Paras Hospital Murder: पटना के चंदन मिश्रा मर्डर केस में शामिल शूटर्स पहचान, सबसे आगे दिख रहा था तौसीफ बादशाह
बिहार की राजधानी पटना में शास्त्रीनगर पुलिस स्टेशन एरिया के राजाबाजार स्थित पारस हॉस्पिटल में गुरूवार सुबह पारस हॉस्पिटल में कुख्यात चंदन मिश्रा को गोलियों से भून दिया गया। पुलिस ने पारस हॉस्पिटल के रूम नंबर -206 में घुसकर गैंगस्टर चंदन मिश्रा को गोली मारकर मर्डर करने वाले सभी पांच शूटर्स की पहचान कर ली है।

- पारस हॉस्पिटल के सुरक्षा व्यवस्था पर उठ रहा है सवाल
- पुलिस ने हॉस्पिटल को किया सील
- पुलिस ने घटनास्थल से 12 खोखा किया बरामद
पटना। बिहार की राजधानी पटना में शास्त्रीनगर पुलिस स्टेशन एरिया के राजाबाजार स्थित पारस हॉस्पिटल में गुरूवार सुबह पारस हॉस्पिटल में कुख्यात चंदन मिश्रा को गोलियों से भून दिया गया। पुलिस ने पारस हॉस्पिटल के रूम नंबर -206 में घुसकर गैंगस्टर चंदन मिश्रा को गोली मारकर मर्डर करने वाले सभी पांच शूटर्स की पहचान कर ली है।
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पुलिस सोर्सेज के मिली जानकारी अनुसार, शूटआउट को लीड करने वाला और पांचों क्रिमिनलों में सबसे आगे दिखना वाला तौसीफ बादशाह है। तौसीफ खुद को बादशाह कहलवाता है और जमीन कारोबार के साथ साथ सुपारी किलिंग का काम भी करता है। तौसीफ ने शूटआउट के समय सफेद पिंटेड शर्ट और नीली रंग की जींस पहली हुई थी। वो शूटआउट को लीड कर रहा था और बिना टोपी के ही चंदन मिश्रा के कमरें में दाखिल हुआ था।
फुलवारीशरीफ इलाके में जमीन का कारोबार करता है तौसीफ बादशाह
तौसीफ बादशाह पटना के सेंट कैरेन्स स्कूल का पढ़ा-लिखा है। वर्तमान में फुलवारीशरीफ इलाके में जमीन का कारोबार करता है। वह लोगों के बीच खुद को ‘बादशाह’ के नाम से पहचानता है। पुलिस सूत्रों के अनुसार तौसीफ का गैंग सुपारी लेकर मर्डर करता है। आशंका है कि चंदन मिश्रा की मर्डर भी सुपारी किलिंग के तहत करवाई गयी है। तौसीफ के अलावा उसके चार अन्य साथियों की पहचान भी पुलिस ने कर ली है, लेकिन अभी ऑफिसियल रूप से नाम उजागर नहीं किये गये हैं।
पुलिस की स्पेशल टीमें लगातार अलग-अलग इलाकों में रेड कर रही है। फुलवारी शरीफ एरिया से भी कई संदिग्धों को पूछताछ के लिए उठाया गया है। पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही सभी आरोपियों को अरेस्ट कर लिया जायेगा। इस मर्डर केस से जुड़े और भी पहलुओं की जांच जारी है। घटना का CCTV फुटेज सामने आया है, लेकिन पुलिस ने मीडिया से अपील की है कि इन्विस्टीगेशन प्रभावित न हो, इसलिए इसे सार्वजनिक न किया जाए।डीजीपी विनय कुमार ने कहा कि इस कांड में जो भी शामिल होंगे, उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस हर साजिश को बेनकाब करेगी और जल्द ही बड़ा खुलासा होगा।
गाड़ी से हॉस्पिटल पहुंचे थे पांच क्रिमिनल
बक्सर निवासी बक्सर निवासी चंदन कुमार उर्फ चंदन मिश्रा बेऊर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था। उसे बक्सर के चूना बिजनसमैन राजेंद्र केसरी की मर्डर केस में उम्र कैद की सजा काट रहा था। इलाज के लिए वह पैरोल पर बाहर आया था। पारस हॉस्पिटल में उसका बवासीर का ऑपरेशन हुआ था। बताया जाता है कि गुरुवार को दोपहर में पांच क्रिमिनल एक गाड़ी से पारस हॉस्पिटल पहुंचे। वे सीधे हॉस्पिटल के रूम नंबर 209 के अंदर तक पहुंचे और चंदन मिश्रा को गोली मार दी। चंदन को तीन से चार गोली मारी गयी है। गोली लगने से कैदी चंदन मिश्रा की मौत हो गयी।वहीं, चंदन के साथ मौजूद दो अन्य के पैर और पीठ में गोली का छर्रा लगा है। घटना को अंजाम देने के बाद सभी मौके से भाग निकले।
इस घटना में पुलिस की टेक्निकल टीम पारस हॉस्पिटल के कंट्रोल रूम में लगे सीसीटीवी फुटेज देखी जिससे पता चला कि क्रिमिनलों की संख्या चार से पांच थी, जिसमें दो अपराधी इमरजेंसी गेट से जबकि दो ओपीडी गेट से अंदर गया था। किसी भी क्रिमिनल ने अपना चेहरा नहीं ढक रखा था। पुलिस ने डीवीआर को जब्त कर लिया है। घटना के बाद चारों शूटर हाथ मे हथियार लेकर धमकाते हुए मुख्य गेट से बाहर निकले। जो पास के ही समनपुरा गली में भाग गये। पुलिस उस गली में लगे कैमरों को देख रही है। कयास लगाया जा रहा घटना में दो बाइक का इस्तेमाल किया गया था। सीसीटीवी फुटेज में चार क्रिमिनल नजर आये हैं, जिनकी तस्वीरें बक्सर, भोजपुर और वैशाली के एसएसपी को भेजी गयी हैं।
