइंग 737-200 विमानों को उतारने के लिए यहां के रनवे को 2450 मीटर का किया गया है। इसके बाद यहां पर एयरबस 320 को भी उतारा जा सकता है। यहां के रेस्यूार   और फायर सेफ्टी सर्विस को भी अपग्रेड कर केटेगरी 7 का किया गया है। यहां के रनवे को रात में सही लैंडिंग के लिहाज से तैयार किया गया है।

पटना-जम्मू में भी हो सकते हैं ऐसे हादसे!

यदि समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाये गये तो  तो कोझिकोड जैसे विमान हादसे पटना और जम्मू जैसे एयरपोर्ट पर भी हो सकते हैं। एयर सेफ्टी एक्सपर्ट मानना है कि नौ  साल पहले ही चेतावनी दी थी कि कालीकट (अब कोझिकोड) एयरपोर्ट लैंडिंग के लिए सुरक्षित नहीं है।टेबल टॉप रनवे'में जगह की कमी होती है और इसलिए अधिक सुरक्षात्मक उपायों की आवश्यकता होती है।'कोझिकोड में रनवे के बाद 70 मीटर गहरी खाई है। मैंगलोर में तो गहराई 70 मीटर है। यदि कोई विमान रनवे से आगे निकल जाए तो बचने की कोई संभावना नहीं होती। पटना या जम्मू एयरपोर्ट पर खतरनाक एयरपोर्ट हैं और इनके सुरक्षा के उपाय नहीं हैं।'