Chhangur Baba Case : धर्मांतरण आरोपी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की मदद कर रहे थे ADM, सीओ और इंस्पेक्टर !  

धर्मांतरण और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे उत्तर प्रदेश के बलरामपुर निवासी जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को लेकर जांच में लगातार नये गये-नये व चौकानें वाले खुलासे हो रहे हैं। छांगुर बाबा के मामले में अब कुछ अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध बतायी जा रही है। एसटीएफ की गोपनीय जांच में खुलासा हुआ है कि छांगुर के मददगार रहे चार प्रशासनिक अफसरों के नाम सामने आये हैं। सोर्सेज अनुसार ये सभी अफसर साल 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात रहे हैं।

Chhangur Baba Case : धर्मांतरण आरोपी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की मदद कर रहे थे ADM, सीओ और इंस्पेक्टर !  
धर्मांतरण आरोपी छांगुर बाबा (फाइल फोटो)।
  • UP STF की जांच में हुआ बड़ा खुलासा

लखनऊ। धर्मांतरण और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे उत्तर प्रदेश के बलरामपुर निवासी जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को लेकर जांच में लगातार नये गये-नये व चौकानें वाले खुलासे हो रहे हैं। छांगुर बाबा के मामले में अब कुछ अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध बतायी जा रही है। एसटीएफ की गोपनीय जांच में खुलासा हुआ है कि छांगुर के मददगार रहे चार प्रशासनिक अफसरों के नाम सामने आये हैं। सोर्सेज अनुसार ये सभी अफसर साल 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात रहे हैं।
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एक रिपोर्ट में अनुसार, एक एडीएम, दो सर्किल ऑफिसर (सीओ) और एक इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध पायी है। इन अफसरों पर छांगुर बाबा के इशारों पर काम करने का आरोप है और ये कई मौकों पर उसे संरक्षण भी देते थे। एटीएस की रिमांड के दौरान इन अफसरों के नाम उछले हैं, हालांकि एजेंसियां अब यह तस्दीक कर रही हैं कि क्या यह नाम छांगुर ने केवल बचने के लिए उछाले हैं या उनकी भूमिका सच में संदिग्ध है। सबूत मिलते ही इन पर कार्रवाई हो सकती है।
धर्मांतरण नेटवर्क का मास्टरमाइंड था छांगुर
एटीएस की जांच में यह खुलासा हुआ है कि छांगुर नेपाल बोर्डर से सटे 46 गांवों में युवाओं को धर्मांतरण के जाल में फंसा रहा था। जलसों के जरिए वह युवाओं की मानसिकता की थाह लेता और जिहाद की ओर झुकाव रखने वालों को आर्थिक मदद देने की योजना बना रहा था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इस नेटवर्क को मजबूत करने के लिए लगभग 10 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग की तैयारी थी।
पुरानी बाइक से शुरू किया सफर
बताया जा रहा है कि छांगुर बाबा साल 2015 में एक पुरानी बाइक से अंगूठी और नग बेचने का काम करता था। लेकिन 2020 के बाद उसकी आर्थिक हैसियत अचानक बढ़ने लगी थी। 2022 तक वह लग्जरी गाड़ियों में घूमने लगा था। एटीएस ने जांच में पाया है कि पिछले चार वर्षों में उसकी संपत्ति में बेतहाशा इजाफा हुआ है। फिलहाल एजेंसी उसके 14 अन्य सहयोगियों की तलाश में जुटी है।
सरकारी जमीनों पर कब्जे का खेल
