Niraj Singh Murder Case Dhanbad: रंजय सिंह मर्डर का बदला, राजनीतिक लाभ और संपत्ति विवाद साबित नहीं, संजीव सिंह बरी

धनबाद के चर्चित नीरज सिंह मर्डर केस में कोर्ट में अभियोजन पक्ष हत्या राजनीतिक लाभ, संपत्ति विवाद या रंजय सिंह मर्डर का बदला भी साबित नहीं कर पाया। इस कारण संजीव सिंह समेत 10 आरोपियों को बरी किया गया।

Niraj Singh Murder Case Dhanbad: रंजय सिंह मर्डर का बदला, राजनीतिक लाभ और संपत्ति विवाद साबित नहीं, संजीव सिंह बरी
संजीव सिंह व नीरज सिंह (फाइल फोटो)।

धनबाद। कोयला राजधानी धनबाद के बहुचर्चित नीरज सिंह मर्डर केस में बड़ा फैसला आया है। अभियोजन पक्ष नीरज सिंह की हत्या राजनीतिक लाभ, संपत्ति विवाद या रंजय सिंह मर्डर का बदला के लिए साबित नहीं कर पाया। कोर्ट ने एक्स एमएलए संजीव सिंह समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। यह फैसला धनबाद की राजनीति और अपराध जगत के लिए एक अहम मोड़ माना जा रहा है।
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कोर्ट में अभियोजन पक्ष राजनीतिक लाभ, रंजय सिंह मर्डर के बदले की थ्योरी या संपत्ति विवाद का कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका। ऐसे में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया। अब पूरे मामले में केस के आईओ रहे पुलिस इंस्पेक्टर सह सरायढेला थानेदार निरंजन तिवारी व सरकारी वकील की गर्दन फंसने जा रही है। एक्स एमएलए संजीव सिंह के एडवोकेट मो जावेद ने कोर्ट में 340 के तहत आवेदन देकर जाली दस्तावेज तैयार कर कोर्ट में पेश करने के लिए कानूनी कार्रवाई की मांग की है। एडवोकेट जावेद का कहना है कि आईओ ने बड़ा अपराध किया है। इस तरह के मामले में काानून को बड़ा एक्शन लेना चाहिए।
संजीव के लिए राजनीतिक खतरा नहीं थे नीरज  
एडवोकेट जावेद का कहना है कि नीरज सिंह की मर्डर से संजीव सिंह को बड़ी क्षति हुई है। उन्हें आठ वर्ष पांच माह तक जेल में रहना पड़ा। अभियोजन पक्ष की ओर से कहा था कि नीरज सिंह के बढ़ते पॉलिटिकल कद से संजीव को खतरा हो रहा था। संजीव सिंह नीरज को पैतृत संपत्ति में हिस्सा देना नहीं चाहते थे। संजीव के करीबी रंजय सिंह की हत्या का बदला लेने के लिए नीरज की मर्डर करायी गयी। एडवोकेट जावेद ने कहना है कि कोर्ट को बचाव पक्ष की ओर से बताया गया कि संजीव सिंह के सामने नीरज सिंह का पॉलिटिकल कद काफी छोटा था। नीरज से संजीव को कोई पॉलिटिकल खतरा नहीं था। संजीव के मात-पिता एमएलए रह चुके हैं। संजीव खुदग एमएलए थे। संजीव सिंह एचएमएस से संबद्ध जनता मजदूर संघ के बड़े पदाधिकारी थे। जेबीसीसीआई मेंबर थे। वहीं नीरज जनता मजदूर संघ की पैरलल कमेटी में पदाधिकारी थे। वे दो-दो बार विधानसभा चुनाव में पराजित हो चुके थे। ऐसे में वह किसी तरह से संजीव के लिए राजनीतिक खतरा नहीं थे। 
संपत्ति विवाद की बात भी नहीं हो सकी साबित
एडवोकेट जावेद का कहना है कि कोर्ट को बताया गया कि नीरज सिंह की हत्या 2017 में हुई। इससे पहले संपत्ति विवाद की कोई बात कभी सामने नहीं आयी है। संजीव-नीरज चचेरे भाई थे। संजीव व नीरज के पिता पांच भाई थे। पहले पांचों भाईयों में संपत्ति का बंटवारा होता। ऐसे में चचेरे भाई से संपत्ति विवाद का कोई सवाल ही नहीं है। रघुकुल घराना ने करोड़ों की पैतृत संपत्ति बेची है। नीरज की मर्ड के पांच साल बाद में संपत्ति बंटावारा का मामला कोर्ट में भेज गया है। ऐसे में हत्या को संपत्ति विवाद व उससे संजीव सिंह को फायदा होने की बात गलत है। 
