BCCI कर सकता है अपने संविधान में संशोधन: सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ की याचिका को कूलिंग ऑफ पीरियड में ढील देने के लिए अपने संविधान में प्रस्तावित संशोधनों को अनुमति प्रदान कर दी है।

BCCI कर सकता है अपने संविधान में संशोधन: सुप्रीम कोर्ट 
  • सौरव गांगुली और जय शाह के पद पर बने रहने का रास्ता साफ

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ की याचिका को कूलिंग ऑफ पीरियड में ढील देने के लिए अपने संविधान में प्रस्तावित संशोधनों को अनुमति प्रदान कर दी है।

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भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से पदाधिकारियों के अनिवार्य कूलिंग ऑफ पीरियड और कार्यकाल के मसले पर अपने संविधान में संशोधन करने की अनुमति दिए जाने की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमारा विचार है कि बीसीसीआइ की ओर से अपने संविधान में किया गया संशोधन खेल की मूल उद्देश्य को कमजोर नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह को बड़ी राहत मिली है। दोनों ही अगले तीन वर्ष तक बीसीसीआई में अपने पद पर बरकरार रह सकते हैं।

पदाधिकारियों के पास अब एक बार में अधिकतम 12 साल 

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक अब पदाधिकारियों के लिए कूलिंग ऑफ अवधि बीसीसीआई या राज्य संघ के स्तर पर लगातार दो कार्यकाल के बाद शुरू होगी। पदाधिकारियों के पास अब एक बार में अधिकतम 12 साल हो सकते हैं (राज्य क्रिकेट संघ के स्तर पर दो तीन वर्षीय कार्यकाल और बीसीसीआई में दो तीन वर्षीय कार्यकाल)। न्यूज एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक कूलिंग-ऑफ पीरियड इसके बाद लागू होगा।

वहीं न्यूज एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि एक पदाधिकारी बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघ दोनों स्तरों पर लगातार दो कार्यकाल के लिए एक विशेष पद पर काम कर सकता है। इसके बाद उसे तीन साल का कूलिंग-ऑफ पीरियड पूरा करना होगा। बीसीसीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और हिमा कोहली कि बेंच के समक्ष दलीलें रखी। तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि पद पर काबिज शख्स को खुद साबित करने के लिए तीन साल अवधि बेहद कम है। उन्होंने बीसीसीआइ की ओर से मौजूदा संविधान में संशोधन के लिए मंजूरी मांगी।BCCI ने अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह  का कार्यकाल बढ़ाने के लिए उन्हें कूलिंग ऑफ पीरियड से छूट देने की अपील की थी। इसके लिए बीसीसीआइ के संविधान में संशोधन की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा- बीसीसीआई की ओर से प्रस्तावित संशोधन हमारे निर्णय की भावना से अलग नहीं हैं।  बीसीसीआइ के मौजूदा नियम कहते हैं कि राज्य क्रिकेट बोर्ड या बीसीसीआई में छह साल तक पद पर रहने के बाद दूसरा पद हासिल करने से पहले तीन साल का कूलिंग आफ पीरियड का पालन करना होगा। इस मसले पर सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।  बीसीसीआइ की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलीलों में कहा था कि राज्य क्रिकेट बोर्ड और बीसीसीआइ दोनों निकाय अलग हैं। उनके नियम भी अलग हैं और जमीनी स्तर पर नेतृत्व तैयार करने के लिए पदाधिकारी के लगातार दो कार्यकाल बहुत कम हैं। इससे पहले जस्टिस लोढ़ा की अगुआई वाली समिति ने बीसीसीआइ में संशोधनों की सिफारिश की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया था।