हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डेमोनस्ट्रेटर वीइकल का सफल परीक्षण, DRDO को बड़ी सफलता

रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में देश ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए हाइपरसोनिक टेक्नलॉजी डेमोनस्ट्रेटर वीइकल (HSTDV) का सफल परीक्षण किया है। डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इसमें देश में विकसित सक्रेमजेट प्रपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले वर्ष 2019 की जून में इसका पहला परीक्षण किया गया था।

हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डेमोनस्ट्रेटर वीइकल का सफल परीक्षण, DRDO को बड़ी सफलता

नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में देश ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए हाइपरसोनिक टेक्नलॉजी डेमोनस्ट्रेटर वीइकल (HSTDV) का सफल परीक्षण किया है। डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इसमें देश में विकसित सक्रेमजेट प्रपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले वर्ष 2019 की जून में इसका पहला परीक्षण किया गया था।

अमेरिका, रूस और चीन के बाद इंडिया सोमवार चौथा मिल बन गया जिसके पास हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी
इंडिया सोमवार को अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा चौथा मिल बन गया जिसके पास हाइपरसोनिक टेक्नलॉजी है। ओडिशा के बालासोर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम टेस्टिंग रेंज से HSTDV के सफल परीक्षण के बाद देश ने वह तकनीक हासिल कर ली है जिससे मिसाइलों की स्पीड साउंड से छह गुना अधिक करने का रास्ता साफ हो गया है। डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की ओर से विकसित HSTDV का परीक्षण सुबह 11.03 बजे अग्नि मिसाइल से किया गया। गवर्नमेंट सोर्सेज के अनुसार इसका मतलब है कि DRDO अगले पांच सालों में स्क्रैमजेट इंजन के इस्तेमाल से हाइपरसोनिकल मिसाइल डिवेलप कर लेगा, जिनकी स्पीड मैक 6 होगी।  

DRDO चीफ सतीश रेड्डी और उनकी हाइपरसोनिक मिसाइल टीम की लीडरशीपमें इस परीक्षण को अंजाम दिया गया। HDTDV ने सभी पैरामीटर्स पर दहन कक्ष दबाव, हवा का सेवन और नियंत्रण पर सफलता हासिल की है। अग्निन मिसाइल बूस्टर हाइपरसोनिक वीइकल को 11.03 बजे 30 किलोमीटर ऊंचाई तक ले गया, जिसके बाद दोनों अलग हो गये।इसके बाद वीइकल का एयर इनटेक खुला और इससे स्क्रैमजेट इंजन चालू हो गया। ज्वलन 20 सेकेंड तक चला और वीइकल ने 6 मैक की स्पीड को हासिल किया। कहा गया है कि  ''वीइकल ने पूर्व निर्धारित सभी मानकों को सफलतापूर्वक हासिल किया, जिसमें 2500 डिग्री सेल्सियस से अधिक का दहन तापमान और एयर स्पीड शामिल है।

HSTDV से काफी कम खर्चे में सैटेलाइट लॉन्चिंग की जा सकेगी

एचएसटीडीवी का फ्यूचर में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने में इस्तेमाल होगा।  इसकी मदद से काफी कम खर्चे में सैटेलाइट लॉन्चिंग की जा सकेगी। HSTDV हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों के लिए यान के तौर पर इस्तेमाल किया जायेगा। यह एक दोहरे उपयोग की प्रौद्योगिकी है। कई असैन्य कार्यों में भी इसका प्रयोग किया जायेगा।HSTDV विमान हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली विकसित करने संबंधी देश के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का अहम हिस्सा है। अब इंडिया उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया है, जिनके पास इस प्रकार की टेकनीक है। अमेरिका, रूस, और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश है, जिसने इस तकनीक को विकसित किया है।