सेल चासनाला कोलियरी डिवीजन में 20 वर्षों से जमें हैं अजय कुमार, प्रमोशन व पावर बढ़ता गया लेकिन ट्रांसफर नहीं

सेल की चासनाला कोलियरी डिवीजवन में एजीएम (पर्सनल) अजय कुमार 20 वर्षों से जमें हैं। ओवरमैन में वर्ष्र 2002 में बहाल होकर एजीएम बन गये हैं। पोस्ट व पावर बढता गया लेकिन ट्रांसफर नहीं हुआ। चासनाला में अंगद की पांव की तरह जमें हैं। 

सेल चासनाला कोलियरी डिवीजन में 20 वर्षों से जमें हैं अजय कुमार, प्रमोशन व पावर बढ़ता गया लेकिन ट्रांसफर नहीं
  • कंपलेन के बावजूद नहीं होती है कार्रवाई
  • कुमार साहब का चलता है सिक्का
  • आरोप लगे लेकिन मिल गयी क्लीन चीट
  • विजीलेंस व सीबीआई भी बांक बांका नहीं कर सका कुमार सहाब का
  • ईडी से लेकर सीजीएम तक पकड़ का दावा

धनबाद। सेल की चासनाला कोलियरी डिवीजवन में एजीएम (पर्सनल) अजय कुमार 20 वर्षों से जमें हैं। ओवरमैन में वर्ष्र 2002 में बहाल होकर एजीएम बन गये हैं। पोस्ट व पावर बढता गया लेकिन ट्रांसफर नहीं हुआ। चासनाला में अंगद की पांव की तरह जमें हैं। 

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सेल में कुमार साहब की पावर व पहुंच का अफसर ही नहीं कई यूनियन लीडर भी लोहा मनाते हैं। डिपार्टमेंट पॉलिटिक्स कर विवाद कराते हैं फिर सलटा सीनीयर अफसरों की नजर में करीबी बन जाने का आरोप लगता रहा है।कहा जाता है कि उनके खिलाफ आरोप भी लगे हैं। लेकिन अपनी बादशाहत से व सीबीआइ जांच हो गया विजीलेंस क्लीनचीट ले ही लेते हैं। एजीएम कुमार साहब अभी प्रमोशन लेकर डीजीएम बनने वाले हैं। एजीएम साहब के पास दो से अधिक डिपार्टमेंट हैं। 
काम में रोरा अटकने का है आरोप
आरोप  है कि पर्सनल में नियोजन का कार्य में गड़बड़ी व धांधली की जाती है। अनफिट स्टाफ को आश्रितों के नियोजन में बेबवजह रोड़ा अटकाया जाता है। कुमार साहब की शर्त नहीं पूरा करने पर रोड़ा अटका दिया जाता है। कागजातों में नाम व अन्य मिसमैच दिखाकर परेशान किया जाता है। साकिब अहमद को मिसमैच डॉक्युमेंट के नाम पर तीन  साल से परेशान किया जा रहा था। 
एक्सक्यूटिव व नन एक्सक्युटिव भयाक्रांत
आरोप है कि एजीएम साहब की धौंस से कई एक्सटिव व नन एक्सक्युटिव भयाक्रांत रहते हैं।अपने खिलाफ आंख दिखाने वाले दर्जन भर अफसरों को सीनीयर तक लॉबिंग कर दूसरे स्टेट ट्रांसफर करवा चुके हैं। वर्करों को भी जब चाहे किसी ने कारण ट्रांसफर करवा दिया जाता है। पूर्व मेंएड ईडी कुमार साहब की कारगुजारियों पर आंखें तरेरी थी, उन्हें संवेदनशील डिपार्टमेंट व कोलियरी डिवीजन से हटाने पहल की जा रहीथी। लेकिन कुमार साहब अपनी मोहिनी मंत्र मारकर पांव गाड़े रह गये। साहब गेस्ट हाउस के भी प्रभार में हैं। अगर साहब के प्रभार वाले  डिपार्टमेंट की जांच की जाए तो कई चौकाने वाले खुलासे होंगे। सेल चेयरमैन तक इनकी सर्टिफिकेट को लेकर शिकायत पहुंचाये जाने की कोशिश की जा रही है। दबी जुबान से अफसर पर्सनल डिपार्टमेंट के लिए इनकी कागजी रिकार्ड पर भी सवाल उठा रहे हैं। कहा जा रहा है कि संबंधित डिपार्टमेंट के लिए अन्य अफसरों का दावा मजबूत है।

