Jharkhand: ग्रामीण कार्य विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम को महंगी कार गिफ्ट करने वाले बिल्डिरों से ED ने की पूछताछ

पद का दुरुपयोग कर सवा लाख करोड़ की इलिगल संपत्ति अर्जित करने वाले ग्रामीण कार्य विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के विरुद्ध ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है। मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने इंजीनियर को गिफ्ट में महंगी कार देने वाले दोनों बिल्डरों मेसर्स परमानंद सिंह बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड से पूछताछ की है। परमानंद सिंह बिल्डर ने गिफ्ट में वीरेंद्र राम को टोयटा फार्च्यूनर सिग्मा-4 कार (जेएच-05सीएम-1000) कार व मेसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन ने इनोवा (जेएच -05सीसी-1000) भेंट की थी।

Jharkhand: ग्रामीण कार्य विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम को महंगी कार गिफ्ट करने वाले बिल्डिरों से ED ने की पूछताछ
  • रिश्वत नहीं देने पर इंजीनियर ने जबरन रख ली थी कारें

रांची। पद का दुरुपयोग कर सवा लाख करोड़ की इलिगल संपत्ति अर्जित करने वाले ग्रामीण कार्य विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के विरुद्ध ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है। मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने इंजीनियर को गिफ्ट में महंगी कार देने वाले दोनों बिल्डरों मेसर्स परमानंद सिंह बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड से पूछताछ की है। परमानंद सिंह बिल्डर ने गिफ्ट में वीरेंद्र राम को टोयटा फार्च्यूनर सिग्मा-4 कार (जेएच-05सीएम-1000) कार व मेसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन ने इनोवा (जेएच -05सीसी-1000) भेंट की थी।

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ईडी ने वीरेंद्र राम को कार गिफ्ट करने के मामले में जब पूछताछ की, तो उन लोगों ने ईडी को गुमराह करने की पूरी कोशिश की। बिल्डरों ने ईडी को बताया कि टेंडर में रिश्वत नहीं देने के चलते उनकी कारों को वीरेंद्र राम ने जबरन रख लिया था। इसके बाद ईडी ने उनसे पूछा कि जब वीरेंद्र राम ने उनकी कारों को जबरन अपने पास रखा, तो उन्होंने एफआइआर क्यों  दर्ज क्यों नहीं कराई। इस पर दोनों बिल्डरों ने चुप्पी साध ली। ईडी को संदेह है कि दोनों बिल्डर झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने टेंडर के कमीशन के एवज में वीरेंद्र राम को महंगी कार गिफ्ट की थी। ईडी को सूचना यह भी है कि टेंडर ऊंची दर पर लेने के एवज में यह गिफ्ट मिली थी। ईडी बिल्डरों के जवाब से संतुष्ट नहीं है और यह सूचना है कि बहुत जल्द ही दोनों बिल्डरों को ईडी फिर समन करेगी।

सवा लाख करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित करने वाले ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम इन दिनों ईडी की हिरासत में है। उनसे पूछताछ जारी है। ईडी की जांच कुछ खास बिंदुओं पर आधारित है, जिनमें प्रोजेक्ट, ठेका लेने के लिए वीरेंद्र राम को मिले कमीशन, कमीशन का हिस्सा किसके माध्यम से दिया गया, क्या कमीशन वीरेंद्र राम के अलावा भी किसी की हिस्सेंदारी थी, अगर हां तो कौन-कौन इसमें शामिल है जैसी बातें शामिल हैं। 
ED ने वीरेंद्र के करीबी राम पुकार को पूछताछ के बाद छोड़ा, नहीं दिये संतोषजनक जवाब
सवा सौ करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित करने वाले ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के सहयोगी कार्यपालक अभियंता राम पुकार राम को ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद छोड़ दिया है। कार्यपालक अभियंता को ईडी ने सोमवार को रांची के लालपुर थाना क्षेत्र के पीस रोड में बीआइटी एक्सटेंशन के पीछे स्थित द्वारिकेश अपार्टमेंट से रेड के दौरान कस्टडी में लिया था। ईडी की टीम ने फ्लैट नंबर 401 में रेड के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज व डिजिटल साक्ष्य जुटाएं है। ईडीको उनका टच स्क्रीन मोबाइल व कई अहम दस्तावेज अब तक ईडी को नहीं मिला है। इसके बारे में भी राम पुकार राम ने ईडी को संतोषजनक जवाब नहीं दिया है।

