Jharkhand : SP मर्डर केस में हाई कोर्ट के जजों के अलग-अलग फैसले, एक ने किया बरी, दूसरे ने फांसी की सजा को माना सही

झारखंड हाइकोर्ट के दो जजों की बेंच ने पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार सहित छह पुलिसकर्मियों की मर्डर केस मामले में विरोधाभास वाला फैसला सुनाया है। एक जज ने आरोपियों को बरी कर दिया है। जबकि दूसरे जज ने आरोपियों की फांसी की सजा बरकरार रखी है।

Jharkhand : SP मर्डर केस में हाई कोर्ट के जजों के अलग-अलग फैसले, एक ने किया बरी, दूसरे ने फांसी की सजा को माना सही
अब मामला चीफ जस्टिस के पास भेजा जायेगा।

रांची। झारखंड हाइकोर्ट के दो जजों की बेंच ने पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार सहित छह पुलिसकर्मियों की मर्डर केस मामले में विरोधाभास वाला फैसला सुनाया है। एक जज ने आरोपियों को बरी कर दिया है। जबकि दूसरे जज ने आरोपियों की फांसी की सजा बरकरार रखी है।
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दो जजों की बेंच में शामिल जस्टिस आर मुखोपाध्याय ने दोनों सजायाफ्ता की फांसी की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए उन्हें बरी कर दिया है। वहीं, जस्टिस संजय प्रसाद ने दोनों सजायाफ्ता की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। सजा पर अलग-अलग फैसला होने की वजह से अब यह मामला चीफ जस्टिस के पास भेजा जायेगा, जहां इस मामले पर दूसरी बेंच सुनवाई के लिए भेजी जा सकती है।
जस्टिस आर मुखोपाध्याय का फैसला
इस मामले में जस्टिस आर मुखोपाध्याय ने कहा कि गवाहों की गवाही में कई विसंगतियां हैं। टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड (टीआइपी) ठीक से नहीं हुआ है। इस मामले में घायल पुलिस कर्मी बबलू मुर्मू ने आरोपितों को पहचाने से इनकार कर दिया था। एसपी के बॉडीगार्ड और ड्राइवर के बयानों में गंभीर विसंगतियां थी। घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था। फोरेंसिक साक्ष्य अपर्याप्त था। इसलिए संदेह का लाभ देते हुए आरोपितों को बरी किया जाता है।
जस्टिस संजय प्रसाद कै फैसला
जस्टिस संजय प्रसाद की कोर्ट ने गवाहों के बयानों को पर्याप्त माना। गंभीर अपराध को देखते हुए सजा बरकरार रखने का समर्थन किया है। कोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी का माना है, क्योंकि नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर सुनियोजित तरीके से हमला किया था। जिसमें एसपी सहित छह लोगों की निर्मम हत्या हुई थी।नक्सलियों ने पुलिस का हथियार लूटकर राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ा है। इसलिए इनकी सजा बरकरार रखी जाती है।
मुआवजे का भी आदेश
जस्टिस संजय प्रसाद ने अपने आदेश में नक्सली हमले में बलिदान तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार के परिजनों को दो करोड़ मुआवजा और पांच अन्य शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों को 50-50 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है। बलिदान एसपी अमरजीत बलिहार के पुत्र या पुत्री को डीएसपी या डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त करने के साथ-साथ उन्हें उम्र सीमा में छूट देने का भी आदेश दिया है। पांच शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों को पुलिस विभाग में उनकी योग्यता के अनुसार नियुक्त करने का आदेश दिया है।जस्टिस संजय प्रसाद ने अपने आदेश की प्रति झारखंड के मुख्य सचिव, प्रधान सचिव गृह विभाग, डीजीपी सहित अन्य वरीय अधिकारियों को भेजने का निर्देश दिया है।
फ्लैश बैक
पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार चुनाव को लेकर डीआईजी की बैठक में शामिल होने के लिए दो जुलाई 2013 को दुमका गये थे। इस दौरान लौटने के क्रम में 30 नक्सलियों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था। नक्सलियों के हमले में तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार सहित छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी थी। इस घटना में नक्सलियों ने दो एके 47, चार इनसास रायफल, बुलेटप्रूफ जैकेट और मोबाइल लूट ले गये थे। इस मामले में फांसी की सजा पाये दो नक्सलियों ने दुमका कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें कहा गया था कि लोअर कोर्ट का फैसला न्याय संगत नहीं है। बिना पुख्ता सबूतों के आधार पर उन्हें फांसी की सजा दी गयी है।
दुमका की कोर्ट ने सुनाई थी सजा
दुमका के चतुर्थ जिला एवं सत्र न्यायाधीश तौफीकुल हसन की विशेष अदालत ने तत्कालीन पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार के सहित छह पुलिसकर्मियों की हत्या मामले में छह सितंबर 2018 को प्रवीर दा उर्फ सुखलाल मुर्मू और सनातन बास्की उर्फ ताला दा को फांसी की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने हत्या और आर्म्स एक्ट सहित अन्य धाराओं में दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। लोअर कोर्ट ने इस मामले के रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना था।