Land-for-jobs scam में लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, ट्रायल कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के एक्स सीएम और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को झटका दिया है। कोर्ट ने सीबीआई के जमीन के बदले नौकरी मामले में ट्रायल कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

- दिल्ली हाई कोर्ट में FIR रद करने की याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के एक्स सीएम और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को झटका दिया है। कोर्ट ने सीबीआई के जमीन के बदले नौकरी मामले में ट्रायल कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
यह भी पढ़ें:Dhanbad: बीसीसीएल के नवचयनित सीएमडी मनोज कुमार अग्रवाल का INMOSSA ने किया अभिनंदन
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच जिसमें जस्टिस एमएम सुंद्रेश और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह शामिल हैं। बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि वह इस मामले की सुनवाई जल्दी करे। यह मामला उस FIR से जुड़ा है जो सीबीआई ने लालू यादव के खिलाफ दर्ज की है। लालू यादव ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें हाई कोर्ट ने ट्रायल पर रोक लगाने से मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'हम रोक नहीं लगायेंगे। हम अपील खारिज कर देंगे और कहेंगे कि मुख्य मामले का फैसला होने दें। हम इस छोटे मामले को क्यों रखें?' कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जब हाई कोर्ट पहले से ही इस मामले पर सुनवाई कर रहा है, तो सुप्रीम कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
व्यक्तिगत पेशी से छूट, ट्रायल जारी रहेगा
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने लालू यादव को थोड़ी राहत देते हुए यह भी कहा कि उन्हें ट्रायल के दौरान व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने की ज़रूरत नहीं है। इसके साथ ही, कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट से यह भी कहा कि वह लालू यादव की उस याचिका पर जल्द सुनवाई करे, जिसमें ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गयी है। लालू प्रसाद यादव की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पैरवी की, जबकि सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए।
'धारा 17A' पर बहस: अनुमति को लेकर पेच
लालू यादव ने ट्रायल पर रोक लगाने की मांग करते हुए दलील दी थी कि सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत ज़रूरी अनुमति नहीं ली थी। इस धारा के अनुसार, किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य होता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि इस मुद्दे को आरोप तय करते समय उठाया जा सकता है।सुनवाई के दौरान, एएसजी राजू ने तर्क दिया कि इस मामले में धारा 17A के तहत अनुमति की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह मामला 2018 में हुए संशोधन से पहले का है। इस पर सिब्बल ने जोरदार पलटवार करते हुए कहा, 'उनकी उत्सुकता बता रही है। वह 2005 से 2009 तक मंत्री थे। एफआईआर 2021 में दर्ज हुई। बिना अनुमति के जांच शुरू नहीं हो सकती। बाकी सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए उन्होंने अनुमति ली है, सिर्फ इनके लिए नहीं।' बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह इस स्तर पर मामले की गहराई में नहीं जाएगी।
जमीन के बदले नौकरी' घोटाला
यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब ललू यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उस दौरान मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित पश्चिम रेलवे जोन में ग्रुप डी की भर्तियां की गयी थी। लालू प्रसाद यादव पर आरोप है कि जब वे केंद्र में रेल मंत्री थे, तब उन्होंने लोगों को रेलवे में नौकरी देने के बदले में उनसे कथित तौर पर जमीन ली थी। सीबीआई इस पूरे मामले की जांच कर रही है। सीबीआई का आरोप है कि जिन लोगों को नौकरी दी गई, उन्होंने इसके बदले अपनी जमीन लालू यादव के परिवार या उनसे जुड़े लोगों के नाम कर दी। इन जमीनों की कीमत भी बाजार मूल्य से काफी कम बतायी गयी।
12 अगस्त अगली सुनवाई
इस मामले में लालू यादव ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने एफआईआर को रद करने की मांग की है। हाई कोर्ट ने 29 मई को सुनवाई के दौरान कहा था कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई जरूरी कारण नहीं है।अब हाई कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर दिया है कि अगली सुनवाई की तारीख 12 अगस्त तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि हाई कोर्ट इस मामले को जल्द निपटाए।