नहाय खायके साथ चार दिवसीय चैती छठ महापर्व शुरू, खरना आज

नहाय-खाय के साथ चैती मंगलवार से चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू हो गया। चैती छठ को लेकर व्रतियों ने सुबह से ही तैयारी कर ली थी। सुबह स्नान ध्यान करने के बाद व्रतियों ने  कद्दू भात विधि के अनुसार बनाया। इसका ग्रहण किया। अब कल खरना की तैयारी की जा रही है। खरना का समय बुधवार को शाम 6:30 बजे के बाद है।

नहाय खायके साथ चार दिवसीय चैती छठ महापर्व शुरू, खरना आज
रांची। नहाय-खाय के साथ चैती मंगलवार से चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू हो गया। चैती छठ को लेकर व्रतियों ने सुबह से ही तैयारी कर ली थी। सुबह स्नान ध्यान करने के बाद व्रतियों ने कद्दू भात विधि के अनुसार बनाया। इसका ग्रहण किया।
नहाय-खायअब कल खरना की तैयारी की जा रही है। खरना का समय बुधवार को शाम 6:30 बजे के बाद है। छठ पूजा के लिए तालाब, डैम की सफाई की जा रही है। हालांकि चैती छठ पूजा में व्रतियों की संख्या कार्तिक मास के छठ पर्व की तुलना में कम रहती है। अधिकतर व्रतियों ने अपने घरों में ही सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जलकुंड बनाया है। कई ने अपने छत के ऊपर तो किसने अपने आंगन में जल कुंड का निर्माण कराया है, जहां पानी जमा कर परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा।
कहा जाता है कि कि छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न कने के लिए सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। यह पर्व पूरी तरह से सफाई व स्वच्छता से भी जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इस गर्मी के चैती छठ पूजा में 36 घंटे निर्जला रख व्रत करना काफी कठिन होता है। इस पूजा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
ऐसे दे सूर्य को अर्घ्य...
 पंडितों के अनुसार सूर्य को अर्घ्य देने से पहले जल में रोली या फिर लाल चंदन मिलाएं, साथ ही लाल फूल के साथ अर्घ्य दें। साथ ही अर्घ्य देते वक्त आपके दोनों हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की सभी किरणें शरीर पर पड़ती हैं। जिससे भी कई वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभ मिलते हैं ।
चैती छठ
छह अप्रैल बुधवार – खरना
सात अप्रैल गुरुवार – डूबते सूर्य का अर्घ्य
आठ अप्रैल शुक्रवार – उगते सूर्य का अर्घ्य