धनबाद: IIT ISM की रिसर्च स्कॉलर अभिलाषा सिंह की पुस्तक 'हाउसवाइफ द नेशन मेकर' का विमोचन  

आइआइटी आइएसएम की रिसर्च स्कॉलर अभिलाषा सिंह की पुस्तक 'हाउसवाइफ द नेशन मेकर' का विमोचन किया गया। होटल सोनोटेल में आयोजित विमोचन कार्यक्रम की चीफ गेस्ट एसएसपी असीम विक्रांत मिंज की वाइफ मनिषा मिंज थी।

धनबाद: IIT ISM की रिसर्च स्कॉलर अभिलाषा सिंह की पुस्तक 'हाउसवाइफ द नेशन मेकर' का विमोचन  
  • राष्ट्र के भविष्य को संवारती है 'हाउसवाइफ'

धनबाद। आइआइटी आइएसएम की रिसर्च स्कॉलर अभिलाषा सिंह की पुस्तक 'हाउसवाइफ द नेशन मेकर' का विमोचन किया गया। होटल सोनोटेल में आयोजित विमोचन कार्यक्रम की चीफ गेस्ट एसएसपी असीम विक्रांत मिंज की वाइफ मनिषा मिंज थी। स्पेशल गेस्ट सिंफर डायरेक्टर की वाइफ उषा सिंह, बीबीएमकेयू के रजिस्ट्रार कर्नल एमके सिंह, आइआइटी आइएसएम के डॉ अजीत बेहुरा, डॉ केसी श्रीवास्तव ष उज्जवल आनंद, निशि सिंह आदि थे।
'हाउसवाइफ द नेशन मेकर' के विमोचन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि जब एक महिला किसी कंपनी या सरकारी पद पर काम करती है, तो निश्चित अवधि के बाद उसे एक निर्धारित राशि वेतन के रूप में मिलती है। उसके इस काम को और उसके इस क्रम को राष्ट्रीय उन्नति के योगदान के रूप में देखा जाता है।  यह माना जाता है कि देश के आर्थिक विकास में उस महिला का एक अहम योगदान है. दूसरी ओर एक महिला शादी के बाद नयी घर-गृहस्थी में जाती है। वह सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक अनगिनत सबसे मुश्किल कामों को करती है। अगर हम यह कहें कि घर संभालना वर्ल्ड का सबसे मुश्किल काम है, तो शायद गलत नहीं होगा। 
वर्ल्ड में सिर्फ हाउस वाइफ एक ऐसा पेशा है, जिसमें 24 घंटे, सातों दिन आप काम पर रहते हैं। पर डे क्राइसिस झेलते हैं। हर डेडलाइन को पूरा करते हैं और वह भी बिना छुट्टी के। सोचिए, इतने सारे काम करने के बदल में वह कोई सेलरी नहीं लेती। हाउस वाइफ के परिश्रम को सामान्यतः घर का नियमित काम कहकर उसे महत्व नहीं दिया जाता है। लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं है। एक हाउसवाइफ का देश के निर्माण में वही भूमिका है, जो बिल्डिंग के निर्माण में सिमेंट की भूमिका होती है।
'हाउसवाइफ द नेशन मेकर' की राइटर अभिलाषा सिंह ने बताया कि बुक में राष्ट्र के निर्माण में हाउस वाइफ को रेखांकित किया गया है। बुक  में हाउसवाइफ का परिवार, समाज और देश के प्रति योगदान बताया गया है। जो देश के विकास में किसी कामकाजी पुरुष या महिला से कम नहीं है। अभिलाषा सिंह ने कहा उनकी यह पहली बुक है। इंदौर स्थित ऑरेंज बुक पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित 84 पेज के बुक को दो सालों में पूरा किया है। वर्ष 2018 में जनवरी से उन्होंने बुक लिखना शुरू किया था।