Tribal Advisory Council : राजभवन और गवर्नमेंट के बीच टकराव बढ़, गवर्नर ने हेमंत गवर्नमेंट को भेजा नोटिस

जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) को लेकर एक बार फिर राजभवन और स्टेट गवर्नमेंट के बीच टकराव बढ़ गया है। गवर्नर रमेश बैस ने टीएसी के गठन से संबंधित नियमावली को असंवैधानिक बताने के बावजूद टीएसी की बैठक आयोजित करने तथा इसकी सूचना राजभवन को नहीं देने को गंभीरता से लिया है। गवर्नर निर्देश पर चीफ सेकरेटरी के माध्यम से राज्य सरकार को नोटिस भेजा गया है। नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर गवर्नर पांचवीं अनुसूची के प्रविधानों का सहारा लेते हुए कड़ा निर्णय ले सकते हैं।

Tribal Advisory Council : राजभवन और गवर्नमेंट के बीच टकराव बढ़, गवर्नर ने हेमंत गवर्नमेंट को भेजा नोटिस
  • महामहिम ले सकते हैं कड़ा निर्णय

रांची। जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) को लेकर एक बार फिर राजभवन और स्टेट गवर्नमेंट के बीच टकराव बढ़ गया है। गवर्नर रमेश बैस ने टीएसी के गठन से संबंधित नियमावली को असंवैधानिक बताने के बावजूद टीएसी की बैठक आयोजित करने तथा इसकी सूचना राजभवन को नहीं देने को गंभीरता से लिया है। गवर्नर निर्देश पर चीफ सेकरेटरी के माध्यम से राज्य सरकार को नोटिस भेजा गया है। नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर गवर्नर पांचवीं अनुसूची के प्रविधानों का सहारा लेते हुए कड़ा निर्णय ले सकते हैं।

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गवर्नर के प्रिंसिपल सेकरेटरी नितिन मदन कुलकर्णी ने चीफ सेकरेटरी को पत्र लिखकर महामहिम की नाराजगी से अवगत कराया है। उन्होंने कहा है कि गवर्नर द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देश का अनुपालन के बिना टीएसी द्वारा की जा रही कार्रवाई पर उन्होंने गंभीर चिंता एवं आपत्ति व्यक्त की है।गवर्नर ने निर्देश दिया है कि उनके द्वारा पूर्व में दिये गये निर्देश के अनुपालन की स्थिति से उन्हें तत्काल अवगत कराया जाए। साथ ही इतने दिनों तक उसका अनुपालन क्यों नहीं हुआ, उसका कारण बताया जाए। टीएसी की बैठकों के निर्णय से राज्यपाल को अवगत नहीं कराया जाना भी पांचवीं अनुसूची के प्रविधानों का उल्लंघन है।

गवर्नर ने टीएसी को बताया था असंवैधानिक
गवर्नर रमेश बैस ने टीएसी के गठन संबंधित नियमावली को असंवैधानिक बताते हुए उनमें संशोधन के निर्देश झारखंड सरकार को दिए थे। राज्य सरकार ने उसमें कोई संशोधन तो नहीं किया, पिछले दिनों इसकी बैठक भी आयोजित की गई।
टीएसी के गठन में दो सदस्य राजभवन से अनिवार्य
गवर्नर ने नियमावली से संबंधित नियमावली मंगाकर उसपर कानूनी सलाह लेने के बाद राज्य सरकार को वापस लौटा दी थी। उन्होंने गठित नियमावली को असंवैधानिक बताते हुए कहा था कि टीएसी के गठन में कम से कम दो सदस्यों का मनोनयन राजभवन से अनिवार्य रूप से हाेना चाहिए। वर्तमान में गठित टीएसी में ऐसा नहीं किया गया। पांचवीं अनुसूची के तहत नियमावली पर भी उनकी स्वीकृति जरूरी थी।गवर्नर रमेश बैस ने विधि विशेषज्ञों से प्राप्त मंतव्य का हवाला देते हुए टीएसी के गठन संबंधित नियमावली को असंवैधानिक बताया था। साथ ही उन्होंने उसमें संशोधन के निर्देश राज्य सरकार को दिए थे। उन्होंने कहा था कि टीएसी के गठन में कम से कम दो सदस्यों का मनोनयन राजभवन से अनिवार्य रूप से होना चाहिए। वर्तमान में गठित टीएसी में ऐसा नहीं किया गया।
स्टेट गवर्नमेंट ने राजभवन की आपत्ति पर कोई जवाब नहीं दिया।राजभवन ने इसे लेकर रिमाइंडर भी भेजा, लेकिन उसपर भी कोई जवाब राजभवन को नहीं मिला। इधर, राज्यपाल रमेश बैस ने टीएसी के गठन में राजभवन का अधिकार खत्म किए जाने की जानकारी तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द तथा सेंट्रल होम मिनिस्टरी को भी दी थी।
तत्कालीन गवर्नर द्रौपदी मुर्मु ने भी उठाया था सवाल
टीएसी के गठन का विवाद तत्कालीन गवर्नर द्रौपदी मुर्मु के समय से ही चल रहा है। उन्होंने भी राजभवन से दो सदस्यों के मनोनयन नहीं होने पर सवाल उठाया था। इस बीच राज्य सरकार ने टीएसी के गठन को लेकर नई नियमावली गठित कर दी। साथ ही नई नियमावली की फाइल राजभवन की स्वीकृति के लिए नहीं भेजी गई।
नई नियमावली में राजभवन का अधिकार समाप्त
नई नियमावली में टीएसी के गठन और सदस्यों की नियुक्ति में राजभवन का अधिकार खत्म कर दिया गया है। सीएम की स्वीकृति से ही सदस्यों की नियुक्ति हो रही है। राज्य सरकार द्वारा कहा गया कि नई नियमावली छत्तीसगढ़ की तर्ज पर बनाई गई जहां सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार सीएम का है।
कानून के जानकार बोले
टीएसी सदस्यों के चयन को लेकर उपजे विवाद पर पर हाई कोर्ट के अधिवक्ता शुभाशीष रसिक सोरेन ने कहा कि संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुसार टीएसी के सदस्यों के चयन का अधिकार राज्यपाल के पास है। सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए इसका अधिकार सीएम को सौंप दिया है। यह संविधान के अनुरूप नहीं है। सीएम स्टेट कैबिनेट के चीफ होते हैं। उनका चयन भी वही करते हैं। ऐसे में अगर टीएसी सदस्यों के चयन की जिम्मेदारी भी उनके पास ही रहेगी तो कोई अंतर नहीं रह जायेगा।
गवर्नर की आपत्ति को मानने के लिए तैयार नहीं सरकार
ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी के गठन और संचालन के नियमों पर गवर्नर की आपत्तियों को मानने के लिए राज्य सरकार तैयार नहीं है। इस मामले में विगत शुक्रवार को ही गवर्नर ने अपनी आपत्ति से राज्य सरकार को अवगत कराते हुए लिखा है कि झारखंड जनजातीय सलाहकार परिषद की नई नियमावली के गठन के संबंध में उनके पूर्व के आदेश का पालन नहीं किया गया है।टीएसी की बैठक समेत अन्य गतिविधियों पर भी गवर्नर रमेश बैस ने आपत्ति दर्ज कराई है। गवर्नर ने लिखा है कि पूर्व में उनके द्वारा दिए गए निर्देश के आलोक में की गई कार्रवाई से उन्हें अवगत कराया जाए। इतना ही नहीं, लंबे समय तक अनुपालन नहीं किए जाने पर भी गवर्नर ने आपत्ति जताई है।