मध्य प्रदेश: 12 साल बेटे की याद के सहारे नदी में 14 घंटे मौत से लड़ती रही मां, जीत ली जिंदगी की जंग

ध्य प्रदेश के विदिशा जिले की सोनम दांगी पूरी रात नदी में लहरों से जूझती रही। दूसरे दिन उन्हें नदी से निकाले जाते समय रेस्क्यू टीम की नाव पलट जाने से वह दोबारा बह गई। नदी में 16 किमी दूर तक बहने के दौरान उन्हें एक लकड़ी का सहारा मिला। सोनम का कहना है कि संकट की इस घड़ी में वह ईश्वर के साथ अपने इकलौते 12 वर्षीय बेटे को याद करती रही। बेटे की याद ने उन्हें जिंदगी के लिए संघर्ष करने की ताकत दी। अंतत: वह जिंदगी की जंग जीत गई।

मध्य प्रदेश: 12 साल बेटे की याद के सहारे नदी में 14 घंटे मौत से लड़ती रही मां, जीत ली जिंदगी की जंग
  • बाइक फिसलने से नदी में बह गई सोनम
  • निर्माणाधीन पुल के पिलर की सरिया पकड़कर गुजारी रात
  • दूसरे दिन जब रेसक्यू टीम उसे लेकर निकली तो नाव पलटने से फिर बह गई
  • बेटे की याद ने जिंदगी के लिए संघर्ष करने की दी ताकत
  • एक लकड़ी के सहारे तीन घंटे तक फिर नदी में बहती रहीं
  • ग्रामीण बने रक्षक, युवकों ने बाहर निकाला

भोपाल। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की सोनम दांगी पूरी रात नदी में लहरों से जूझती रही। दूसरे दिन उन्हें नदी से निकाले जाते समय रेस्क्यू टीम की नाव पलट जाने से वह दोबारा बह गई। नदी में 16 किमी दूर तक बहने के दौरान उन्हें एक लकड़ी का सहारा मिला। सोनम का कहना है कि संकट की इस घड़ी में वह ईश्वर के साथ अपने इकलौते 12 वर्षीय बेटे को याद करती रही। बेटे की याद ने उन्हें जिंदगी के लिए संघर्ष करने की ताकत दी। अंतत: वह जिंदगी की जंग जीत गई।

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ऐसे हो गयी हादसा

रेस्क्यू टीम की लीडरशीप करने वाले जिला होमगार्ड के कमांडेंट शशिधर पिल्लई ने बताया कि गुरुवार की शाम जिले के गंजबासौदा निवासी कल्लू दांगी अपनी बहन सोनम को बाइक पर बैठाकर पडरिया गांव (सोनम की ससुराल) से अपने घर आ रहे थे। रास्ते में बेतवा नदी के बर्रीघाट पुल पर उनकी बाइक फिसल गई। इस दौरान सोनम नदी में जा गिरी। कल्लू उनको बचाने के लिए नदी में कूदे, मगर बचा नहीं सके। अंधेरा हो जाने के कारण रेसक्यू ऑपरेशन भी नहीं चलाया जा सका। इस दौरान सोनम लगभग आठ किमी बहते हुए सिंरोज रोड स्थित निर्माणाधीन पुल के पास पहुंच गई। 
सोनम ने बताया कि भारी बारिश हो रही थी। बिजली कड़क रही थी। लेकिन, मुझे अपने बेटे का चेहरा याद आ रहा था। मैंने खुद को हिम्मत दी कि मुझे अपने बच्चे के लिए जीना है। इसी सोच के साथ मैंने निर्माणाधीन पुल के पिलर के सरिया को पकड़ लिया। पूरी रात ऐसे ही गुजार दी। शुक्रवार तड़के पांच सदस्यीय टीम ने रेसक्यू ऑपरेशन शुरू किया। एक घंटे के भीतर ही नदी में उनको खोज लिया गया। 
रेसक्यू टीम ने सोनम को निकाला और लाइफ जैकेट पहनाकर नाव में बैठाया। इसी दौरान नदी का बहाव तेज होने के कारण नाव पलट गई।

टीम के मेंबर तैराक होने के कारण किनारे पर पहुंच गये, लेकिन वह नदी में बहती चली गई। इस बार उनको एक लकड़ी का सहारा मिला। पिल्लई ने बताया कि सोनम जब दोबारा बह गईं तो लगभग तीन घंटे तक लोकल प्रशासन की मदद से उनकी खोजबीन चलती रही। सुबह लगभग आठ बजे ग्राम राजखेड़ा के पास ग्रामीणों को वह दिखाई दी। लोकल युवकों का दल नदी में उतरकर उनको बचा लिया। इस तरह सोनम ने 14 घंटे तक जिंदगी के लिए संघर्ष किया।