Jharkhand पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के ठेका कार्यों में अनियमितता का आरोप, बाबूलाल मरांडी ने की जांच की मांग

झारखंड के एक्स सीएम व बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (JPHCL) के ठेकों में बड़े पैमाने पर हुई अनियमितता हुई है। बाबूलाल मरांडी ने चीफ सेकरेटरी सुखदेव सिंह को पत्र लिखर तत्कालीन होम सेकरेटरी राजीव अरुण एक्का, सत्ता के दलाल विशाल चौधरी और Executive Engineer  सुरेश ठाकुर के संलिप्तता व मिलीभगत की जांच कर कार्रवाई की मांग की है।

Jharkhand पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के ठेका कार्यों में अनियमितता का आरोप, बाबूलाल मरांडी ने की जांच की मांग
  • तत्कालीन होम सेकरेटरी राजीव अरुण एक्का, सत्ता के दलाल विशाल चौधरी और Executive Engineer
  • सुरेश ठाकुर के संलिप्तता व मिलीभगत
  • चीफ सेकरटेरी को लिखा पत्र, कहा- जांच करा कर कार्रवाई करें

रांची। झारखंड के एक्स सीएम व बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (JPHCL) के ठेकों में बड़े पैमाने पर हुई अनियमितता हुई है। बाबूलाल मरांडी ने चीफ सेकरेटरी सुखदेव सिंह को पत्र लिखर तत्कालीन होम सेकरेटरी राजीव अरुण एक्का, सत्ता के दलाल विशाल चौधरी और Executive Engineer  सुरेश ठाकुर के संलिप्तता व मिलीभगत की जांच कर कार्रवाई की मांग की है।

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बाबूलाल ने चीफ सेकरेटरी को अनियमितताओ‍् की पुष्टि करने से संबंधित जरूरी दस्तावेज भी भेजे हैं। उनका आरोप है कि राजीव अरुण एक्का की मेहरबानी से पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड में विशाल चौधरी एक बिचौलिया की भूमिका निभाता रहा है। विशाल चौधरी ठेका मैनेज करने के साथ खुद भी ठेका लेता रहा है। बाबूलाल ने पत्र की प्रतिलिपि सीएम हेमंत सोरेन को भी भेजी है।

Executive Engineer सुरेश ठाकुर रिटायर हुए, कंट्रेक्ट पर हो गये नियुक्त
बाबूलाल ने पत्र में लिखा है कि झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (JPHCL)  में कार्यरत Executive Engineer सुरेश ठाकुर रिटायर हो चुके थे। लेकिन बिना विज्ञापन निकाले उन्हें दोबारा कंट्रेक्ट पर Executive Engineer के पोस्ट पर बाहल कर दी JPHCL में Executive Engineer के रहते हुए भी कार्यपालक अभियंता सुरेश ठाकुर को Executive Engineer का प्रभार सौंपा गया। सुरेश ठाकुर ने दो फरवरी 2023 को पुनः अपनी सेवा विस्तार के लिए तत्कालीन गृह सचिव राजीव अरुण एक्का को पत्र लिखा। गृह सचिव ने उसी दिन निगम के प्रबंध निदेशक को सेवा विस्तार देने का आदेश दे दिया। Executive Engineer द्वारा सीधे गृह सचिव को पत्र लिखना और फिर गृह सचिव का इस मामले में सीधे आदेश देना, दोनों ही नियम विरूद्ध है। नियम यह है कि किसी अभियंता की नियुक्ति या सेवा विस्तार JPHCL बोर्ड द्वारा ही किये जाने का नियम है। मरांडी ने लिखा है कि इसमें एक्का के करीबी बिचौलिया विशाल चौधरी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
JPHCL में कई काम सुरेश ठाकुर ने विशाल चौधरी को दिए, ईडी रेड के बाद एग्रीमेंट रदद् कर सिक्योरिटी मनी भी लौटा दी

बाबूलाल ने पत्र में लिखा है कि विशाल चौधरी की कंपनी रोलेक्स सोलुशन को गलत तरीके एवं फर्जी कागजातों के आधार पर JPHCL में कई काम दिये गये। इसमें सुरेश ठाकुर ने भूमिका निभाई। 24 मई 2022 को विशाल चौधरी के यहां ईडी रेड पड़ा।  मामला सामने आने के बाद डर से दो जून को कंपनी रोलेक्स सोलुशन को गोड्डा में आवंटित काम के ठेके का एकरारनामा रद्द कर दिया गया। सीनीयर अफसरों के प्रभाव के चलते 12 – 13 जुलाई को सिक्योरिटी मनी लौटाने का आदेश दे दिया गया। लेकिन जब प्रभारी मुख्य अभियंता को खुद के फंसने का एहसास हुआ, तो कंपनी रोलेक्स सोलुशन को लौटा दी गयी जमानत राशि को फिर से निगम ने जमा करने का आदेश 31 जनवरी 2023 को दिया गया।
चीफ सेकरटेरी के अलावा कोई दूसरा नहीं कर सकता जांच
मरांडी ने पत्र में चीफ सेकरटेरी से कहा है कि चूंकि मामला सीएम के प्रिंसिपल सेकरटेरी सह गृह विभाग के प्रधान सचिव जैसे उच्च पद पर रहे पदाधिकारी से जुड़ा हुआ है। ऐसे में उनके (चीफ सेकरेटरी) सिवाय दूसरा कोई भी मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कर सकता। अतः वे अपनी निगरानी में इस मामले की बिना विलंब किए निष्पक्ष जांच करा कर आवश्यक कार्रवाई करें। जिन अफसरों ने ठेका रद्द करने के बाद सिक्योरिटी मनी लौटाने का गलत काम किया, उन्हें पद से हटायें। ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दें।

पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का की सफाई-कोई पत्र लिखता है, तो उसे आगे भेज देता हूं, इसमें गलत क्या है

बाबूलाल के लगाये आरोप को लेकर सीएम के प्रिंसिपल सेकरटेरी सह गृह सचिव रहे (वर्तमान में पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव) राजीव अरुण एक्का ने ने कहा, जब भी उन्हें कोई पत्र लिखता है, तो वे पहले देखते है कि वह काम उनके हाथ में है कि नहीं। वे उस काम को कर सकते हैं या नहीं। अगर नहीं कर सकते हैं, तो वे नियमानुसार कार्रवाई के लिए पत्र को आगे (संबंधित विभाग) को भेज देते हैं। सुरेश ठाकुर के मामले में भी उन्होंने ऐसा ही किया था। इसमें गलत क्या है।