सीवीसी व सीबीआइ को कंपलेन की तैयारी

सेल के अफसर व स्टाफ का एक वर्ग अब मामले में विजीलेंस व सीबीआइ तक कंपलेन करने की तैयारी में हैं। चासनाला से मामले में सीवीसी तक कंपलेन की जाने की तैयारी है। कहा जायेगा कि चासनाला कोलियरी डिवीजन चंद अफसरों के लिए फिक्स है तो दूसरे की क्या जरुरत है। समाजसेवा से जुड़े लोग सीवीसी व सेल के चेयरमैन तक एजीएम की करतूत पहुंचायेंगे। कोलियरी डिवीजन में गठजोड़ का भंडाफोड़ करेंगे। मामले को दिल्ली तक पहुंचाया जायेगा। लोगों का कहना है रि साहब कहते हैं कि उनका कुछ नहीं होगा। पेपर मीडिया में नाम छपने व सार्वजनिक होने से फर्क नहीं पड़ता है। नाम वाला का ही बड़ा नाम होता है।

किसी डिपार्टमेंट का फाइल बिना साहब के एप्रुवल के नहीं बढ़ता

आरोप है कि दबी जुबान से सेल कोलियरी डिवीजन एक्सक्यूटिव व नन एक्सक्युटिव कथित दबंग साहब की चर्चा करते हैं। कहते हैं पहले ही कंट्रेक्टर के अंदर में मुंशी थे। 20 साल पहले इस्को चासनाला में ओवरमैन में बहाल हुए। बहाली के बाद बीबीए समेत अन्य डिग्री हासिल कर लिये। अब एजीएम बन गये हैं। कई ईडी व जीएम बदले लेकिन दबंग साहब अंगद की पांव की तरह चासनाला में जमे रहे। आधा दर्जन बारर प्रमोशन लेकर चासनाला में ही जमे रहे। दूसरे जगह ट्रांसफर नहीं हुआ। सीबीआइ व विजिलेंस में भी कंपलेन हुआ लेकिन इनका कुछ नहीं हुआ। इन्हें क्लीनचिट मिल गयी लेकिन बदले में जूनियर व कलिग फंस जाते हैं। जुगाड़ परफार्मेंस बल पर दबंग साहब एजीएम होकर कोलियरी के महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट चार्ज में रखे हुए हैं। आरोप है कि किसी डिपार्टमेंट का फाइल हो बिना इनके मौखिक  एप्रुवल के आगे नहीं बढ़ता है।साहब ने CGM साहब को भी अपने प्रभाव में ले रखे हैं। काम किसका होना है वह चाहेंगे तो होगा अगर पिस्टल वाले साहब नाखुश है तो अड़ंगा लग जायेगा। साहब से सक्षम कई कोलियरी में ऑफिसर हैं बावजूद वह कंपनी का मलाईदार डिपार्टमेंट अपने जिम्मे में ले रखा है।

पुलिस व प्रशासनिक अफसरों में पकड़ होने का दावा

आरोप लगता है कि साहब जिले के आइएएस,आइपीएस व एडमिस्ट्रेटिव अफसर को अपना फ्रैंड बताते हैं। कोयलांचल के दबेग घराने से संबंध होने की बात कह हरकाते रहते हैं। यही कारण है कि साहब से सक्षम कई कोलियरी में ऑफिसर हैं बावजूद वह कंपनी का वह डिपार्टमेंट अपने जिम्मे में ले रखा है। अपनी पर्सनल विवाद व लड़ाई को कंपनी के माथे मढ़कर लड़ते हैं। कंट्रेक्टर हो या कांटा, सिक्युरिटी हो या इस्टेट, पसर्नल हो या कोलियरी चारों ओर इनकी तूती बोलती है।आरोप है कि एजीएम कुमार के पास लाइसेंसी पिस्टल भी है। चुनाव कार्य के दौरान भी वह अपना पिस्टल पुलिस स्टेशन मेंजमा नहीं कराते हैं।

कोलयिरी में खुद विरोध करने वालों को पुलिस में केस कर फंसाने की धमकी देते हैं। साहब लाइजनिंग व सर्विस देने में हैं माहिर हैं। आइएएस,आइपीएस व एडमिस्ट्रेटिव अफसर को करीबी बताकर यूनियन अफसर व नेताओं को भयक्रांत करते हैं। कहते हैं फलां अफसर को कंपनी ओर से गाड़ी दी है, तेल देते हैं। जब जिसे चाहेंगे जेल भिजवा देंगे। आरोप है कि यदा-कदा अपनी पिस्टल लेकर ऑफिस में भी पहुंच जाते हैं। कहते हैं पावर हैं तभी तो प्रशासन ने पिस्टल का लाइसेंस दिया है। सीनीयर अफसर परेशान होते हैं तो जुगड़ा तकनीक बताकर सलटाने के काम करते हैं। सीनीयर अफसर के सामने नेताओं व जन प्रतिनिधियों को फोन लगाकर अपनी संबंध दर्शाते हैं। अपनी निजी लड़ाई को कंपनी के माथे मढ़कर लड़ते हैं। इसमें कंपनी को आर्थिक क्षति उठाना पड़ता है।