झारखंड: रेलवे के उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त के खिलाफ दर्ज होगा बालश्रम का मामला

राजधानी रांची के चुटिया सेरसा स्टेडियम के समीप रेलवे गेस्ट हाउस में नाबालिग लड़की के साथ हुए यौन शोषण मामले में अब एक और कार्रवाई की होगी। नाबालिग को नौकरानी रखने के मामले में ईसीआर हाजीपुर के उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त मो साकिब पर बालश्रम व बाल मजदूरी का मामला दर्ज किया जायेगा। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) यह कार्रवाई किशोर न्याय बालकों की देख-रेख और संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत करेगी। 

  • नाबालिग लड़की का आरपीएफ कांस्टेबलने किया है यौन शोषण 

रांची। राजधानी रांची के चुटिया सेरसा स्टेडियम के समीप रेलवे गेस्ट हाउस में नाबालिग लड़की के साथ हुए यौन शोषण मामले में अब दूसरी कार्रवाई की होगी। नाबालिग को नौकरानी रखने के मामले में ईसीआर हाजीपुर के उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त मो साकिब पर बालश्रम व बाल मजदूरी का मामला दर्ज किया जायेगा। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) यह कार्रवाई किशोर न्याय बालकों की देख-रेख और संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत करेगी। 

सीडब्ल्यूसी सदस्य तनुश्री सरकार ने बताया कि उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त ने नाबालिग बच्ची अधिनियम का उलंघन करते हुए अपने घर में उसे रखकर घरेलू काम कराया है। रेलवे के बड़े अफसर होने के बावजूद उन्होंने बाल श्रमिक को रखकर कानून का उल्लंघन किया। नाबालिग के साथ गलत घटना करने वाले आरपीएफ जवान के खिलाफ लोकल पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज नहीं कराई। सिर्फ विभागीय कार्रवाई कर छोड़ दिया गया। 
सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर मंगलवार को  चुटिया, चाइल्ड लाइन ने गेस्ट हाउस से पीड़िता को रेस्क्यू किया। सीडब्ल्यूसी में प्रस्तुत करने के बाद नाबालिग को बाल आश्रय केंद्र में रखवाया गया। सीडब्ल्यूसी अब नाबालिग का बयान दर्ज करेगी। सीडब्ल्यूसी की सदस्य तनुश्री सरकार के अनुसार बच्ची की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और बहुत डरी हुई है। इसलिए उसकी मानसिक स्थिति को सामान्य होने दिया जायेगा। उसकी दो से तीन बार काउंसलिंग विशेषज्ञ काउंसलर के द्वारा होगी। हमलोग भी प्रत्येक दिन उससे बात करेंगे। जब काउंसलर उसकी मानसिक स्थिति ठीक होने की पुष्टि कर देंगे, तब उसका बयान दर्ज किया जायेगा। इसके बाद यौन हिंसा, मानसिक उत्पीड़न करने वाले के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जायेगी। सीडब्ल्यूसी की जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। 

खुद जांच कर जवान को कर दिया था डिसमिस

आरपीएफ के उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त मो साकिब स्टेशन रोड स्थित रेलवे के जिस गेस्ट हाउस में रहते थे, उसमें नाबालिग लड़की उनके घर का काम करती थी। जवान ने नाबालिग के साथ यौन शोषण उसी गेस्ट हाउस में किया। इसकी शिकायत मिलने पर आयुक्त ने न तो मामले की जांच के लिए कोई टीम का गठन किया और न ही पुलिस स्टेशन में एफआइआर ही दर्ज करायी। आयुक्त ने मामले की खुद जांच कर जवान ठाकुर शंभुनाथ को दोषी ठहराते हुए डिसमिस करने का आदेश आठ जून को जारी कर दिया। हालांकि डिसमिसकरने से पहले आयुक्त ने पूर्व मध्य रेलवे के जीएम से अनुमति तक नहीं ली। यहां तक कि जवान को पक्ष रखने के लिए बुलाया, मगर विवाद होने के बाद जवान ने अपना पक्ष ही नहीं रखा। जवान का पक्ष लेने के लिए आयुक्त ने उन्हें नोटिस तक नहीं दिया। सीधे डिसमिस करने का आदेश जारी कर दिया।  

सस्पेंड जवान ने रेल अफसर को संक्रमति करने की रची थी साजिश 
उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त ने अपनी विभागीय जांच रिपोर्ट में आरोपी शंभुनाथ सहित उनके अन्य बल सदस्यों पर भी कई गंभीर आरेाप लगाये हैं। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि सस्पेंड जवान सहित अन्य भी पूर्व में अनुशानहीनता और आपत्तिजनक कार्य में संलिप्त रहे हैं। इसके लिए एक माफीनामा भी दिया था। आरोपी हैंडवाश नहीं करने और उसमं  पानी मिलाने जैसा कार्य कर चुका है। उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त, उनके परिवार व बच्चों के साथ संपर्क में आकर उन्हें कोरोना संक्रमित करने की भी आरोपी की मंशा रही थी। पांच नवंबर 2020 को बल सदस्यों की आपत्तिजनक गतिविधियों के खिलाफ गोपनीय रिपोर्ट प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त पूर्व मध्य रेलवे को सौंपी गई थी। अनुरोध किया गया था कि उसे हटाकर असंवेदनशील स्थानों पर पदास्थापित किया जाए।और झारखंड के बाहर के बल सदस्यों को तैनात किया जाए। 
आयुक्त के सामने ही बच्ची से की गाली-गलौज
रिपोर्ट में कहा गया कि आरोपी जवान अपनी हैवानियत से भरी क्रियाकलापों के प्रति पश्चताप किया। पीड़िता से माफी भी मांगी और भविष्य में दोबारा ऐसा कार्य नहीं करने की शपथ भी ली थी। दोबारा उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त के सामने ही बच्ची के लिए अपशब्द का इस्तेमाल किया और गाली-गलौज की।