भारत स्वाभाविक रूप से हिंदू राष्ट्र है, इसके लिए संवैधानिक मंजूरी की जरूरत नहीं: RSS प्रमुख मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत ने कहा कि भारत स्वाभाविक रूप से एक हिंदू राष्ट्र है और इसे संवैधानिक स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने ये बातें कोलकाता में आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित व्याख्यान श्रृंखला के दौरान कहीं।

भारत स्वाभाविक रूप से हिंदू राष्ट्र है, इसके लिए संवैधानिक मंजूरी की जरूरत नहीं: RSS प्रमुख मोहन भागवत
व्याख्यान माला को संबोधित मोहन भागवत।
  • कोलकाता में संघ के 100 वर्ष पूरे होने पर बोले सरसंघचालक
  • कहा– संसद चाहे शब्द जोड़े या नहीं, हकीकत नहीं बदलती

कोलकाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक बार फिर भारत को लेकर संघ की वैचारिक स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि भारत स्वाभाविक रूप से एक हिंदू राष्ट्र है और इसके लिए किसी संवैधानिक संशोधन या मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह बयान RSS के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कोलकाता में आयोजित ‘100 व्याख्यान माला’ कार्यक्रम के दौरान दिया।

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मोहन भागवत ने कहा कि जैसे सूर्य पूर्व से उगता है और इसके लिए किसी संवैधानिक स्वीकृति की जरूरत नहीं होती, उसी प्रकार भारत का हिंदू राष्ट्र होना भी एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सत्य है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संसद चाहे संविधान में ‘हिंदू राष्ट्र’ शब्द जोड़े या न जोड़े, इससे इस सच्चाई पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

“जब तक भारतीय संस्कृति जीवित है, भारत हिंदू राष्ट्र रहेगा”

RSS प्रमुख ने कहा, “जो भी भारत को अपनी मातृभूमि मानता है और भारतीय संस्कृति का सम्मान करता है, जब तक इस धरती पर ऐसा एक भी व्यक्ति जीवित है जो अपने भारतीय पूर्वजों की परंपरा और महिमा में विश्वास रखता है, तब तक भारत हिंदू राष्ट्र है।” उन्होंने इसे संघ की मूल विचारधारा बताया।

संविधान में शब्द जुड़ने या न जुड़ने से फर्क नहीं

मोहन भागवत ने कहा कि यदि संसद भविष्य में संविधान में संशोधन कर ‘हिंदू राष्ट्र’ शब्द जोड़ भी दे या न जोड़े, तो इससे कोई अंतर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, “हमें शब्द से कोई मतलब नहीं है, क्योंकि हम हिंदू हैं और हमारा देश हिंदू राष्ट्र है। यही सच्चाई है।”

जन्म आधारित जाति व्यवस्था हिंदुत्व की पहचान नहीं

संघ प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि जन्म के आधार पर जाति व्यवस्था हिंदुत्व की पहचान नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का मूल उद्देश्य समाज को जोड़ना है, न कि विभाजन करना।

“RSS मुस्लिम विरोधी नहीं”

मोहन भागवत ने आरएसएस पर लगने वाले आरोपों पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि संघ को लेकर ‘मुस्लिम विरोधी’ होने की धारणा गलत है। उन्होंने लोगों से संघ के कार्यालयों और शाखाओं का दौरा करने का आग्रह किया, ताकि वे संगठन के कामकाज को समझ सकें।उन्होंने कहा कि लोग अब यह समझने लगे हैं कि RSS हिंदुओं की रक्षा और राष्ट्रवाद की बात करता है, लेकिन मुस्लिम विरोधी नहीं है।

‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द पर भी दिया संदर्भ

भागवत ने यह भी उल्लेख किया कि ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द मूल रूप से संविधान की प्रस्तावना में नहीं था, बल्कि 1976 में आपातकाल के दौरान 42वें संविधान संशोधन के तहत ‘समाजवादी’ शब्द के साथ जोड़ा गया था।

RSS प्रमुख का यह बयान एक बार फिर देश की राजनीति और वैचारिक बहस के केंद्र में आ गया है।