Jharkhand : जेपीएससी 2010 के मार्क्स से तय होगी झारखंड में DSP की वरीयता, हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

झारखंड हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि DSP पद के लिए वरीयता सूची 2010 में हुए JPSC एग्जाम में अभ्यर्थियों द्वारा प्राप्त अंकों के आधार पर ही बनेगी। इससे कई विवादों पर विराम लगने की संभावना है।

Jharkhand : जेपीएससी 2010 के मार्क्स से तय होगी झारखंड में DSP की वरीयता, हाईकोर्ट का बड़ा आदेश
झारखंड हाईकोर्ट (फाइल फोटो)।

रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य के डीएसपी की वरीयता सूची के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जस्टिस दीपक रोशन की कोर्ट ने वर्ष 2016, 2017, 2018 और 2024 में जारी की गयी वरीयता सूची को अवैध घोषित करते हुए निरस्त कर दिया है।
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हाई कोर्ट ने स्टेट गवर्नमेंट को निर्देश दिया कि वह डीएसपी पद के लिए 2010 में हुई जेपीएससी की एग्जाम में प्राप्त अंकों के आधार पर नयी वरीयता सूची जारी करे। कोर्ट ने स्टेट गवर्नमेंट को चार माह के भीतर नई वरीयता सूची जारी करने का आदेश दिया है। प्रार्थियों को वरीयता के आधार पर मिलने वाले सभी लाभ भी देने को कहा है। इस संबंध में नजीर अख्तर सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी है। 
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता नवीन कुमार ने कोर्ट को बताया कि प्रार्थियों की नियुक्ति वर्ष 2010 में जेपीएससी की ओर से ली गई परीक्षा के आधार पर डीएसपी पद पर हुई थी।उनकी वरीयता का निर्धारण जेपीएससी की ओर से तैयार मेरिट लिस्ट के आधार पर होना चाहिए था, लेकिन राज्य सरकार ने 2012 के नियमों को लागू करते हुए ट्रेनिंग के नंबर को भी इसमें शामिल कर लिया। इस नियमों को भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद लागू किया गया था, जो कि अनुचित है।
इस पर कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के समय जो नियम लागू थे, उन्हीं के आधार पर वरीयता तय की जानी चाहिए। चूंकि 2012 के नियम भर्ती के बाद लागू हुए थे, इसलिए प्रार्थियों पर इसे लागू नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने 2012 के नियमों को आंशिक रूप से लागू किया था, जिसमें जिला प्रशिक्षण के अंकों को शामिल नहीं किया गया था।सरकार की यह कार्रवाई मनमानी और अवैध थी। इसके बाद अदालत ने 2016, 2017, 2018 और 2024 में जारी की गई सभी वरीयता सूची को अवैध घोषित किया है।