बिहार: शराबबंदी विभाग पर HC का बड़ा वार: 490 गाड़ियों की ‘एकमुश्त’ नीलामी पर रोक, घोटाले के संकेत; EOU जांच के आदेश

पटना हाई कोर्ट ने शराबबंदी विभाग में 490 गाड़ियों की एकमुश्त नीलामी को नियमों के खिलाफ बताते हुए घोटाले के संकेत दिए हैं। कोर्ट ने EOU जांच, मुआवजा और दोषी अधिकारियों से वसूली के आदेश दिए।

बिहार: शराबबंदी विभाग पर HC का बड़ा वार: 490 गाड़ियों की ‘एकमुश्त’ नीलामी पर रोक, घोटाले के संकेत; EOU जांच के आदेश
राज्य सरकार देगी ₹12.12 लाख का मुआवजा।
  • पटना हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी—नियमों का ‘गला घोंटा गया’
  • सस्ती नीलामी से सरकारी राजस्व को भारी नुकसान

पटना। बिहार में शराबबंदी कानून के तहत जब्त वाहनों की नीलामी को लेकर पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) ने बेहद कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने 490 वाहनों की एकमुश्त नीलामी को गंभीर अनियमितताओं से भरा बताते हुए इसे संभावित घोटाले का मामला करार दिया है और आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को पूरे प्रकरण की गहन जांच का आदेश दिया है।

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न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद और न्यायमूर्ति सौरेंद्र पांडेय की खंडपीठ ने सुशील कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मुजफ्फरपुर में सैकड़ों गाड़ियों की एक साथ नीलामी से यह स्पष्ट होता है कि तय नियमों और प्रक्रियाओं को पूरी तरह दरकिनार किया गया।

स्कॉर्पियो मामला बना जांच की धुरी

मामला वर्ष 2020 में जब्त की गई महिंद्रा स्कॉर्पियो S-9 से जुड़ा है। अदालत ने पाया कि—

वाहन मालिक को शो-कॉज नोटिस नहीं दिया गया।

व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर भी नहीं मिला

फिर भी सैकड़ों गाड़ियों के साथ एक कॉमन आदेश में वाहन को जब्त कर लिया गया

जल्दबाजी में नीलामी कर दी गई

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि करीब ₹12.12 लाख बीमित मूल्य वाली महज दो साल पुरानी स्कॉर्पियो को केवल ₹3.85 लाख में बेच दिया गया।

“कागजी मूल्यांकन” पर HC की सख्त टिप्पणी

हाई कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि—

22 थानों में खड़ी 527 गाड़ियों का मूल्यांकन सिर्फ दो दिनों में कैसे किया गया?

न भौतिक निरीक्षण,

न फोटोग्राफ,

न ही कोई वैज्ञानिक या व्यावहारिक आधार

अदालत ने इसे “कागजी मूल्यांकन” बताते हुए कहा कि इससे सार्वजनिक राजस्व को भारी नुकसान हुआ है।

नीलामी प्रक्रिया में सांठगांठ के संकेत

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि—

नीलामी के नोटिस नियमों के अनुसार अखबारों में प्रकाशित नहीं हुए

कुछ चुनिंदा लोग बार-बार कई वाहन खरीदते पाए गए

इससे पूरे नीलामी तंत्र में अंदरूनी सांठगांठ और रैकेट होने की आशंका जताई गई।

मुआवजा और जिम्मेदारी तय

पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि—

पीड़ित वाहन मालिक को ₹12,12,517

6% वार्षिक ब्याज सहित

6 महीने के भीतर भुगतान किया जाए

साथ ही ₹10,000 मुकदमे का खर्च भी दिया जाए

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह राशि भविष्य में दोषी अधिकारियों से वसूली जाएगी।

 EOU को FIR और SIT गठन का आदेश

मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने—

EOU को FIR दर्ज करने

विशेष जांच दल (SIT) गठित करने

पूरे नीलामी सिस्टम की परत-दर-परत जांच

का आदेश दिया है। कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि आगे भी ऐसे मामलों पर कड़ी न्यायिक निगरानी रखी जायेगी।