Jharkhand:  पर्यटन मंत्री हफीजुल अंसारी 10 साल पुराने मामले में बरी, महिला के साथ मारपीट का था आरोप

झारखंड के पर्यटन मंत्री हफीजुल अंसारी दुमका कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। एसडीजेएम जितेंद्र राम की कोर्ट ने10 साल पुराने मारपीट के मामले में गुरुवार को पर्यटन मंत्री हफीजुल अंसारी समेत आठ आरोपितों को समझौता के आधार पर सभी को बरी कर दिया।

Jharkhand:  पर्यटन मंत्री हफीजुल अंसारी 10 साल पुराने मामले में बरी, महिला के साथ मारपीट का था आरोप
कोर्ट से बाहर निकलते मंत्री हफीजुल अंसारी।
  • महिला के साथ मारपीट करने, घर खाली करने का प्रयास और रंगदारी मांगने का दर्ज था मामला 
  • महिला ने मारपीट कर मोबाइल छीन लेने का लगाया था आरोप
  • समझौता के आधार पर मंत्री समेत सभी आठ आरोपित बरी

दुमका। झारखंड के पर्यटन मंत्री हफीजुल अंसारी दुमका कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। एसडीजेएम जितेंद्र राम की कोर्ट ने10 साल पुराने मारपीट के मामले में गुरुवार को पर्यटन मंत्री हफीजुल अंसारी समेत आठ आरोपितों को समझौता के आधार पर सभी को बरी कर दिया।
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मिनिस्टर के अधिवक्ता अखलाख उर्फ पप्पू खां ने बताया कि मधुपुर की शांति देवी नामक महिला ने 24 नवंबर 13 को मंत्री पर मारपीट करने, घर खाली करने का प्रयास और रंगदारी मांगने का मामला दर्ज कराया था। केस को एमपी एमएलए की कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। गवाही के बाद महिला ने मंत्री पर मारपीट कर मोबाइल छीन लेने की बात कही। बयान होने के बाद दोनों पक्ष में आपस में बात समझौता कर लिया। मामला कोर्ट में पहुंच चुका था, इसलिए कोर्ट ने पहले 12 जनवरी को आरोपित पक्ष को बुलाकर बयान दर्ज किया। कोर्ट ने पूर्व में हुए समझौता के आधार पर मंत्री समेत सभी आरोपितों को बरी कर दिया।

ईडी की मदद से स्टेट गवनर्मेंट को डिस्टर्ब करने का प्रयास : हफीजुल
कोर्ट से बरी होने के बाद पर्यटन मंत्री हफीजुल अंसारी ने कहा कि ईडी की मदद से झारखंड सरकार को डिस्टर्ब करने की मंशा है। हम लोग ईडी के आगे डरने- झुकने वाले नहीं हैं। दिशोम गुरू शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सरकार राज्य के सीएम हैं। शेर का बेटा है, न डरेगा और न झुकेगा। ईडी से पूछताछ के दौरान सीएम ने स्पष्ट कर दिया था कि जो कुछ पूछना है, पूछ लीजिए। फिर समय नहीं दे सकेंगे। राजनीतिक दबाव में ऐसा हो रहा है। सभी हेमंत के साथ हैं।
सीआरपीएफ पर FIR के जवाब में मिनिस्टर ने कहा कि सीआरपीएफ को वहां जाने की जरूरत नहीं थी। कुछ होता तो जाना चाहिए थे। सीआरपीएफ को पुलिस अफसरों को बताकर जाना चाहिए था। एक थाना से दूसरे थाना में जाने के लिए थानेदार को अनुमति लेनी होती है। बिना कुछ बताए सीआरपीएफ पूरी फोर्स लेकर घुस गई। सीआरपीएफ की मंशा थी कि किसी तरह की उलझन हो और वह तांडव मचाए।