लोकल प्रशासन की मिलीभगत से छांगुर ने उतरौला और आसपास के गांवों की सरकारी जमीनों को भी अपने नाम दर्ज कराना शुरू कर दिया था। तहसीलकर्मियों की मिलीभगत से उसने एक बड़े तालाब की जमीन अपने नाम कराकर उसे 12 नवंबर 2023 को नीतू उर्फ नसरीन रोहरा को बेच भी दिया था। इस जमीन की कीमत करीब 1 करोड़ रुपये बताई गई है। छांगुर की नजर लालगंज, रेहरा माफी, चपरहिया, बनघुसरा की जमीनों पर भी थी।
फंडिंग को लेकर छांगुर और नीतू के बीच बिगड़े रिश्ते
एटीएस जांच में यह भी सामने आया कि विदेशी फंडिंग के बंटवारे को लेकर छांगुर और नीतू उर्फ नसरीन के रिश्ते खराब हो गये थे। पीर बाबा ने फंड का कंट्रोल अपने बेटे महबूब को सौंप दिया था, जिससे नसरीन नाराज थी। महबूब की गिरफ्तारी के बाद छांगुर खुद विदेश भागने की फिराक में था। उसने अपने गांव रेहरामाफी और मधुपुर के कुछ लोगों के बैंक अकाउंट्स में पैसे ट्रांसफर कराये थे। जिनकी जांच अब यूपी एटीएस कर रही है। एटीएस अब सबूतों के आधार पर अफसरों और अन्य सहयोगियों के खिलाफ शिकंजा कसने की तैयारी में है।
एक्स IPS को चुनाव में उतारने की तैयारी, 90 लाख की फंडिंग
अवैध धर्म परिवर्तन का धंधा करने वाले जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के मददगार सरकारी अफसरों पर भी अब शिकंजा कसना शुरू हो गया है। राजनेताओं और अफसरों के बीच छांगुर बाबा की गहरी घुसपैठ थी। नीतू उर्फ नसरीन के कमरे से एटीएस को एक लाल डायरी मिली है। इसमें कई राजनेताओं के नाम लिखे हैं जिनको छांगुर बाबा ने विधानसभा चुनाव के दौरान मोटी रकम दी थी।  उतरौला निवासी एक पूर्व आईपीएस को विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी थी। यह पुलिस अधिकारी समय-समय पर छांगुर बाबा को पुलिस की मदद भी पहुंचाता रहता था।
एक्स कैंडिडेट प्रत्‍याशी को दिए थे 90 लाख रुपये
छांगुर बाबा पिछले 10 सालों से बलरामपुर के सभी विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय था। वह लोकसभा और विधानसभा चुनावों में प्रत्याशियों को फंडिंग करता था और अपने अनुयायियों से उनके पक्ष में मतदान करने की अपील करता था। तहसील क्षेत्र में तो वह त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को भी प्रभावित कर रहा था।चर्चा है कि उतरौला से एक एक्स कैंडिडेट  को छांगुर बाबा ने 90 लाख रुपये दिए थे, लेकिन वह चुनाव नहीं जीत सके। बताया जाता है कि छांगुर ने रमजान को धर्म परिवर्तन के लिए लोगों को तैयार करने की जिम्मेदारी दी थी। ग्रामीणों के अनुसार वर्ष 2024 में उसकी मौत हो गई। एटीएस ने रमजान के नाम वाले एक अन्य व्यक्ति के बारे में भी जानकारी की। नेपाल सीमा से सटे संवेदनशील उतरौला क्षेत्र में अवैध धर्मांतरण और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का जाल मजबूती से बुना गया है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मेहरबानी से छांगुर अपने साम्राज्य का विस्तार करता रहा।
चुनाव प्रभावित करने लगा था छांगुर
