नई दिल्ली: अजीम प्रेमजी विप्रो के एग्जिक्युटिव चेयरमैन पोस्ट सें 31 जुलाई को होंगे रिटायर, बेटे रिशद प्रेमजी को जिम्मेवारी सौंपेंगे

  • टाइम मैगजीन ने अजीम प्रेमजी को 2004 और 2011 में 100 सबसे प्रभावी लोगों की लिस्ट में शामिल किया था
  • विप्रो ने 31 जुलाई से ही अपने सीईओ को एमडी का पद भी सौंपने का निर्णय लिया है
  • प्रेमजी की मौजूदा नेटवर्थ 36 हजार करोड़ रुपये
  • रेमजी ने 2001 से चैरिटी शुरू की, अब तक 1.47 लाख करोड़ रुपये दान में दे चुके
नई दिल्ली: इंडिया की दिग्गज आईटी कंपनी विप्रो के एग्जिक्युटिव चेयरमैन अजीज प्रेमजी 31 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं. हालांकि, वह कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में नॉन-एग्जिक्युटिव डायरेक्टर और फाउंडर चेयरमैन के तौर पर बने रहेंगे.विप्रो की ओर से गुरुवार को जारी बयान में कहा गया कि अजीम प्रेमजी के बेटे रिशद प्रेमजी अपने पिता की जगह एग्जिक्युटिव चेयरमैन की जिम्मेदारी संभालेंगे. रिशद अभी कंपनी के चीफ स्ट्रैटिजी ऑफिसर (सीएसओ) के पोस्ट पर हैं. वह कंपनी बोर्ड के मेंबर भी हैं. विप्रो बोर्ड ने मौजूदा सीईओ आबिदाली जेड नीमचवाला को सीईओ के साथ-साथ मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) की भी जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया है. शेयरधारकों की स्वीकृति मिलने के बाद 31 जुलाई से ये बदलाव प्रभावी होंगे. [caption id="attachment_33924" align="alignnone" width="300"] रिशद प्रेमजी .[/caption] 73 साल के अजीम प्रेमजी 53 साल से विप्रो को संभाल रहे हैं. विप्रो की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि देश में टेक्नॉलजी इंडस्ट्री को खड़ा करनेवालों में एक और विप्रो लिमिटेड के संस्थापक अजीम प्रेमजी का मौजूदा कार्यकाल 30 जुलाई, 2019 को खत्म हो रहा है. वह पिछले 53 वर्षों से विप्रो का नेतृत्व कर रहे हैं.अजीम प्रेमजी ने एक बयान में कहा है कि हमने एक लंबा और संतोषप्रद सफर तय किया. भविष्य में मैं अपनी परोपकारी गतिविधियों में ध्यान केंद्रित करने पर ज्यादा वक्त देना चाहता हूं. मुझे रिशद की नेतृत्व क्षमता पर पूरा भरोसा और विश्वास है कि वह अगले चरण की वृद्धि में विप्रो में बड़ा योगदान देंगे. प्रेमजी को दुनिया एक दानवीर के रूप में भी जानती है. उन्हें भारतीय आईटी इंडस्ट्री का सम्राट भी कहा जाता है. टाइम मैगजीन ने उन्हें 2004 और 2011 में 100 सबसे प्रभावी लोगों की सूची में शामिल किया था. प्रेमजी अपनी मौजूदा नेटवर्थ से चार गुना संपत्ति पहले ही दान कर चुके हैं. फोर्ब्स के मुताबिक, उनकी मौजूदा नेटवर्थ 5.2 अरब डॉलर (करीब 36 हजार करोड़ रुपए) है. वे अब तक 21 अरब डॉलर (1.47 लाख करोड़ रुपए) दान कर चुके हैं.अपनी मां के चैरिटेबल कामकाज से प्रेरित होकर प्रेमजी ने 2001 में अपनी दान यात्रा शुरू की थी. उन्होंने 875 करोड़ रुपए के साथ ‘द अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने इसके लिए 280 अरब रुपए और दान किये. उन्होंने इस साल मार्च में ही 52,750 करोड़ रुपये की वैल्यू के 34% शेयर दान किये थे. यानी अब तक वे शेयर्स से होने वाली अपनी 67% कमाई दान कर चुके हैं. इकोनॉमी क्लास में सफर व ऑटो-रिक्शा से भी परहेज नहीं अजीम प्रेमजी जब कंपनी के काम से बाहर जाते हैं तो हमेशा ऑफिस गेस्ट हाउस में ही रुकते हैं.अजीज प्रेमजी देश में यात्रा के दौरान इकोनॉमी क्लास में सफर करते हैं. एयरपोर्ट आने-जाने के लिए अपनी कार या टैक्सी की बजाय ऑटो से भी चले जाते हैं. उद्योगपति जमशेद गोदरेज ने ऐसा ही एक किस्सा सुनाते हुए कहा था कि एक शाम हमने अपने मांडवा के घर में डिनर के लिए अजीम को बुलाया. डिनर के बाद जब हम उन्हें गेट पर विदा करने गये तो देखा कि अजीम वहां कार से नहीं, बल्कि एक ऑटो से आये थे. प्रेमजी यह सुनिश्चित कराते हैं कि उनकी कंपनी का कोई भी स्टाफ लाइट्स बंद किये बिना ऑफिस न छोड़े. ऑफिस के वॉशरूम में टॉयलेट पेपर का कम से कम इस्तेमाल हो. विप्रो की पहली फैक्ट्री जिस गांव में लगी, वहां के लोगों के पास 4,750 करोड़ रुपये के शेयर प्रेमजी के पिता ने विप्रो की शुरुआत महाराष्ट्र के जलगांव जिले के अमलनेर गांव में की थी. आज यह गांव करोड़पतियों से भरा हुआ ह.। 2.88 लाख आबादी वाले इस गांव के लोगों के पास विप्रो के 3% शेयर लगभग 4,750 करोड़ रुपये हैं. इनमें से ज्यादातर शेयर 1970 के दशक में इन गांव वालों को कम कीमत पर मिले थे. शेयरहोल्डर्स में किसान, किराना दुकान मालिक व रिटायर्ड लोग हैं. 21 साल की उम्र में कंपनी संभाली स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान 11 अगस्त 1966 को अजीम प्रेमजी के पास भारत से एक फोन कॉल आया. फोन पर दूसरी तरफ उनकी मां गुलबानू थीं, जिन्होंने उन्हें पिता की मौत की खबर दी. अब कंपनी की जिम्मेदारी अजीम पर आ चुकी थी. उन्हें 21 साल की उम्र में कंपनी संभालनी पड़ी. 53 साल में रेवेन्यू 45 हजार और मार्केट कैप 26 हजार गुना बढ़ाई अजीम प्रेमजी ने जब कंपनी की बागडोर संभाली तब कंपनी का सालाना रेवेन्यू करीब 1.30 करोड़ रुपये था. अब 53 साल बाद अब जब उन्होंने कंपनी छोड़ने का ऐलान किया है, तब कंपनी का सालाना रेवेन्यू 58,500 करोड़ रुपये पहुंच चुका है. यानी इन 53 सालों में कंपनी का रेवेन्यू 45,000 गुना बढ़ा. कंपनी के मार्केट कैप में भी 26 हजार गुना बढ़ोतरी हुई.साल 1965 के दौर में कंपनी की मार्केट वैल्यू 7 करोड़ थी, जो अब 1.84 लाख करोड़ रुपये है.