धनबाद: रंजन - रंजीत ने अपनी मेहनत के बल जमा की बड़ी पूंजी,  बंगाल में भी फैला है साव ब्रदर्स का बिजनस

भागा निवासी युवा व्यवसायी रंजीत साव (40) की ऊपरकुल्ही झरिया स्थित उनके एमआरएफ टायर शोरूम में शुक्रवार की दिनदहाड़े गोली मारकर हुई मर्डर से  लोगों में दहशत है। रंजीत साव और उनके बड़े भाई रंजन साव अपनी मिहनत व लगन से कुछ ही वर्ष में बिजनस को फैलाकर बड़ी पूजी खड़ी कर ली है।  बिजनस से मोटी आय होने लगी।

धनबाद: रंजन - रंजीत ने अपनी मेहनत के बल जमा की बड़ी पूंजी,  बंगाल में भी फैला है साव ब्रदर्स का बिजनस

धनबाद। भागा निवासी युवा व्यवसायी रंजीत साव (40) की ऊपरकुल्ही झरिया स्थित उनके एमआरएफ टायर शोरूम में शुक्रवार की दिनदहाड़े गोली मारकर हुई मर्डर से  लोगों में दहशत है। रंजीत साव और उनके बड़े भाई रंजन साव अपनी मिहनत व लगन से कुछ ही वर्ष में बिजनस को फैलाकर बड़ी पूजी खड़ी कर ली है। बिजनस से मोटी आय होने लगी।

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बताया जाता है कि रंजन ने दो दशक पूर्व एक गाड़ी लेकर अपने बिजनस की शुरुआत झरिया से की थी। इसके बाद कुछ ही वर्षों में रंजन व रंजीत अपने बिजनस में सफल हो गये। दोनों मिलकर कई तरह के बिजनस करने लगे। कुछ ही वर्षों मे कारोबार से करोड़पति बन गये। इस कारण दोनों भाई कई लोगों की नजर में भी चढ़ गये थे। लोग बताते हैं कि अधिकतर बिजनस की देखरेख तेजतर्रार रंजीत ही करता था। वहीं रंजन बाहर जाकर बिजनसमैन से लेनदेन का काम करता था।

गरीबी से ऊपर उठे दोनों भाई
लोगों का कहना है कि रंजन और रंजीत के पिता रामचंद्र साव गरीब थे। दो दशक पूर्व झरिया निवासी विजय साव के आशीर्वाद साबुन कारखाना में रामचंद्र मुंशी का काम करते थे। इस दौरान रामचंद्र मालिक विजय के भाड़े के घर मानबाद झरिया में ही परिवार के साथ रहते थे। रामचंद्र के बड़े बेटे रंजन ने 20 साल पूर्व एक वाहन खरीदा। इसका कारोबार करने लगा। धीरे धीरे बिजनस बढ़ता गया। छोटे भाई रंजीत ने भी रंजन का पूरा साथ दिया। कुछ ही वर्षों में दोनों भाई वाहन, कोयला, चावल, जमीन आदि के कारोबार में छा गये। इसके बाद दिनों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दोनों भाई का कई बार बिजनस को लेकर कई बिजनसमैन के साथ विवाद भी हुआ। इस दौरान दोनों भाई कई की नजर में चढ़ गये। डेढ़ दशक पूर्व रंजन झरिया छोड़कर भागा में घर लेकर परिवार के साथ रहने लगे।एक वाहन से कारोबार की शुरुआत करने के बाद दोनों भाई कई तरह के कारोबार करने लगे। एक दशक में इनके पास 50 से अधिक ट्रक हो गये।

रंजन व रंजीत के सभी ट्रक कोयला, आयरन चिप्स व अन्य काम में लगे थे। इसी बीच झरिया में एमआरएफ टायर कंपनी की शोरूम खोला। कोयले का बिजनस भी करने लगे। वर्द्धमान, बंगाल और बरवाअड्डा धनबाद में चावल का कारोबार करने लगे। दोनों भाई धनबाद के जमीन कारोबार से भी जुड़ गये। झारखंड और बंगाल में कई तरह के कार्य बिजनस करने लगे। दोनों भाई कारोबार में लगातार बढ़ते ही जा रहे थे। इसी बीच रंजन ने बहन की शादी जमशेदपुर में एक चर्चित पॉलिटिकल लीडर के साथ की। दोनों भाई साहू युवा समाज से भी जुड़े थे।

दोनों भाई के सिंह मेंशन और रघुकुल भी अच्छे रिश्ते
रंजीत और उनके बड़े भाई रंजन साव कई तरह के बिजनस में लगातार आगे बढ़ते रहे। दोनों के रिश्ते यहां के दबंग घराने सिंह मेंशन और रघुकुल से अच्छे थे। झरिया में बड़ा कार्यक्रम में रंजन या रंजीत पहुंचते थे।