एक्स एमपी ददन मिश्रा बताते हैं कि छांगुर अब चुनाव को भी प्रभावित करने लगा था। उसकी अपील का असर मतदान पर पड़ता था। छांगुर के करीबी रहे बब्बू खान ने बताया कि एक एक्सआईपीएस अफसर से छांगुर के करीबी रिश्ते रहे हैं। अवैध धर्मांतरण के खेल में उसे पुलिस अफसर से भी पूरा संरक्षण मिलता रहा है। अपनी पहुंच से वह छांगुर को समय-समय पर कार्रवाई से बचा रहा था। उसी की मदद से छांगुर अपनी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन के साथ दो महीने तक पुलिस और एटीएस को चकमा देकर लखनऊ में डटा रहा। लखनऊ में छांगुर के लिए वही अधिकारी वकीलों की टीम भी उपलब्ध करा रहा था।
छांगुर के लिए नागपुर में बैठ मैनेजमेंट करता था ‘ईदुल इस्लाम’
हिंदू युवतियों का मतांतरण कर विदेशी फंडिंग लेने का नेपाल सीमा तक जाल बिछाने में छांगुर उर्फ जलालुद्दीन, नीतू और नवीन को मदद करने में नागपुर महाराष्ट्र के ईदुल इस्लाम नाम के व्यक्ति का रोल अहम है। नागपुर से ही ईदुल इस्लाम बलरामपुर तक प्रशासनिक अमला को मैनेज करता था। स्वयं को भारत प्रतीकार्य सेवा संघ नाम के संगठन का राष्ट्रीय महासचिव बताकर रौब गालिब करता था। एटीएस की जांच में छांगुर के अवैधानिक कृत्यों में सहयोग की बात सामने आयी है।वहीं दूसरी ओर छांगुर के गुर्गों ने एटीएस के गवाह हरजीत कश्यप को बयान बदलने का दबाव बनाते हुए जान से मारने की धमकी दी है। पुलिस ने तीन गुर्गों पर रिपोर्ट दर्ज कर ली है, लेकिन अभी पकड़ से दूर हैं। हरजीत की तरह अन्य गवाहों पर भी खतरा मंडरा रहा है। अंगूठी और नग बचने वाले छांगुर का मुंबई आना-जाना था। मुंबई में हाजी अली दरगाह पर नग व अंगूठी बेचने जाता था। यहीं से छांगुर ने अपना मतांतरण का नेटवर्क फैलाना शुरू किया। नीतू और नवीन का मतांतरण करके अपने गिरोह में शामिल कर महाराष्ट्र से दुबई और नेपाल तक जाल फैला लिया। तीन-चार साल में ही छांगुर, नीतू और नवीन करोड़ों में खेलने लगे।
महाराष्ट्र में छांगुर के मददगार नागपुर के ईदुल इस्लाम इसके ढाल बने। ईदुल इस्लाम की बलरामपुर प्रशासन में अच्छी पैठ थी। उसने छांगुर को प्रशासनिक छांव दिलाना शुरू किया। उतरौला व आसपास तालाब, ग्राम समाज की जमीनों को परिवर्तित कराकर आसानी से छांगुर के नाम कराने में इसी के नाम पर सहयोग मिलने लगा। इससे छांगुर मतांतरण के अपने काले कारनामों को आसानी से मधपुर कोठी से अंजाम देने लगा।बताया जाता है कि बलरामपुर जिले में तैनात रहे एक एक्स आईपीएस  भी छआंगुर के कोठी आते-जाते थे। यह सेटिंग भी ईदुल इस्लाम की ही बतायी जाती है।
छांगुर ने महराष्ट्र में भी मतांतरण के लिए ठिकाना बनाने के लिए जमीन खरीदी थी। उसने महाराष्ट्र के पुणे जिले में तहसील मेवाल के ग्राम कुनेनामा लोनावला में 16 करोड़ रुपये में जमीन का सौदा किया। यह जमीन मारुति रामू सेठ, सुंदर भाई और कांती बालू तेवार से कंट्रेक्ट पर लिया। कंट्रेक्ट नवीन घनश्याम रोहरा, छांगुर और मोहम्मद अहमद के नाम हुआ। इसमें बलरामपुर शहर की संगीता देवी को भी शामिल किया गया। इसकी भी जांच चल रही है। ईडी ने उतरौला के साथ मुंबई में भी छांगुर के करीबियों के यहां रेड की है। लगभग दो करोड़ रुपये छांगुर से लेनदेन का साक्ष्य लेने शहजाद शेख नामक व्यक्ति के आवास पर टीम ने पहुंच कर साक्ष्य एकत्र करने की बात कही जा रही है। इस कार्रवाई से छांगुर का महाराष्ट्र में मतांतरण का कनेक्शन जुड़ा है। फिलहाल छांगुर, नीतू, नवीन व महबूब एटीएस की गिरफ्त में है। एटीएस के साथ एसटीएफ और ईडी की टीमें हर पहलू की गहनता से जांच कर साक्ष्य एकत्र कर रही हैं।