Karva Chauth 2025: चंद्र दर्शन के बाद पति के हाथों से सुहागिनों ने खोला व्रत
करवाचौथ 2025, करवाचौथ चांद, धनबाद करवाचौथ, करवा चौथ व्रत, पति की लंबी आयु, सुहागिनें, करवा चौथ पूजा, Karwa Chauth Moonrise Time, Karwa Chauth 2025 Jharkhand, Threesocieties News

- कोयलांचल धनबाद में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया करवाचौथ का पर्व
- सुहागिनों ने पति की लंबी आयु और सुखमय दांपत्य जीवन की कामना की
धनबाद। कोयला राजधानी धनबाद और आसपास के क्षेत्रों में करवा चौथपर महिलाओं ने निर्जला व्रत रखते हुए श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा-अर्चना की। शुक्रवार को फल, मेवा और मिठाई से भोग अर्पित कर चंद्रमा का इंतजार किया। रात आठ बजे बाद चंद्र दर्शन के बाद पति के हाथों से पानी ग्रहण कर व्रत खोला गया।
यह भी पढ़ें:IPS अफसर वाई. पूरन कुमार सुसाइड केस हरियाणा: अब SIT करेगी जांच, IG पुष्पेंद्र कुमार लीड करेंगे टीम; छह अफसर शामिल
सुहागिनों का उत्साह
एमपी ढुलू महतो की पत्नी सावित्री देवी ने चिटाही स्थित आवास पर करवाचौथ व्रत किया।चांद नजर आते ही चलनी से चंद्रमा और पति एमपी ढुल्लू महतो का दर्शन किया। अर्घ्य अर्पित किया। इसके बाद उन्होंने अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया। इस मौके पर सुहागिनों ने विशेष श्रृंगार किया और कई जगह सामूहिक पूजन भी आयोजित किया गया। करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, जिसे चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी या करक चतुर्थी भी कहा जाता है।
प्रेम, विश्वास और समर्पण का त्योहार
करवा चौथ पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि की कामना का प्रतीक है। पंचांग अनुसार पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:57 से 7:11 तक रहा।इस दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि माता पार्वती अखंड सौभाग्यवती हैं, इसलिए महिलाएं व्रत रखकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
चंद्रमा के दर्शन से पाप नष्ट
करवा चौथ का व्रत चंद्रमा को देखकर खोलना पुरुष रूपी ब्रह्मा की पूजा का प्रतीक है। चंद्रमा शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु का भी प्रतीक माना जाता है, इसलिए महिलाएं इनके पूजन से ये गुण अपने पति के लिए प्राप्त करने की प्रार्थना करती हैं।
चांद का इंतजार और व्रत पारण
रात होते-होते सभी सुहागिनों की निगाहें आसमान की ओर थीं। जैसे ही आसमान में करवाचौथ का चांद नजर आया, घर-घर में रौनक छा गयी। महिलाओं ने चलनी से चंद्रमा और पति के दर्शन कर चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित किया। इसके बाद उन्होंने अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया। घरों में मिठाई बांटी गई और परिवार के सदस्यों ने एक-दूसरे को करवाचौथ की शुभकामनाएं दीं।
आस्था और परंपरा का संगम
करवाचौथ के इस पावन पर्व को प्रेम, विश्वास और वैवाहिक एकता का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए रखा था। तब से यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। अब यह व्रत विवाहित महिलाओं के साथ-साथ वे युवतियां भी करती हैं, जिनका विवाह तय हो चुका होता है।