Jharkhand Liquor Scam : एक्साइज सेकरटेरी मनोज कुमार फर्जी बैंक गारंटी छिपाने मामले में संदिग्ध

झारखंड में 2022 की उत्पाद नीति के बाद सामने आये शराब घोटाले में नये-नये खुलासे हो रहे हैं।  इस घोटाले में फर्जी बैंक गारंटी के जरिए शराब दुकानों के लिए मैनपावर सप्लाई करने वाली एजेंसियों को लाभ पहुंचाने का आरोप है। IAS अफसर सह उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग के वर्तमान सचिव मनोज कुमार पर इस मामले में विसंगतियों को छिपाने और फर्जी बैंक गारंटी देने वाली एजेंसियों को प्रश्रय देने के गंभीर आरोप लगे हैं।

Jharkhand Liquor Scam : एक्साइज सेकरटेरी मनोज कुमार फर्जी बैंक गारंटी छिपाने मामले में संदिग्ध
IAS अफसर मनोज कुमार (फाइल फोटो)।
  • सचिव मनोज कुमार पर लगे गंभीर आरोप,एक्शन की तैयारी
  • एसीबी ने पूछताछ के लिए भेजा नोटिस

रांची। झारखंड में 2022 की उत्पाद नीति के बाद सामने आये शराब घोटाले में नये-नये खुलासे हो रहे हैं।  इस घोटाले में फर्जी बैंक गारंटी के जरिए शराब दुकानों के लिए मैनपावर सप्लाई करने वाली एजेंसियों को लाभ पहुंचाने का आरोप है। IAS अफसर सह उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग के वर्तमान सचिव मनोज कुमार पर इस मामले में विसंगतियों को छिपाने और फर्जी बैंक गारंटी देने वाली एजेंसियों को प्रश्रय देने के गंभीर आरोप लगे हैं।
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भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मनोज कुमार को पूछताछ के लिए नोटिस भी जारी किया है। अब जल्द एसीबी द्वारा उनसे गहन पूछताछ किये जाने संभावना है। जानकार सोर्सेज के अनुसार सरकार आईएएस अफसर मनोज कुमार भूमिका की जांच के बाद उन्हें विभागीय सचिव के पद से हटाने की कार्रवाई कर सकती है। यह घोटाला 38 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का कारण बना है। जांच का दायरा अब झारखंड से बाहर छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों तक फैल चुका है।
फर्जी बैंक गारंटी का खेल
उत्पाद नीति के तहत शराब दुकानों के लिए मैनपावर सप्लाई का ठेका देने की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। एसीबी की प्रारंभिक जांच में पता चला कि मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज एंड कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड जैसी प्लेसमेंट एजेंसियों ने फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर कंट्रेक्ट हासिल किए। इन एजेंसियों ने 2023 से फर्जी गारंटी के जरिए काम शुरू किया, जिससे सरकार को 38 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। जांच में यह भी सामने आया कि टेंडर की शर्तों को इस तरह से बनाया गया था कि केवल कुछ खास कंपनियों को ही लाभ मिले।
विभागीय सचिव मनोज कुमार की भूमिका पर सवाल
उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग के सचिव मनोज कुमार पर आरोप है कि उनके कार्यकाल में इन फर्जी बैंक गारंटी की जांच नहीं की गई। जांच में पाया गया कि मनोज कुमार ने न तो न्यूनतम गारंटी राशि की समीक्षा की और न ही बकाया राशि वसूलने के लिए कोई कदम उठाया। इसके अलावा नवंबर 2024 में छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स ओम साईं विबरेजेज प्राइवेट लिमिटेड को बिना मंत्री की जानकारी के 11 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया, जबकि इन कंपनियों पर 450 करोड़ रुपये का बकाया था। मनोज कुमार पर इन विसंगतियों को छिपाने का भी आरोप है।
एसीबी की कार्रवाई और पूछताछ
एसीबी ने इस मामले में अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए मनोज कुमार और पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश को नोटिस जारी किया है। इन दोनों से जल्द पूछताछ होने की संभावना है।एसीबी ने पहले ही पूर्व उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह और झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) के दो एक्स जीएम सुधीर कुमार और सुधीर कुमार दास को अरेस्ट कर लिया है। ये सभी अभी जेल में हैं। इसके अलावा मेसर्स मार्शन के प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह को भी जेल भेजा गया है। नीरज इनके लिए कंपनियों से वसूली करता था।
एसीबी ने छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया को भी पूछताछ के लिए बुलाया है, जिनकी शराब नीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही। मनोज कुमार की भूमिका की गहन जांच के बाद सरकार उन्हें उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग से हटा सकती है।हा है।