Dhanbad: झरिया की एक्स एमएलए पूर्णिमा नीरज सिंह पर कोर्ट की अवमानना का केस
झरिया की पूर्व विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह पर अदालत की अवमानना का केस दर्ज। वकील वकार अहमद ने न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया। सुनवाई 6 सितंबर को होगी।

- एडवोकेट वकार अहमद लगाये गंभीर आरोप
- जज के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का आरोप
- कोर्ट ने सुनवाई के लिए छह सितंबर की तारीख तय की
धनबाद। झरिया की एक्स कांग्रेस एमएलए पूर्णिमा नीरज सिंह के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा दर्ज हुआ है। यह केस अधिवक्ता वकार अहमद ने दायर किया है।
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एडवोकेट वकार अहमद ने आरोप लगाया है कि 27 अगस्त 2025 को धनबाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट द्वारा नीरज हत्याकांड में आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी किये जाने के फैसले पर, पूर्णिमा नीरज सिंह ने न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया। न्यायपालिका पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की तारीख छह सितंबर निर्धारित की है।
एडवोकेट वकार ने अदालत में दायर शिकायतवाद में आरोप लगाया है कि फैसले के विरुद्ध 1 सितंबर 25 की शाम छह बजे से 7:30 बजे तक रणधीर वर्मा चौक में मृतक नीरज सिंह की वाइफ पूर्णिमा नीरज सिंह के नेतृत्व में जिला परिषद मैदान से रणधीर वर्मा चौक तक न्यायालय के फैसले के विरुद्ध कैंडल सह आक्रोश मार्च निकाला गया। उस स्थल पर पूर्णिमा नीरज सिंह ने फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश के विरुद्ध घोर अपमान सूचक व अपयशकारी शब्दों का खुलेआम प्रयोग किया। न्यायालय के फैसले की खुलेआम मंच से कड़ी आलोचना की एवं न्यायपालिका के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी की।
शिकायत वाद में आरोप लगाया गया है कि पूर्णिमा नीरज सिंह ने न्यायालय के फैसले के विरुद्ध विरोध मार्च का नेतृत्व करते हुए उपस्थित लोगों, प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को संबोधित करते हुए न्यायपालिका व न्यायाधीश के विरूद्ध खुलकर मानहानिकारक अभद्र शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि फैसले लेने में कहा चूक हुई बाबा ये आपको जज साहब बतायेंगे जिन्होंने फैसला दिया है। चश्मे का नंबर अपना बढ़वा ले वो, हो सकता है उनका चश्मा का नंबर ठीक नहीं हो ठीक से पढ़ नहीं पाये हो। न्यायपालिका व न्यायालय के विरुद्ध व घोर अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए पूर्णिमा सिंह ने कहा कि ये न्यायपालिका नहीं अन्यायपालिका है।
एडवोकेट ने आरोप लगाया है कि सार्वजनिक मंच से न्यायालय व न्यायाधीश के विरुद्ध दिया गया बयान न्यूज चैनल, सोशल मीडिया आदि जगहों पर प्रसारित व प्रचारित हुआ। जिससे आम लोगों के बीच न्यायालय ,न्यायपालिका एवं न्यायाधीश के विरुद्ध गलत संदेश गया जो भारतीय न्याय व्यवस्था न्यायपालिका के व्यक्तित्व के ऊपर सोची समझी साजिश के तहत किया गया एक गंभीर हमला है। उन्होंने न्यायाधीश की छवि को धूमिल करने का प्रयास है।
एडवोकेट ने शिकायतवाद में आरोप लगाया है कि 1 सितंबर 25 को संध्या 6 बजे से 7:30 बजे तक रणधीर वर्मा चौक धनबाद की घटना न्यायपालिका की स्वतंत्रता एवं न्याय प्रणाली पर आपराधिक हमला है जो लोकतंत्र के लिए भी चिंताजनक विषय है।उन्होंने पूर्णिमा सिंह के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 267,(न्यायिक कार्यवाही के दौरान किसी लोक सेवक को जानबूझकर अपमानित करना) एवं धारा 356 (मानहानि) के अपराध में संज्ञान लेने की प्रार्थना की है। कोर्ट ने मुकदमे में सुनवाई के लिए छह सितंबर की तारीख निर्धारित की है।