ईडी ने रामपुकार राम को इस हिदायत के साथ छोड़ा है कि उनके विरुद्ध बहुत से साक्ष्य ईडी के पास हैं। उनपर साक्ष्य मिटाने के जुर्म में केस चल सकता है और अगर वे ईडी को अनुसंधान में सहयोग नहीं करेंगे तो ईडी के पास उन्हें अरेस्ट करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं। ईडी बहुत ही जल्द फिर कार्यपालक अभियंता राम पुकार राम को समन कर पूछताछ के लिए बुलाएगी। ईडी को यह जानकारी मिली है कि उनके छापे की सूचना के बाद कार्यपालक अभियंता राम पुकार राम ने अपना मोबाइल कहीं फेंक दिया।कई सारे दस्तावेज को फाड़ डाला। ईडी को छापेमारी में डायरी व कागजात के टुकड़े भी मिले हैं, जिसे संदिग्ध बताया गया है। गौरतलब है कि वीरेंद्र राम से रिमांड पर पूछताछ के दौरान ही ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता राम पुकार राम का नाम सामने आया था।ईडी को जानकारी मिली थी कि वीरेंद्र राम के हर जुर्म में ये उनके सहयोगी हैं। इसके बाद ईडी ने सोमवार की दोपहर करीब 12 बजे उनके आवास पर दस्तक दी थी। ईडी के अधिकारी ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता राम पुकार राम के यहां छापेमारी के बाद अब उनकी सभी चल-अचल संपत्ति की जानकारी जुटा रहे हैं। उनके पैन कार्ड से लेकर उनके बैंकिंग लेन-देन के ब्यौरे भी खंगाले जा रहे हैं। ईडी को उम्मीद है कि बहुत जल्द बड़े मामले का खुलासा होगा।
जल संसाधन विभाग ने किया सस्पेंड

झारखंड में ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम से जुड़े कई ठिकानों पर ईडी की टीम छापेमारी कर चुकी है। इनमें झारखंड के अलावा बिहार, दिल्लीि और हरियाणा के भी कई ठिकाने हैं। जल संसाधन विभाग के इंजीनियर वीरेंद्र राम के नाम सवा लाख करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित है। ऐसे में उन पर लगे आरोप व चल रही कार्रवाइ को देखते हुए सरकार ने उन्हेंी सस्पेंड कर दिया है। जल संसाधन विभाग की ओर से जारी नोटिस में कहा गया कि वीरेंद्र राम इस वक्त ईडी की हिरासत में है इसलिए उन्हेंं अगले आदेश तक सस्पेंड किया जाता है। हालांकि, निलंबन की इस अवधि में झारखंड सरकारी सेवक के तहत वीरेंद्र राम को जीवन निर्वाह भत्ता मिलता रहेगा। हिरासत से रिहा होने के बाद पद पर वह पुन: अपना योगदान दे सकेंगे।

सामान्य स्थिति में सरकारी सेवक को सैलरी मिलने का प्रावधान है, लेकिन निलंबन की स्थिति में मासिक वेतन के स्थायन पर केवल जीवन निर्वाह भत्ता ही मिलता है। मालूम हो कि वीरेंद्र राम से रिमांड पर ईडी ने चौथे दिन भी पूछताछ की। इसी के साथ ईडी ने आज पूछताछ के लिए उन दो बिल्डछरों को भी तलब किया है, जिन्होंने वीरेंद्र राम को गिफ्ट में महंगी गाड़ियां दी थी।