रंजय मर्डर में रघुकुल का कोई आरोपी नहीं फिर बदला की बात कहां से आयी
एडवोकेट जावेद का कहना है कि रंजय सिंह की मर्डर में नेम्ड एफआइआर नहीं की गयी थी। रंजन की मर्डर में पुलिस इन्विस्टीगेशन में जिनके नाम आये उसमें नीरज सिंह या उनके परिजन नहीं हैं। ऐसे में रंजय सिंह की मर्डर के बदले में नीरज की हत्या की गयी कहना गलत है। अभियोजन पक्ष इस संबंध में कोई सबूत नहीं दे सका। 
पुलिस को पुलिस पर भरोसा नहीं रहा, पुलिस वालों की गवाही आईओ ने नहीं करायी
एडवोकेट जावेद ने कहा कि बचााव पक्ष की ओर से हमलोगों ने कोर्ट में साबित किया कि संजीव सिंह को फंसाने के लिए अभियजोन पक्ष ने आईओ से मिलकर जाली दस्तावेज व गवाह तैयार किये। पुलिस को पुलिस परही भरोसा नहीं रहा। पुलिस इंस्पेक्टर अरविंद कुमार सरायढेला थानेदार थे। नीरज सिंह के मर्डर के बाद तीन दिनों तक पुलिस इंस्पेक्टर अरविंद कुमार ही थानेदार थे। नीरज सिंह की मर्डर की सूचना मिलने के बाद वह अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर शीघ्र पहुंच गये थे। उन्हें की साइन से मामले में एफआइआर दर्ज हुआ था। तीन दिनों तक वह स्टेशन डायरी के प्रभार में रहे। लेकिन केस आईओ कोर्ट में पुलिस इंस्पेक्टर अरविंद कुमार व अन्य की गवाही नहीं कराये। घटना के दिन स्टील गेट में तैनात रहे ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबलों की गवाही नहीं करायी गयी। संजीव की सुरक्षा में तैनात रहे जिला पुलिस व जैप जवानों की गवाही नहीं करायी गयी। इससे स्पष्ट होता है कि पुलिस वालों को पुलिस पर ही भरोसा नहीं था। 
आईओ ने सीसीटीवी फुटेज को किया दरकिनार
एफआइआर में दावा किया गया था कि संजीव सिंह घटनास्थल पर मौजूद थे। वह नीरज सिंह को गोली मारकर बाईक से आर्म्स के साथ स्टील गेट से सिंह मेशन की ओर जा रहे थे। सरायढेला थानेदार रहे अरविंद कुमार के साथ आईओ निरंजन तिवारी गुरुकृपा ऑटो (बााइक शोरूम) लके सामने लगे सीसीटीवी को खंगाला था। सीसीटीवी में संजीव सिंह व किसी अन्य लोगों को स्टील गेट की ओर जाते व उधर से लौटते नहीं दिखे थे। कोई आपत्तिजनक गतिविधियां नहीं दिखी। लेकिन इस बात का उल्लेख आईओ निरंजन तिवारी ने केस रिकार्ड में नहीं किया है। 
एफएसएल रिपोर्ट से भी अभियोजन साक्ष्य हुआ कमजोर
नीरज सिंह अपनी फॉर्च्यूनर (जेएच10एआर-4500) से झरिया से सरायढेला आवास लौट रहे थे। इसी दौरान स्टील गेट में गोलियों से भून दिया गया। फॉर्च्यूनर ड्राइवर गोल्टू महतो की सीट से एक से अधिक लोगों के खून मिले थे। एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार यह खून गाड़ी में सवार नीरज सिंह समेत चार लोगों में से किसी से मिलान नहीं हो पाया। गाड़ी के शीशा टूटने का भी एफएसएल रिपोर्ट में उल्लेख है। कहा गया है कि शीशा तोड़ा गया। अगर शीशा तोड़कर चारों लोगों की बड़ी निकाली गयी। क्योंकि गाड़ी बंद होने के बाद लॉक हो गया था। अगर गाड़ी में पिछली सीट पर बैठा आदित्य राज जीवीत था तो शीशा तोड़कर चारों की बॉडी निकलाने के लिए जरुरत क्यों पड़ी?
