Jharkhand: हेमंत सोरेन ने 'अबुआ बीर दिशोम' अभियान का किया शुभारंभ, आदिवासी फैमिली को मिलेगा वनाधिकार पट्टा 

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने वनों पर निर्भर आदिवासियों एवं अन्य लोगों को वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत वनाधिकार पट्टा देने के लिए अबुआ बीर दिशोम अभियान का शुभारंभ किया है। सीएम ने अबुआ बीर दिशोम की शुरुआत पारंपरिक रूप से नगाड़ा बजाकर किया गया।

Jharkhand: हेमंत सोरेन ने 'अबुआ बीर दिशोम' अभियान का किया शुभारंभ, आदिवासी फैमिली को मिलेगा वनाधिकार पट्टा 
आदिवासी फैमिली को मिलेगा वनाधिकार पट्टा ।
  • 15 लाख आदिवासी परिवारों को अभियान से जोड़ने का टारगेट

रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने वनों पर निर्भर आदिवासियों एवं अन्य लोगों को वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत वनाधिकार पट्टा देने के लिए अबुआ बीर दिशोम अभियान का शुभारंभ किया है। सीएम ने अबुआ बीर दिशोम की शुरुआत पारंपरिक रूप से नगाड़ा बजाकर किया गया।

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अबुआ बीर दिशोम अभियान तहत एक व्यापक अभियान चलाकर आदिवासी और वनों पर निर्भर रहनेवाले लोगों को व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन वनाधिकार पट्टा मुहैया कराया जायेगा। इस अभियान से 15 लाख आदिवासी परिवारों को छह से आठ माह में जोड़ने का टारगेट रखा गया है। इस अवसर पर सीएम ने कहा कि वनवासियों को वनाधिकार पट्टा देने पर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया। इसके लिए उन्होंने डीसी एवं डीएफओ को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने इस अभियान को सफल बनाने के सख्त निर्देश भी दिए।अबुआ बीर दिशोम अभियान को सफल बनाने के लिए ग्राम, अनुमंडल एवं जिला स्तर पर वनाधिकार समिति का गठन/पुनर्गठन किया गया है। यह समिति वन पर निर्भर लोगों और समुदायों को वनाधिकार पट्टा दिये जाने के लिए उनके दावा पर नियमानुसार अनुशंसा करेगी।
मोबाइल एप और वेबसाइट तैयार किया गया
अबुआ बीर दिशोम अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए मोबाइल एप्लीकेशन एवं वेबसाइट भी तैयार की गई है। इससे आदिवासी और वनों पर निर्भर रहने वाले लोगों को व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन वनाधिकार पट्टा मुहैया कराया जा सके। वन अधिकार समिति द्वारा चिन्हित लोगों को सरकार द्वारा वन पट्टा मुहैया कराने हेतु अभियान अबुआ बीर दिशोम अभियान की शुरुआत राज्यस्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला से हुई। इसमें सभी जिलों के डीसी और वन प्रमंडल पदाधिकारी उपस्थित थे।

सीएम ने अबुआ बीर दिशोम अभियान को लेकर तैयार मोबाइल ऐप तथा वेबसाइट का शुभारंभ किया। चीफ सेकरटेरी सुखदेव सिंह ने कहा कि यह चिंताजनक है कि अधिनियम लागू होने के 17 साल में महज 60 हजार लोगों को पट्टा दिया गया है। सामुदायिक वनाधिकार पट्टा तो न के बराबर है।

मिलेगा वनाधिकार पट्टा
अबुआ वीर दिशोम अभियान आदिवासियों-मूलवालियों को जल, जंगल, जमीन अभियान के तहत यह योजना आरंभ की गई है। वनों पर निर्भर रहने वाली जनजातियों को इस योजना में वनाधिकार का पट्टा दिया जायेगा। जरूरतमंदों को वनाधिकार का पट्टा निजी और सामुदायिक स्तरों पर मिलेगा। इसकी मांग अर्से से चली आ रही थी। वनों की रक्षा की दिशा में इस प्रयास को मील का पत्थर बताया जा रहा है।
यह है अबुआ वीर दिशोम योजना
झारखंड के लगभग 27 प्रतिशत भूभाग पर जंगल है। इसमें विभिन्न जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं। जंगल उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। वे जंगलों, जंगली जानवरों और वनस्पति का भी संरक्षण करते हैं। सरकार का मानना है कि जंगलों की रक्षा स्थानीय स्तर पर लोगों को अधिकार देकर की जा सकती है। इसी सोच को धरातल पर उतारने के लिए अबुआ वीर दिशोम योजना की शुरूआत की जा रही है।
वनाधिकार समितियों का गठन कर निर्धारित होगा पट्टा
अबुआ वीर दिशोम अभियान में अनुमंडल व जिला स्तर पर वनाधिकार समितियों का गठन किया गया है। यही समितियां वनाधिकार पट्टा के लाभुकों का निर्धारण करेंगी। समिति की अनुशंसा पर कार्य होगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर इस अभियान के लिए एप और वेबसाइट बनाई गई है। अबुआ वीर दिशोम अभियान का पहला चरण अगले माह दिसंबर में पूरा होगा। इन माध्यमों से इस बात की पूरी जानकारी मिलेगी कि किस जिले में कितनी वनाधिकार समितियां संचालित हो रही है और कौन-कौन ग्रामसभायें सक्रिय है। इससे वनाधिकार का पट्टा देने के अभियान में तेजी के साथ-साथ पारदर्शिता भी आयेगी।