ईडी कर रही जांच
इस मामले को लकर ईडी की जांच प्रोजेक्ट, ठेका लेने के लिए वीरेंद्र राम को कब-कब कितना कमीशन दिया गया, कमीशन का हिस्सा किसके माध्यम से दिया गया, क्या कमीशन वीरेंद्र राम के अलावा भी किसी को दिया गया है, अगर हां तो कौन-कौन शामिल है, वीरेंद्र के संरक्षकों में कौन से अफसर व लीडर शामिल हैं इन सभी बिंदुओं पर आधारित है। 
वीरेंद्र राम के जब्त चार मोबाइल से ED ने 200 GB डेटा किया स्टोर
पद का दुरुपयोग कर 125 करोड़ से अधिक की संपत्ति अर्जित करने के मामले में गिरफ्तार ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम से रिमांड पर ईडी के अधिकारी काली कमाई का राज उगलवायी है। ईडी ने वीरेंद्र राम के चार मोबाइलों को जब्त किया है, जिससे 200 जीबी डेटा स्टोर कर ईडी के अधिकारी विश्लेषण करने में जुटे हैं। प्रारंभिक छानबीन में ईडी को यह जानकारी मिल चुकी है कि वीरेंद्र राम के मोबाइल में काली कमाई का बड़ा राज सुरक्षित है, जो अनुसंधान को और धारदार बनायेगा। मोबाइल से प्राप्त डेटा के आधार पर भी ईडी वीरेंद्र राम से पूछताछ जारी है।ईडी के ऑ्रफिसियल सोर्सेज से मिली जानकारी के अनुसार, वीरेंद्र राम के कमीशन गैंग में शामिल 25 लीडर्स व अफसरों की पहचान हो चुकी है। अब एक-एक कर सबको ईडी समन करने जा रही है। सबसे पूछताछ की जायेगी। रिमांड पर पूछताछ में लगातार मिल रही नई जानकारियों को देखते हुए ईडी कोर्ट से रिमांड अवधि बढ़ाने का फिर आग्रह किया। कोर्ट ने रिमांड अवधि बढ़ा दिया है।
वीरेंद्र राम के कमीशन गैंग में शामिल हैं दो दर्जन नेता और ब्यूरोक्रैट्स

ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम से ईडी के की अब तक की पूछताछ में यह स्पष्ट हो गया है कि कमीशन गैंग मंी दो दर्जन से अधिक नेता व नौकरशाह शामिल हैं।रिमांड पर एक-एक कर वीरेंद्र राम सबके नाम उगल रहे हैं। ईडी सभी नामों को कलमबद्ध करती जा रही है, जिनसे भविष्य में समन कर पूछताछ की संभावना बनती जा रही है। कइयों के नाम ईडी के पास आ चुके हैं, लेकिन गोपनीयता भंग न हो और अनुसंधान प्रभावित न हो, इसके चलते अभी उन नामों को उजागर नहीं किया जा रहा है।

ईडी ने एसीबी से मांगी जानकारी

ईडी ने झारखंड पुलिस के एसीबी को भी लेटर लिखकर वीरेंद्र राम के बारे में जानकारी मांगी है। ईडी ने एसीबी से पूछा है कि जमशेदपुर के केस में वीरेंद्र राम व उनके रिश्तेदार आलोक रंजन के विरुद्ध एसीबी ने चार्जशीट तो की, लेकिन उसके बाद क्या पहल की? क्या वीरेंद्र राम के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच के लिए प्रारंभिक जांच (पीई) अथवा प्राथमिकी दर्ज की गई है। अगर नहीं की गई है तो इसका मूल कारण क्या है? ईडी ने एसीबी को इससे संबंधित दस्तावेज भी ईडी को उपलब्ध कराने के लिए लिखा है।

एसीबी ने आधा दर्जन बार पीई के लिए मांगी थी अनुमति
एसीबी से जो सूचना मिली है, उसके अनुसार वीरेंद्र राम पर प्रारंभिक जांच (पीई) की अनुमति के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने आधा दर्जन बार मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से पत्राचार किया। लगातार पत्राचार के बावजूद एसीबी को पीई दर्ज करने की अनुमति नहीं मिली। सूचना है कि मंत्रिमंडल सचिवालय व निगरानी विभाग की ओर से भी वीरेंद्र राम के पैतृक विभाग से ही मंतव्य मांगा जाता रहा, जहां वीरेंद्र राम अपनी पहुंच के बल पर उसे रोकवा देते थे। यही वजह है कि मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को न तो मंतव्य मिलता था और न हीं एसीबी को पीई की अनुमति ही मिल पाती थी।