Jharkhand : बोकारो की आकांक्षा समेत चार महिलाओं को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय का फेलोशिप

जादोपटिया चित्रकार नीलम नीरद सहित झारखंड के तीन संस्कृतिकर्मियों को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय का वर्ष 2020-21 का सीनियर फेलोशिप अवॉर्ड मिला है। इसी वर्षके जूनियर फेलोशिप अवॉर्ड के लिए भी स्टेट से एक कलाकार का सलेक्शन किया गया है।  झारखंड से जिन चार नामों को सीनियर और जूनियर फेलोशिप अवॉर्ड के लिए चुना गया, वे सभी महिलाएं हैं।

Jharkhand : बोकारो की आकांक्षा समेत चार महिलाओं को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय का फेलोशिप
आकांक्षा प्रियदशिर्नी (फाइल फोटो)

रांची। जादोपटिया चित्रकार नीलम नीरद सहित झारखंड के तीन संस्कृतिकर्मियों को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय का वर्ष 2020-21 का सीनियर फेलोशिप अवॉर्ड मिला है। इसी वर्षके जूनियर फेलोशिप अवॉर्ड के लिए भी स्टेट से एक कलाकार का सलेक्शन किया गया है।  झारखंड से जिन चार नामों को सीनियर और जूनियर फेलोशिप अवॉर्ड के लिए चुना गया, वे सभी महिलाएं हैं।

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दुमका की नीलम नीरद को जनजातीय चित्रकला, रांची की सीमा देवी को लोकगीत और रांची की ही मोनिता सिन्हा को थियेटर के लिए सीनियर फेलोशिप तथा बोकारो की आकांक्षा प्रियदशिर्नी को छऊ नृत्य के लिए जूनियर फेलोशिप अवॉर्ड के लिए चुना गया है। यह फेलोशिप अवॉर्ड संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करनेवाले विशिष्ट कला-साधकों को दिया जाता है। इसका चयन नेशनल पर होता है। यह फेलोशिप दो वर्ष के लिए मिलता है, जिसे योजना के अनुसार छह माह का अतिरिक्त विस्तार दिये जाने का भी प्रावधान है।

बोकारो की आकांक्षा ने 26 जुलाई को दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी सहित अन्य गणमान्य लोगों की मौजूदगी में मयूरभंज छऊ की प्रस्तुति दी। आकांक्षा के पिता अनिल कुमार मिश्रा गवर्नमेंट अफसर रह चुके हैं। श्री मिश्रा अभी उषा मार्टिन यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार हैं। मां रीता मिश्रा गृहिणी हैं।आकांक्षा प्रियदशिर्नी का सफर डीपीएस-4 से शुरू हुआ। उसे नृत्य शिक्षक निर्मल्य शर्मा का मार्गदर्शन मिला। आकांक्षा 12वीं के बाद करियर के रूप में नृत्य के लिए दिल्ली चली गयी। उसे 2012 में साध्या नृत्य कंपनी में कलाकार बनने का मौका मिला। वहां गुरु संतोष नायर के मार्गदर्शन में मयूरभंज छऊ नृत्य के अंतर्गत प्रशिक्षण लिया और नाट्यरचना की।
आकांक्षा 2014 में गुरु त्रिलोचन मोहंता से मिली। प्रोजेक्ट छाउनी-बारिपदा के मार्गदर्शन में 10 साल और प्रशिक्षण लिया. गुरु चेतन जोशी, स्वर्गीय गुरु गोपाल प्रसाद दुबे व संजय चौधरी जैसे लोगों का सहयोग व मार्गदर्शन मिला। चंदनकियारी ब्लॉक स्थित छऊ केंद्र प्रेरणा का स्रोत है। आकांक्षा का कहना है किकि भगवान की कृपा, गुरुओं व माता-पिता के आशीर्वाद से जूनियर फेलोशिप अवॉर्ड मिला है। यह उसके छऊ नृत्य के विकास, बचाव व अनुसंधान के सफर का पहला कदम है।