Chaurchan festival 2025 :मिथिलांचल में मंगलवार को मनेगा चौरचन पर्व, इस मुहूर्त में करें चंद्र दर्शन

Chaurchan 2025: मिथिलांचल में इस बार चौरचन पर्व मंगलवार को मनाया जायेगा। जानें पूजा विधि, चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त और इस पर्व का महत्व।

Chaurchan festival 2025 :मिथिलांचल में मंगलवार को मनेगा चौरचन पर्व, इस मुहूर्त में करें चंद्र दर्शन
चंद्रमा को अर्घ्य देने का है विधान।

पटना। मिथिलांचल में विशेष लोकपर्व के रूप में मनाया जानेवाला चौरचन (Chaurchan) पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चौथ तिथि को मनाया जाता है।  इस बार चौरचन पर्व मंगलवार को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जायेगा। 
यह भी पढ़ें:Surya Hansda Encounter Godda: गोड्डा पहुंची ST आयोग की टीम, सूर्या हांसदा एनकाउंटर मामले की जांच शुरु
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाने वाला इस दिन विशेष रूप से मिथिलांचल में गणेश चौठ के अवसर पर चंद्रमा की पूजा की परंपरा है।  इस दिन महिलाएं भगवान गणेश और चंद्र देव की  पूजा कर कलंकमुक्ति तथा परिवार की समृद्धि की कामना करती हैं। मंगलवार को  शाम 6:25 बजे से 7:55 बजे तक चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त रहेगा। महिलाएं और व्रतीजन नये बर्तन में जमाया हुआ दही, फल और पकवान लेकर चंद्रदेव को अर्घ्य देंगे। मान्यता है कि दही और फल लेकर चंद्रमा के दर्शन से कोई मिथ्या कलंक नहीं लगता है।
गणेश जी का श्राप और चतुर्थी का महत्व
इस पूजा के पीछे पौराणिक कथा यह है कि चतुर्थी तिथि पर एक बार गणेश जी चंद्रलोक में भोज के लिए गए। लौटते समय उनके हाथ से लड्डू गिर पड़ा, जिस पर चंद्रमा हंस पड़े। इससे क्रोधित होकर गणेश जी ने उन्हें श्राप दिया कि जो कोई तुम्हें देखेगा, उस पर मिथ्या कलंक लगेगा। घबराये चंद्रदेव ने क्षमा मांगी, तब गणेश जी ने श्राप को केवल चतुर्थी तिथि तक सीमित कर दिया। साथ ही यह वचन दिया कि भाद्र शुक्ल चतुर्थी को जो भी चंद्रमा का पूजन करेगा, उसे मिथ्या दोष नहीं लगेगा।
मिथिलांचल में मनाया जाता है चौरचन
जिस समय चंद्रमा श्रापित थे, तब लोगों ने उनकी पूजा करना बंद कर दिया था। बाद में श्राप मुक्त होने पर मिथिलांचल में चौठी चंद्रमा की पूजा शुरू हुई। आज भी बड़े उत्साह से की जाती है। इस दिन व्रती महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और कल्याण के लिए चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं।