Jharkhand: “जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं…” पिता शिबू सोरेन के निधन पर सीएम हेमंत सोरेन का भावुक पोस्ट

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पिता और झारखंड आंदोलन के नायक शिबू सोरेन के निधन पर लिखा भावुक पोस्ट। जानिए 'दिशोम गुरु' का क्या है अर्थ और क्यों खास है यह शब्द।

Jharkhand: “जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं…” पिता शिबू सोरेन के निधन पर सीएम हेमंत सोरेन का भावुक पोस्ट
एक दूसरे को संभालते दिखे हेमंत और बसंत ।

रांची। झारखंड के एक्स सीएम, झामुमो के संस्थापक व राज्यसभा एमपी दिशमो गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद पूरा प्रदेश शोक में डूबा हुआ है। इस बीच उनके बेटे और स्टेट के सीएम हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश शेयर करते हुए कहा – “मैं जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं। मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया। मैं उन्हें सिर्फ ‘बाबा’ नहीं कहता था। वे मेरे पथप्रदर्शक थे, मेरे विचारों की जड़ें थे, और उस जंगल जैसी छाया थे जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को धूप और अन्याय से बचाया।
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मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुज़र रहा हूँ।

मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया,
झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया।

मैं उन्हें सिर्फ ‘बाबा’ नहीं कहता था
वे मेरे पथप्रदर्शक थे, मेरे विचारों की जड़ें थे,
और उस जंगल जैसी छाया थे
जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को
धूप और…

— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 5, 2025

दिशोम गुरु का अर्थ
अपने पिता को श्रद्धांजलि देते हुए हेमंत ने लिखा कि शिबू सोरेन सिर्फ उनके पिता ही नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज के 'मार्गदर्शक' थे। उन्होंने बताया कि शिबू सोरेन को दिशोम गुरु क्यों कहा जाता था? इसका अर्थ क्या होता है। दिशोम एक संथाली शब्द है। “दिशोम” का अर्थ होता है “देश” और “गुरु” यानी “मार्गदर्शक” – इस प्रकार “दिशोम गुरु” का अर्थ होता है “देश का मार्गदर्शक”। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “बचपन में जब मैं उनसे (पिता शिबू सोरेन) पूछता था. बाबा, आपको लोग दिशोम गुरु क्यों कहते हैं? तो वे मुस्कुराकर कहते, “क्योंकि बेटा, मैंने सिर्फ उनका दुख समझा और उनकी लड़ाई अपनी बना ली।” वो उपाधि न किसी किताब में लिखी गयी थी, न संसद ने दी – झारखंड की जनता के दिलों से निकली थी। ‘दिशोम’ मतलब समाज, ‘गुरु’ मतलब जो रास्ता दिखाए, और सच कहूं तो बाबा ने हमें सिर्फ रास्ता नहीं दिखाया, हमें चलना सिखाया।”

संघर्ष में गुजरी शिबू सोरेन की पूरी जिंदगी 
हेमंत सोरेन ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, “मेरे बाबा की शुरुआत बहुत साधारण थी। नेमरा गांव के उस छोटे से घर में जन्मे, जहां गरीबी थी, भूख थी, पर हिम्मत थी। बचपन में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया। जमींदारी के शोषण ने उन्हें एक ऐसी आग दी जिसने उन्हें पूरी जिंदगी संघर्षशील बना दिया।


मैं डरता था, पर बाबा कभी नहीं डरे 
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने अपने पोस्ट में लिखा, मैंने उन्हें देखा है, हल चलाते हुए, लोगों के बीच बैठते हुए, सिर्फ भाषण नहीं देते थे, लोगों का दुःख जीते थे। बचपन में मैंने उन्हें सिर्फ संघर्ष करते देखा, बड़े बड़ों से टक्कर लेते देखा। मैं डरता था, पर बाबा कभी नहीं डरे। वे कहते थे, “अगर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अपराध है, तो मैं बार-बार दोषी बनूंगा।”

बाबा ने कभी सत्ता को उपलब्धि नहीं माना
हेमंत सोरेन ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, “बाबा का संघर्ष कोई किताब नहीं समझा सकती। वो उनके पसीने में, उनकी आवाज में, और उनकी चप्पल से ढकी फटी एड़ी में था। जब झारखंड राज्य बना, तो उनका सपना साकार हुआ, पर उन्होंने कभी सत्ता को उपलब्धि नहीं माना। उन्होंने कहा, “ये राज्य मेरे लिए कुर्सी नहीं, यह मेरे लोगों की पहचान है।”

झारखंड की हर पगडंडी में, मांदर की थाप में, खेत की मिट्टी में आप हो बाबा 
हेमंत सोरेन ने पिता शिबू सोरेन का याद करते हुए अपने भावुक पोस्ट में लिखा, “आज बाबा नहीं हैं, पर उनकी आवाज मेरे भीतर गूंज रही है। मैंने आपसे लड़ना सीखा बाबा, झुकना नहीं। मैंने आपसे झारखंड से प्रेम करना सीखा बिना किसी स्वार्थ के। अब आप हमारे बीच नहीं हो, पर झारखंड की हर पगडंडी में आप हो। हर मांदर की थाप में, हर खेत की मिट्टी में, हर गरीब की आंखों में आप झांकते हो।”
झारखंड को झुकने नहीं दूंगा 
सीएम हेमंत सोरेन ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, “आपने जो सपना देखा, अब वो मेरा वादा है। मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा, आपके नाम को मिटने नहीं दूंगा। आपका संघर्ष अधूरा नहीं रहेगा। बाबा, अब आप आराम कीजिए. आपने अपना धर्म निभा दिया। अब हमें चलना है, आपके नक्शे-कदम पर। झारखंड आपका कर्जदार रहेगा। मैं, आपका बेटा, आपका वचन निभाऊंगा। वीर शिबू जिंदाबाद – ज़िन्दाबाद, जिंदाबाद, दिशोम गुरु अमर रहें।. जय झारखंड, जय जय झारखंड।”
एक दूसरे को संभालते दिखे CM हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन
दिशोम शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर झारखंड विधानसभा ले जाया गया जहां उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी। सुबह से ही झामुमो समर्थकों की भीड़ उनके मोहराबादी आवास पर जुटी थी। जैसे ही उनके पार्थिव शरीर को विधानसभा ले जाने के लिए बाहर निकाला गया समर्थकों ने पार्थिव शरीर ले जाने वाले वाहन को घेर लिया। वाहन के अंदर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भाई बसंत सोरेन मौजूद थे। दोनों की आंखें नम थीं। लेकिन वे दोनों खुद को संभालते हुए वहां पर उपस्थित भीड़ को भी नियंत्रित कर रहे थे। वहां लगातार शिबू सोरेन अमर रहे का नारा गूंज रहे था.
बाबा दिशोम गुरुजी अनंत यात्रा की ओर, भावुक हेमंत सोरेन ने वीडियो किया शेयर
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार मंगलवार को रामगढ़ जिले में उनके पैतृक गांव नेमरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। इससे पहले सीएम और उनके बेटे हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक वीडियो शेयर किया। वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने लिखा–आदरणीय बाबा दिशोम गुरुजी अनंत यात्रा की ओर..वीर दिशोम गुरु शिबू सोरेन अमर रहें! 
‘गुरुजी’ के नाम से प्रसिद्ध झारखंड के एक्स सीएम और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पिछले 24 जून सेसे सर गंगाराम हॉस्पिटल में गुर्दे की बीमारी का इलाज करा रहे थे। उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की।