बिहार:सुशील मोदी की जगह ले सकते हैं कामेश्वर चौपाल, 15 को NDA की बैठक में होगा सीएम के नाम पर फैसला

बिहार में नई सरकार के गठन को लेकर एनडीए विधायक दल की बैठक 15 नवंबर को होगी जिसमें सीएम के नाम पर फैसला होगा। नीतीश कुमार के नाम का औपचारिक एलान किया जायेगा। बताया जा रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल को बिहार कैबिनेट में अहम जिम्मेरदारी दी जा सकती है।

बिहार:सुशील मोदी की जगह ले सकते हैं कामेश्वर चौपाल, 15 को NDA की बैठक में होगा सीएम के नाम पर फैसला
  • राम मंदिर की रखी थी पहली ईंट, अब बिहार गवर्नमेंटमें मिल सकती है अहम जिम्मेादारी

पटना।बिहार में नई सरकार के गठन को लेकर एनडीए में कवायद तेज हो गयी है। एनडीए के सभी घट दलों के नेताओं की शुक्रवार को अनौपचारिक बैठक सीएम आवास पर हुई। बैठक में नीतीश कुमार को एनडीए विधायक दल का नेता चुनने सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। एनडीए विधायक दल की बैठक 15 नवंबर को होगी जिसमें सीएम के नाम पर फैसला होगा। नीतिश कुमार के नाम का औपचारिक एलान किया जायेगा। 

बताया जा रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल को बिहार कैबिनेट में अहम जिम्मेरदारी दी जा सकती है। उन्हें डिप्टी सीएम बनाये जाने की चर्चा है। हालांकि, बीजेपी के सीनीयर लीडर इस बाबत जानकारी से इनकार किया है।एनडीए विधायक दल की औपचारिक बैठक 15 नवंबर को 12:30 बजे से होगी, जिसमें सीएम के रूप में नीतीश कुमार के नाम की घोषणा होगी। कहा जा रहा है कि इसी दौरान कामेश्वर चौपाल को कोई अहम जिम्मेटदारी देने की भी घोषणा भी की जा सकती है। कामेश्वर चौपाल का कहना है कि कि पार्टी का सिपाही होने के नाते जो जिम्मेपदारी दी जायेगी, उसका वे निर्वाह करेंगे। 

राम मंदिर आंदोलन से नाता रखने वाले चौपाल बीजेपी का दलित चेहरा

राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहने वाले कामेश्वर चौपाल को बीजेपी का दलित चेहरा माना जाता है। उन्हें बिहार में बड़ा पद देने से हिंदुत्व वोट बैंक मजबूत होने के साथ ही दलितों के बीच पार्टी की पैठ भी बढ़ेगी। बीजेपी कामेश्वर चौपाल को बिहार में आगे कर यह राम विलास पासवान के निधन के बाद खाली हुए दलित चेहरे की भरपाई की कोशिश में है।

कामेश्वर चौपाल का राजनीतिक सफर

कामेश्वर चौपाल राम मंदिर के शिलान्यास समारोह के बाद बीजेपी में शामिल होकर उन्हों ने सक्रिय राजनीति शुरू की। उन्होंदने 1991 में रोसड़ा तथा 1995 में बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली। वह 2002 से 2014 तक एमएलसी रहे। बीजेपी ने 2014 में उन्हें सुपौल लोकसभा सीट से मैदान में उतारा लेकिन वे फिर चुनाव हार गये। कामेश्वर चौपाल ने 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ा था, हालांकि हार गए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ सुपौल से चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन यहां भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी। फरवरी 2020 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में बिहार से बीजेपी नेता कामेश्वर चौपाल को भी शामिल किया गया था।

वर्ष 1956 की 24 अप्रैल में जन्मे कामेश्वर चौपाल ने जेएन कॉलेज मधुबनी से स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद मिथिला विवि दरभंगा से 1985 में एमए की डिग्री ली।रोटी के साथ राम का नारा देने वाले कामेश्वर चौपाल ने ही वर्ष 1989 की नौ  नवंबर  को राम मंदिर निर्माण के लिए हुए शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखी थी। उस समय वह पूरे देश में चर्चा के केंद्र में थे। वीएचपी में बिहार के सह संगठन मंत्री होने के नाते कामेश्वर चौपाल भी आयोध्या में मौजूद थे। तब पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार धर्मगुरुओं ने कामेश्वर चौपाल को शिलान्यास के लिए पहली ईंट रखने को कहा। वह अभी श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य हैं। ट्रस्ट में शामिल दलित समुदाय के कामेश्वर चौपाल को संघ और वीएचपी में काम करने का लंबा अनुभव है।