बोकारो: शादी में खतियान लिखी पट्टी पहनकर स्टेज पर पहुंची दुल्हन

झारखंड में बोकारो जिले के नावाडीह ब्लॉक में हुई एक शादी की आजकल काफी चर्चा हो रही है। इस शादी दुल्हन की वेशभूषा को लेकर लोग खूब प्रशंसा कर रहे हैं। शादी के समारोह स्थल में जब दुल्हन पहुंची तो उसके माथे पर पीले रंग की पट्टी लगी थी। पट्टी में 1932 का खतियान लिखा था।

बोकारो: शादी में खतियान लिखी पट्टी पहनकर स्टेज पर पहुंची दुल्हन

बोकारो। झारखंड में बोकारो जिले के नावाडीह ब्लॉक में हुई एक शादी की आजकल काफी चर्चा हो रही है। इस शादी दुल्हन की वेशभूषा को लेकर लोग खूब प्रशंसा कर रहे हैं। शादी के समारोह स्थल में जब दुल्हन पहुंची तो उसके माथे पर पीले रंग की पट्टी लगी थी। पट्टी में 1932 का खतियान लिखा था।

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पिलपिलो ग्राम निवासी नारायण महतो की पुत्री कुमारी सुषमा की शादी डुमरी ब्लॉक के कसुमा के लालमणि महतो के पुत्र शिवचरण कुमार के साथ शनिवार रात को हुई। दुल्हन बीए पास है जबिक दुल्हा आर्मी में है। दुल्हन स्टेज पर पहुंची तो उसके माथे पर पीले रंग की पट्टी में 1932 का खतियान लिखा था। इसे देखकर सभी चकित रह गये। दुल्हन के साथ कई बच्चियां भी थीं। सभी ने पीली पट्टी पहनी थी।
दुल्हन की ‍वेशभूषा बाराती और शराती के बीच चर्चा का केंद्र रहा। इस बात की खूब चर्चा हुई। लोगों ने 1932 के खतियान के इस अनोखे प्रचार के तरीके की प्रशंसा की।
शादियों के कार्ड पर लोग छपवा रहे '1932 का खतियान
झारखंड में 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता नीति विवाह के निमंत्रण कार्ड पर भी अपनी जगह बना चुका है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सगे-संबंधियों और परिचितों को विवाह समारोह में आने का न्यौता देने के लिए भेजे जाने वाले कार्ड के ऊपर 1932 के खतियान से जुड़े संदेश लिखे हुए हैं। लोगों का ध्यान खींच रहे ये संदेश चर्चा का विषय बने हुए हैं। रामगढ़, बोकारो, धनबाद, चतरा, सहित कई जिलों में शादियों के कार्ड के ऊपर 1932 के खतियान पर आधारित स्लोगन नजर आ रहे हैं।

स्थानीयता के साथ भाषा का भी मुद्दा

शादियों के कार्ड पर सबसे ज्यादा जो नारे छपवाए गये हैं उनमें '1932 का खतियान, झारखंडियों की पहचान' और '1932 का खतियान लागू करना होगा' प्रमुख है। कहीं ये नारे हिंदी में छपवाये जा रहे है तो कहीं क्षेत्रीय भाषा नागपुरी और कुड़माली में। बोकारो के चास, कसमार और चंदनकियारी में छपवाए गए कुछ कार्ड के ऊपर कुड़माली भाषा में 'झारखंड में बाहरी भाषा नाय चलतो' लिखा हुआ है। बता दें कि हाल के दिनों में नियुक्तियों में स्थानीय भाषा का मुद्दा भी झारखंड में बड़ा मुद्दा रहा है।

इंटरनेट मीडिया पर भी वायरल हुए खास तरह के कार्ड

1932 का खतियान लागू करने के आंदोलन से जुड़े लोग अपने बेटे बेटियों की शादी के आमंत्रण पत्र में 1932 के खतियान का उल्लेख कर रहे हैं। शादी का आमंत्रण पत्र देते समय यह भी कह रहे हैं कि उपहार दें या ना दें, वर वधु को आशीर्वाद देते समय 1932 के खतियान का सपोर्ट जरूर करें।करमाटांड़ बलियापुर में रहनेवाले फनिल रवानी की बेटी सोनका की शादी 22 अप्रैल को संपन्न हुई है। कार्ड में ऊपर ही उन्होंने मोटे अक्षरों में लिखवा रखा था, झारखंडी की पहचान, 1932 की खतियान।  फनिल ने कहा कि पिछले महीने बोकारो के नया मोड़ से धनबाद के रणधीर वर्मा चौक तक 42 किलोमीटर तक झारखंडी युवा खतियान के लिए दौड़े थे। लगभग 20 हजार झारखंडी युवा शामिल हुए। लड़के-लड़कियां सब थे। अब हमारी बारी है। 300 से अधिक लोगों को कार्ड बांटा है। प्रत्येक घर से चार लोग भी इस आंदोलन के लिए आगे आएं तो लगभग 1200 लोग हो जायेंगे।
बरवाडीह राजगंज के भगवान दास महतो ने भी 22 अप्रैल को ही अपने बेटे खिरोधर महतो की शादी की। उन्होंने भी कार्ड में सबसे ऊपर स्थानीय भाषा में लिखवाया था- 1932 के खतियान लागू करें हेतो। भगवान दास कहते हैं कि झारखंड की हकमारी कोई करेगा तो झारखंड के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। झारखंड के युवा अब जागे हैं, बहुत दिनों बाद झारखंड जागा है। हम सभी का फर्ज है 1932 खतियान लागू करवाएं। इसीलिए कार्ड में ऐसा संदेश छपवाया है। बोकारो जिले के कसमार डाक बंगला निवासी गोविंद माहथा ने 22 अप्रैल को वह अपने पुत्र अशोक की शादी किया है। उन्होंने शादी को पूरे कार्ड को ही खोरठा भाषा में छपवाया था। शादी के कार्ड के ऊपर लिखा है कि 1932 की खतियान हर झारखंडी की अपनी पहचान, झारखंड में बाहरी भाषा नाय चलतो।धनबाद के बलियापुर निवासी गजाधर महतो की बेटी सीता की शादी अगले 28 अप्रैल को हुई है। इन्होंने भी स्थानीय नीति का खुलकर समर्थन किया है। बेटी की शादी के कार्ड के ऊपर ही छपवा दिया - 1932 की खतियान, हर झारखंडी की अपनी पहचान।