चंदन और शेरू के आपराधिक जीवन की पहली बड़ी घटना
कुख्यात चंदन मिश्रा और क्रिमिनल शेरू सिंह कभी एक ही गैंग में थे, लेकिन बाद में आपसी विवाद के चलते दोनों जानी दुश्मन बन गये थे। दोनों को पहले फांसी की सजा हुई थी जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया।14 साल पहले बक्सर जिला मुख्यालय के अमला टोली में मेन रोड पर हुआ राजेंद्र केसरी मर्डर सबसे चर्चित था।21 अगस्त 2011 को बक्सर जिला मुख्यालय के मेन रोड पर भोजपुर चूना भंडार के मालिक राजेंद्र केसरी की दिनदहाड़े गोली मारकर मर्डर कर दी गई थी। राजेंद्र अपनी दुकान का शटर खोल रहे थे, तभी बक्सर जिले के अपराधियों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। इस मामले में राजेंद्र के परिजनों ने बक्सर निवासी चंदन मिश्रा, ओंकारनाथ सिंह उर्फ शेरू सिंह, सुरेंद्र मिश्रा उर्फ छोटू मिश्रा, निलंबित पुलिसकर्मी दीनबंधु सिंह और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया। यह वारदात चंदन और शेरू के आपराधिक जीवन की पहली बड़ी घटना थी।
चंदन और शेरू के गांव एक-दूसरे के बिल्कुल नजदीक
शेरू भी बक्सर औद्योगिक पुलिस स्टेशन एरिया के दुल्लहपुर गांव का निवासी है। चंदन और शेरू के गांव एक-दूसरे के बिल्कुल नजदीक हैं। इन दोनों रंगदारी के लिए बक्सर जिले के मशहूर बिजनसमैन की मर्डर कर दी थी। इनकी कोशिश थी कि इस घटनाक्रम को खूब प्रचार मिले और व्यवसायियों में इनका खौफ बने। कुछ हद तक ऐसा हुआ भी। हालांकि, पुलिस ने तब सक्रियता दिखाते हुए दोनों को कुछ ही दिनों में अरेस्ट कर लिया था। इस मामले में पुलिस ने त्वरित जांच की और स्पीडी ट्रायल के माध्यम से मामले की सुनवाई हुई। तीन अक्टूबर 2013 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरेन्द्र तिवारी ने चंदन मिश्रा, दीनबंधु सिंह और छोटू मिश्रा को उम्रकैद की सजा सुनाई। इससे पहले 29 सितंबर 2012 को चंदन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 386 (रंगदारी), 467, 468, 471 (जालसाजी) और आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत दोषी ठहराया गया। दीनबंधु सिंह और छोटू मिश्रा को धारा 302/120बी समेत अन्य धाराओं में दोषी करार दिया गया।
सजा की तारीख आठ अक्टूबर 2012 को निर्धारित की गई थी, लेकिन आरोपितों के वकील ने हाईकोर्ट में अपील की, जिसके कारण सजा पर रोक लग गई। बाद में पुन: उच्च न्यायालय से अनुमति मिलने पर दोबारा सुनवाई करते हुए अपराधियों को सजा सुनाई गयी थी। इस मामले में 13 गैर-सरकारी गवाहों, तीन चिकित्सा अधिकारियों, दो न्यायिक दंडाधिकारियों और दो पुलिस अधिकारियों ने अभियोजन के पक्ष में बयान दिए। अभियोजन ने इस हत्या को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ की श्रेणी में रखते हुए फांसी की सजा की मांग की थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने चंदन, दीनबंधु और छोटू को उम्रकैद की सजा सुनाई। एक अन्य आरोपित का मामला किशोर न्याय परिषद में अलग से चला था।
ट्रायल को दौरान शेरू सिंह हो गया था फरार
इस मामले के ट्रायल के दौरान मामले का सबसे प्रमुख आरोपित शेरू सिंह बक्सर कोर्ट में पेशी के दौरान एक हवलदार को गोली मारकर फरार हो गया, लेकिन बाद में वह आरा पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसकी सुनवाई अलग से हुई।तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रदीप मल्लिक ने शेरू को राजेंद्र केसरी मर्डर का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। शेरू ने इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। 12 फरवरी 2020 को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल की बेंच ने सजा पर रोक लगाते हुए मामले की दोबारा सुनवाई का आदेश दिया।वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई, और मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने शेरू को दोषी ठहराते हुए तीन अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई। हत्या के लिए उम्रकैद, रंगदारी के लिए सात साल और आर्म्स एक्ट में 10 साल की सजा। ये सजाएं एक साथ चलनी थीं। शेरू अभी अपनी सजा काट रहा है।