21 मार्च 2017 को हुई थी नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर
धनबाद के एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों को सरायढेला स्टील गेट के समीप वर्ष 2017 की 21 मार्च की शाम गोलियों से भून दिया गया था। एक्स डिप्टी मेयर सह कांग्रेस लीडर नीरज सिंह अपनी फॉर्च्यूनर (जेएच10एआर-4500) से झरिया से सरायढेला स्थित अपने आवास रघुकुल लौट रहे थे। नीरज गाड़ी में ड्राईवर के साथ आगे की सीट पर बैठे थे। पीछे की सीट पर उनके सहायक सरायढेला न्यू कालोनी निवासी अशोक यादव और प्राइवेट बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी बैठे थे। स्टील गेट के पास बने स्पीड ब्रेकर पर नीरज की फॉर्च्यूनर की स्पीड कम होते ही दो बाइक पर सवार हमलावरों ने उनकी चारों तरफ से घेर फायरिंग करनी शुरु कर दिया । चारों तरफ से अत्याधुनिक आर्म्स से 50 से अधिक राउंड फायरिंग की गयी थी।  नीरज सिंह समेत अशोक यादव, मुन्ना तिवारी और ड्राइवर घोलटू महतो की भी मौके पर ही मौत हो गयी थी। फॉर्च्यूनर सवार एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह को निशाना बनाकर 70 से अधिक गोलियां चली थीं। नीरज सिंह बॉडी से 17 गोलियां निकाली गयी थीं, जबकि 36 जख्म के निशान मिले थे। 
नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह उर्फ गुड्डू सिंह की लिखित कंपलेन पर मामले में संजीव सिंह, मनीष सिंह, पिंटू सिंह, महंथ पांडेय व गया सिंह के खिलाफ सरायढेला पुलिस स्टेशन में कांड संख्या 48/2017 के तहत एफआइआर दर्ज की गयी थी। नीरज के चचेरे भाई झरिया के तत्कालीन एमएलए संजीव सिंह ने 11 अप्रैल 2017 को सरायढेला पुलिस स्टेशन में सरेंडर किया था। पुलिस इस मामले 11 अप्रैल को नीरज के चचेरे भाई झरिया के तत्कालीन एमएलए संजीव सिंह, राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि, रणधीर धनंजय सिंह उर्फ धनजी, संजय सिंह व जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह को जेल भेजा था। बाद में घनुडीह निवासी बिनोद सिंह को भी अरेस्ट कर जेल भेजा गया। इसके बाद यूपी पुलिस ने इस मर्डर में शामिल शूटरों उत्तर प्रदेश के शूटर सोनू उर्फ कुर्बान अली, विजय उर्फ शिबू उर्फ सागर सिंह,अमन सिंह, रिंकू सिंह, सतीश सिंह व पंकज सिंह को बारी-बारी से अरेस्ट कर धनबाद पुलिस को सौंपी थी। ये सभी झारखंड के अलग-अलग जेलों में बंद है।धनबाद जेल में तीन दिसंबर 2023 को गैंगस्टर अमन सिंह की मर्डर कर दी गयी थी।
राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि के पकड़े जाने के बाद मिले अहम सुराग
नीरज मर्डर केस में पुलिस को राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि की गिरफ्तारी के बाद अहम सुराग हाथ लगे थे। डब्ल्यू पर यूपी से आये शूटरों को किराये का मकान दिलाकर ठहराने का आरोप है।पुलिस ने नीरज सिंह मर्डर केस में पहले राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि, रणधीर धनंजय सिंह उर्फ धनजी ( संजीव सिंह का प्राइवेट बॉडीगार्ड), संजय सिंह ( स्वर्गीय रंजय सिंह का भाई व एमएलए संजीव के अनुसेवक) व जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह ( सिंह मैंशन के करीबी) को अरेस्ट कर जेल भेजी। बेल होने से पहले तक संजीव सिह रांची के रिनपास में इलाजरत थे। 
केस के अहम कड़ी संतोष सिंह उर्फ नामवर का पता नहीं लगा पायी पुलिस
पुलिस अभी तक इस केस की अहम कड़ी संतोष सिंह उर्फ नामवर का पता नहीं लगा पायी है। पुलिस के पास संतोष सिंह उर्फ नामवर की फोटो तक नहीं है। हालांकि इस केस में नामवर नाम पंकज सिंह के साथ शूटरों को लाने में शामिल था। संतोष उर्फ नामवर की तलाश में पुलिस बिहार व यूपी में कई बार दबिश दे चुकी है। बलिया व कैमूर के चक्कर लगा चुकी है। लेकिन पुलिस को संतोष नहीं मिला। पुलिस की जांच में पता चला था पंकज सिंह के आदेश पर संतोष ने सारे शूटरों को लाइनअप किया था। संतोष पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। उसके बाद आज तक पुलिस उसे ढूंढ नहीं पायी है।