Rahul Gandhi Defamation Case : सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के स्टे से बहाल हो सकती है Rahul Gandhi की संसद सदस्यता

कांग्रेस एमपी राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने एक मानहानि मामले में दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई है। हालांकि, इस मामले में राहुल गांधी को तुरंत बेल मिल गई। हालांकि लोकसभा सचिवालय ने उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी। राहुल गांधी को अब सबसे पहली चुनौती सदस्यता बहाल कराने की है। कानूनविदों का कहना है कि अगर कोर्ट राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगा देती है तो उनकी सांसदी बहाल हो जायेगी।

Rahul Gandhi Defamation Case : सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के स्टे से बहाल हो सकती है Rahul Gandhi की संसद सदस्यता

नई दिल्ली। कांग्रेस एमपी राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने एक मानहानि मामले में दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई है। हालांकि, इस मामले में राहुल गांधी को तुरंत बेल मिल गई। हालांकि लोकसभा सचिवालय ने उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी। राहुल गांधी को अब सबसे पहली चुनौती सदस्यता बहाल कराने की है। कानूनविदों का कहना है कि अगर कोर्ट राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगा देती है तो उनकी सांसदी बहाल हो जायेगी।

यह भी पढ़ें:Rahul Gandhi Defamation Case : राहुल की सदस्यता खत्म करने के खिलाफ कांग्रेस ने सड़क पर उतरेगी, सोमवार से देशव्यापी आंदोलन
राहुल गांधी को हाई या सुप्रीम कोर्ट न जाना पड़ा मंहगा
कानूनविद ये भी मानते हैं कि राहुल गांधी का आपराधिक मानहानि का मुकदमा रद कराने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट न जाना भी बड़ी कानूनी चूक है। राहुल गांधी की ओर से इस केस में कानूनी भूलें की गयी हैं जिसका नतीजा आज की स्थिति है। सुप्रीम कोर्ट के सीनीयर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन कहते हैं कि सदस्यता जाने का कारण दोषी ठहराया जाना और सजा होना है, ऐसे में अगर अपीलीय अदालत राहुल गांधी को बरी कर देती है तो उनकी अयोग्यता समाप्त हो जायेगी।  सदस्यता बहाल हो जायेगी।
सजा के परिणाम के कारण निकली अयोग्यता की नोटिफिकेशन
दोषसिद्धि पर अंतरिम रोक से सदस्यता समाप्त करने वाली अधिसूचना भी स्वत: स्टे मानी जायेगी क्योंकि वह अधिसूचना परिणामी है यानी सजा के परिणाम के कारण अयोग्यता की अधिसूचना निकली है। तो दोषसिद्धि और सजा दोनों पर रोक के बाद वह अधिसचूना भी स्टे समझी जायेगी। यह और बात है कि लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को अभी तक लोकसभा में प्रवेश नहीं मिला है हालांकि उन्होंने एक केस में अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगवा ली है।
हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट दे सकता है अंतरिम स्टे
संविधानविद सुभाष कश्यप कहते हैं कि राहुल गांधी की ओर से अधिसचूना रद करने और दोषसिद्धि पर रोक के लिए याचिका दाखिल की जा सकती है। हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट उस पर अंतरिम स्टे दे सकता है। कश्यप इंदिरा गांधी के मामले का हवाला देते हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी को ठहराया था दोषी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को दोषी ठहरा कर चुनाव रद कर दिया था। इसके बाद इंदिरा गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी और सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक रोक आदेश दिया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा ता कि इंदिरा गांधी संसद की कार्यवाही में भाग ले सकती हैं लेकिन मतदान में हिस्सा नहीं लेंगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इंदिरा गांधी की सदस्यता चालू रही थी।
ऐसे बहाल हो सकती है सदस्यता
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट डीके गर्ग भी कहते हैं कि अपीलीय अदालत से दोषसिद्धि पर अंतरिम रोक ही राहुल की सदस्यता बहाल कर सकती है। गर्ग कहते है कि मानहानि का मुकदमा रद कराने के लिए राहुल गांधी को पहले ही हाईकोर्ट जाना चाहिए था। अगर ऐसा हुआ हाता तो शायद ये स्थिति नहीं आती जो आज है। केस रद कराने की मांग न करना राहुल गांधी की बड़ी कानूनी चूक।इतने बड़े नेता को कोई कानूनी विकल्प नहीं छोड़ना चाहिए था। जिसके पास इतने सारे दिग्गज वकील हैं राय देने के लिए उसे पहले ही हाई कोर्ट जाना चाहिए था वहां राहत नहीं मिलती तो सुप्रीम कोर्ट आते जो केस की कमजोरियां आज गिनाई जा रही हैं उनकी सच्चाई कोर्ट में उसी समय परख जाती और शायद स्थित आज से अलग होती।