बिहार: देश में पहली बार पटना AIIMS में आठ लोगों को दिया गया कोरोना वैक्सीन का डोज
पटना एम्स में देश में पहली बार कोरोना वैक्सिन का शुरू कर दी गई है। देश में सबसे पहले पटना एम्स ने बुधवार व गुरुवार को आठ लोगों पर इसका ट्रायल किया है।
- बिहार में Corona Vaccine का Human Trial शुरु
पटना। पटना एम्स में देश में पहली बार कोरोना वैक्सिन का Human Trial शुरू कर दिया गया है। देश में सबसे पहले पटना एम्स ने बुधवार व गुरुवार को आठ लोगों पर इसका ट्रायल किया है। हाफ एमएल डोज देने के बाद लगभग चार घंटे उसे आब्जर्वेशन में रखा गया। फिर बारी-बारी से सभी को घर भेज दिया गया है।
दुबारा चार दिनों बाद रिसर्च टीम उक्त लोगों के घर जाकर परीक्षण करेगी। यदि सब अनुकूल रहा तो 14 दिनों बाद दूसरा डोज दिया जायेगा। इसमें भी सब नॉर्मल रहा तो 28 दिन बाद पुन: दवा के प्रभाव-दुष्प्रभाव का आकलन किया जायेगा। इसके बाद 104वें और 194वें दिन रिसर्च टीम पुन: दवा के प्रभाव का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देगी। यानी 14, 28, 104 और 194 दिनों के अंतराल पर मिली रिपोर्ट आइसीएमआर को भेजी जायेगी। इसी आधार पर वैक्सीन को हरी झंडी दिए जाने का निर्णय लिया जायेगा।
पटना एम्स के डायरेक्टर प्रभात कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ चुने हुए लोगों को पटना एम्स में ट्रायल के लिए कोरोना दवा दी गई है। पहले फेज में यहां 18 लोगों को वैक्सीन का डोज देना है। इसका रिजल्ट तीन महीने के बाद आयेगा। फिलहाल 54 लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल होगा।
कोरोना वैक्सीन का देश का पहला मानव ट्रायल पटना एम्स में
अभी तक कोरोना वैक्सीन का ऐसा ट्रायल देश के किसी भी संस्थान में नहीं हुआ है। इस तरह से पटना एम्स कोरोना से लड़ाई के लिए सबसे पहले सामने आया है। कोरोना की वैक्सीन हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी और आईसीएमआर ने बनाई है। इसी का पटना एम्स समेत देश के 12 संस्थानों में ट्रायल होना है, जो सबसे पहले पटना एम्स में शुरू हो चुका है।
पांच मेंबर की टीम कर रही है अध्ययन
एम्स के सुपरिटेंडेंट डॉ. सीएम सिंह के नेतृत्व में पांच मेंबर की टीम Human Trial का अध्ययन कर रही है। ICMR के दिशा-निर्देश के अनुसार यह अध्ययन 194 दिनों में पूरा होगा। टीम में हिंदुस्तान बायोटेक के मेंबर के साथ एम्स के डॉ. रवि कीर्ति, डॉ. संजय पांडेय और डॉ. शमशाद शामिल हैं।
तीन फेज में संपन्न होगा परीक्षण
कोरोना वैक्सिन का परीक्षण की प्रक्रिया तीन चरणों में संपन्न होगी। प्रथम चरण में 18 से 55 वर्ष तक के देश भर के 375 लोग शामिल होंगे। एम्स, पटना में करीब 50 लोगों को वैक्सीन का हल्का डोज देकर उनकी सतत निगरानी की जाएगी। परिणाम सकारात्मक रहा तो दूसरे चरण में 12 से 65 वर्ष के 750 लोग शामिल होंगे। इनमें एम्स, पटना में करीब 100 लोगों को रैंडमली डबल डोज दिया जाएगा। तीसरे चरण में यह देखा जाएगा कि वैक्सीन से शरीर में किस स्तर का एंटीबॉडी विकसित हुआ है। यदि यह पर्याप्त रहा तो उस व्यक्ति को वायरस के संपर्क में लाया जाएगा। यदि शरीर वायरस से संक्रमित नहीं होता है तो वैक्सीन का उत्पादन शुरू किया जा सकता है।